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स्टार्टअप में तेजी : दक्षिण भारत बन रहा स्टार्टअप हब

तकनीक और इनोवेशन के लिहाज से दक्षिण भारत शुरू से ही आगे रहा है. आज भले ही स्टार्टअप्स देशभर में फैल चुके हैं, लेकिन भारत में स्टार्टअप ने सबसे पहले बेंगलुरु में ही दस्तक दी थी.सरकारी प्रयासों, इन्क्यूबेटर्स और एक्सेलरेटर्स की मदद से आज दक्षिण भारत के अनेक राज्यों और शहरों के स्टार्टअप इकोसिस्टम में […]

तकनीक और इनोवेशन के लिहाज से दक्षिण भारत शुरू से ही आगे रहा है. आज भले ही स्टार्टअप्स देशभर में फैल चुके हैं, लेकिन भारत में स्टार्टअप ने सबसे पहले बेंगलुरु में ही दस्तक दी थी.सरकारी प्रयासों, इन्क्यूबेटर्स और एक्सेलरेटर्स की मदद से आज दक्षिण भारत के अनेक राज्यों और शहरों के स्टार्टअप इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव देखा जा रहा है. किस तरह से उभर रहा है दक्षिण भारत स्टार्टअप हब के तौर पर समेत इससे संबंधित अनेक अन्य पहलुओं के बारे में बता रहा है आज का यह आलेख …
भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में हाल के वर्षों में सबसे पहले बेंगलुरु में स्टार्टअप्स उभर कर सामने आये थे. हालांकि, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई समेत देश के अनेक बड़े नगरों में स्टार्टअप में एकदम से तेजी आयी, लेकिन दक्षिण भारतीय शहर काफी आगे निकल चुके हैं.
देश के टू-टीयर शहरों में तमिलनाडु का काेयंबटूर सबसे आगे है. टेक्सटाइल और पंप्स निर्माण में अगुआ होने के कारण इस शहर को अब तक दक्षिण भारत के मैनचेस्टर के रूप में जाना जाता था. इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या के लिहाज से यह एजुकेशन हब भी है. मजबूत औद्योगिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि वाला यह शहर मौजूदा समय में स्टार्टअप हब बन चुका है. इस शहर से चेन्नई और बेंगलुरु जैसे तकनीकी रूप से दक्ष उद्यमोंवाले महानगरों के निकट होने का इसे बड़ा फायदा मिला है.
‘टेक इन एशिया’ के मुताबिक, हाल ही में यहां फोर्ज एक्सेलरेेटर ने ‘एजुकेशन एंटरप्रेन्योरशिप समिट’ का आयोजन किया, जिसमें 33 एडटेक स्टार्टअप्स को प्रोमोट किया गया. फोर्ज एक इनोवेशन एक्सेलरेटर है, जहां इनोवेटिव टेक्नोलॉजी, प्रोडक्ट या बिजनेस आइडियाज को प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि निवेशक उनकी ओर रुख करें. इस समिट में तीन स्टार्टअप को विजेता चुना गया.
नवगठित राज्य तेलंगाना बन रहा स्टार्टअप का गढ़
देश का नवनिर्मित राज्य तेलंगाना स्टार्टअप का गढ़ बन रहा है. स्थानीय युवा इसमें बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभा रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि इसी माह यहां स्टार्टअप काे प्रोमोट करने के लिए एक बड़ा आयोजन हो सकता है. हैदराबाद को देश के बड़े ‘टी-हब’ के रूप में विकसित किया जा रहा है.
यह सात हजार वर्ग फुट में फैला स्टार्टअप विकास प्रयोगशाला यानी इन्क्यूबेशन लैबोरेटरी है. तेलंगाना सरकार और अन्य निजी संस्थाओं ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत इसका गठन किया है. इस टी-हब में करीब 800 स्टार्टअप स्थापित हो चुके हैं. राज्य सरकार अब टी-हब के दूसरे और तीसरे चरण की तैयारी कर रही है. स्टार्टअप की मदद के लिए राज्य सरकार दो हजार करोड़ रुपये का नवाचार कोष स्थापित करने के बारे में विचार कर रही है.
आंध्र प्रदेश में स्टार्टअप इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव
युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए आंध्र प्रदेश की सरकार ने स्टार्टअप एक्सेलरेटर्स के साथ अनेक समझौते किये हैं. संबंधित विभागीय अधिकारी के मुताबिक, विशाखापत्तनम को राज्य का स्टार्टअप हब बनाने के लिए इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव किया जा रहा है. इसके अलावा 10के स्टार्टअप प्रोग्राम के तहत नैसकॉम को वेयरहाउस के लिए जगह मुहैया करायी गयी है, ताकि समुद्र तटीय शहर ऋषिकोंडा में टेक्नोलॉजी, रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जा सके.
केरल में लांच हो रहा देश का पहला डिजिटल स्टूडेंट इन्क्यूबेटर
केरल की सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए 300 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं. मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा है कि सटीक आइडिया के प्रोटोटाइप को स्टार्टअप के रूप में अमलीजामा पहनाने के लिए सालाना एक हजार स्टार्टअप्स को दो लाख रुपये देगी. इंजीनियरिंग छात्रों को इसके दायरे में लाने के लिए उन्हें डिजिटल इन्क्यूबेशन का समग्र फ्रेमवर्क मुहैया कराया जायेगा. इससे दूरदराज के इलाकों में रहनेवाले छात्रों को भी फायदा होगा और आरंभिक स्तर पर ही उन्हें उद्यमिता से जोड़ा जा सकेगा.
बूस्टर किट से कर्नाटक में स्टार्टअप को मिलेगी तेजी
स्टार्टअप इकोसिस्टम में तेजी लाने के लिए कर्नाटक राज्य सरकार बूस्टर किट मुहैया करायेगी़ इस किट में सॉफ्टवेयर टूल्स, क्लाउड क्रेडिट्स आदि को शामिल किया गया है.
इससे स्टार्टअप के लिए मेंटर्स तक आसान पहुंच कायम होने, लीगल और कंसल्टिंग एकाउंटेंट्स व सरकारी फंडिंग तक और सरकारी समर्थित इन्क्यूबेटर्स तक पहुंच कायम करने में सुविधा होगी. माइक्रो व स्मॉल आइटी और बायोटेक से जुड़े उद्यमों के लिए स्टार्टअप्स को इक्विटी जैसे फंड मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार अगले चार सालों के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान करेगी़
डाटा&फैक्ट्स
स्टार्टअप एक्सेलरेटर्स के लिहाज से दुनिया के 10 प्रमुख देश
देश एक्सेलरेटरर्स की संख्या
अमेरिका 2,522
यूके 1,124
भारत 568
कनाडा 446
चिली 442
इजराइल 430
मेक्सिको 306
ब्राजील 297
स्पेन 263
फ्रांस 219
मार्केट के लिहाज से प्रोडक्ट का फिट होना है जरूरी
आज भारत में भले ही स्टार्टअप की लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि करीब 80 से 90 फीसदी तक स्टार्टअप कामयाब नहीं हो पा रहे हैं. हालांकि, प्रत्येक 10 में से जिन नौ के प्रोडक्ट फेल होते हैं, वे सभी स्टार्टअप नहीं होते. यह देखा गया है कि 66 फीसदी संस्थापकों ने अपने ओरिजनल प्लान में व्यापक बदलाव कर दिया है.
हालांकि, बाजार में कामयाबी हासिल करने का प्रमुख फैक्टर यह नहीं होता कि आपका प्लान कितना बेहतर है, बल्कि इस आधार पर होता है कि आप अपने प्लान को लागू किस तरह से कर रहे हैं यानी तय मार्ग पर आप किस तरह से चल रहे हैं. यहां कुछ ऐसे बिंदुओं की चर्चा की जा रही है, जो प्रोडक्ट स्टार्टअप के लिहाज से सटीक हो सकते हैं :
शुरुआत तय करें : एक बार जब आपने आइडिया तय कर लिया कि आपको सबसे पहले बाजार में उपलब्ध उसके विविध विकल्पों का विश्लेषण करना चाहिए. इसका मतलब यह हुआ कि अपने प्लान काे सेट करने से पहले आपको यह निर्धारित कर लेना चाहिए कि बाजार में आप जो प्रोडक्ट लांच करने जा रहे हैं, उनसे संबंधित कारोबार किस तरह के हैं और मौजूदा समय के अनुकूल आप खुद को उनसे बेहतर कैसे बनायेंगे.
अपने प्लान का दस्तावेज बनायें : उद्यमी को सिंगल डायग्राम के जरिये अपने बिजनेस का मॉडल तैयार करना चाहिए और उसमें महत्वपूर्ण चीजों को अलग से रेखांकित करना चाहिए. ऐसे करने से कारोबार से जुड़ी सभी चीजें सदैव आपके सामने होती हैं और आप उसका समुचित मूल्यांकन व कार्यान्वयन कर सकते हैं.
आपका बिजनेस मॉडल ही आपका प्रोडक्ट है : आपको यह समझना होगा कि आपका प्रोडक्ट आपके लिए केवल प्रोडक्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि वह पूरा बिजनेस मॉडल है. आपको उसके सभी पहलुओं पर ध्यान देना होगा, जिसमें कीमत का प्रतिस्पर्धी मूल्यांकन समेत लागत की संरचना और राजस्व से जुड़े अनेक चीजों पर गौर करना होगा.
जोखिम वाले हिस्सों को पहले निबटायें : कहा भी गया है- नो रिस्क, नो गेन, यानी बिना जोखिम के मुनाफा नहीं होता है. हालांकि, इसका मतलब जुआ खेलने से कतई नहीं लगाना चाहिए, बल्कि समय की नब्ज को पहचानते हुए जोखिम को समझना चाहिए और उसके लिए अलग से योजना बनानी चाहिए, क्याेंकि आगे चल कर कारोबार को मुनाफे में ले जाने में इन्हीं फैक्टर्स की भूमिका प्रभावी हो सकती है.
सीखें और आगे बढ़ें : केवल आगे बढ़ते रहने से ज्यादा आपको इस ओर ध्यान देना होगा कि अपना बैकलाॅग्स या पेंडिंग में पड़े कार्यों को निबटाते रहना चाहिए. कई बार आप आगे बढ़ते रहने की प्रक्रिया में चीजों को सीखना छोड़ देते हैं और बहुत से बैकलाॅग्स इकट्ठे होते जाते हैं. लंबे अंतराल के बाद ये चीजें आपके लिए परेशानी का सबब हो सकती हैं.
स्टार्टअप क्लास
उत्पाद को बाजार तक ले जाने में मदद करता है एंजेल इनवेस्टमेंट
दिव्येंदु शेखर
अपना उद्यम शुरू करने के इच्छुक युवाओं की जानकारियों को पुख्ता करते हुए इनकी आगे बढ़ने की राह आसान बनाने में सहयोग दे रहे हैं दिव्येंदु शेखर. कुछ ग्लोबल फाइनेंशियल और कंज्यूमर कंपनियों में काम करने के बाद अब ये ग्लोबल कॉरपोरेशंस और स्टार्टअप्स को ई-कॉमर्स और फाइनेंशियल प्लानिंग में सुझाव देते हैं. ‘स्टार्टअप क्लास’ में पढ़ें प्रभात खबर के पाठकों के सवालों पर इनके जवाब.
– स्टार्टअप के संदर्भ में एंजेल इनवेस्टमेंट और एंजेल इनवेस्टर्स का क्या तात्पर्य है?
एंजेल इनवेस्टमेंट स्टार्टअप में किसी इनवेस्टर के द्वारा शुरुआती दौर में की गयी इनवेस्टमेंट को कहते हैं. यह 50 लाख से दो करोड़ तक के बीच का निवेश होता है, जो कंपनी को अपना प्रोडक्ट बना कर मार्केट में ले जाने में मदद करता है. इस निवेश की शर्तें थोड़ी आसान होती हैं. साथ ही एंजेल निवेशक स्टार्टअप को सही दिशा में जाने में भी मदद देते हैं.
टेलीकॉम सेक्टर में व्हॉट्सएप्प ने दिखाया दम
– टेलीकॉम सेक्टर में ज्यादातर बड़ी कंपनियां हैं. इस सेक्टर में छोटे सेगमेंट में स्टार्टअप के लिए किस तरह के अवसर आपको दिख रहे हैं?
टेलीकॉम सेक्टर में कुछ भी करने के लिए ढांचागत खर्च काफी ज्यादा है. साथ ही लाइसेंसिंग और मार्केटिंग में भी काफी खर्च आता है. इसी कारण इस सेक्टर में वही कंपनियां हैं, जो इस स्तर पर निवेश कर सकें. हालांकि इस क्षेत्र में भी काफी स्टार्टअप हैं, जो काफी अच्छा काम कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण व्हाॅट्सएप्प है.
आज व्हाॅट्सएप्प दुनियाभर में डेढ़ अरब से ज्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं. इस क्षेत्र में अच्छा काम करने की काफी संभावनाएं हैं. क्लाउड टेलीफोनी और वर्चुअल नेटवर्क सर्विसेज में अनेक छोटी कंपनियां उतर रही हैं और उन्हें काफी निवेश भी मिल रहा है.
गिरवी के एवज में मिल सकता है बैंक लोन
– बैंक से लोन हासिल करने के लिए स्टार्टअप के लिए सामान्य प्रक्रिया क्या है? बैंक इन्हें कितनी प्राथमिकता देते हैं?
बैंक स्टार्टअप लोन्स को कोई खास प्राथमिकता नहीं देते. उल्टा स्टार्टअप्स को बैंक लोन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसका कारण है कि बैंक हमेशा एक मुनाफा कमानेवाली कंपनी को लोन देना चाहते हैं, क्योंकि वहां से लोन वापस चुकाने की संभावना ज्यादा होती है. लेकिन अगर आपके पास गिरवी रखने के लिए जमीन, मशीन या कुछ और है, तो बैंक उसके एवज में आपको लोन दे सकते हैं.
कुछ ऐसे बैंक हैं, जो छोटे ढांचागत उद्यमों को छोटी रकम देते हैं. सिडबी छोटे उद्यमियों को 30 से 50 लाख तक के लोन की सुविधा देता है. लेकिन इसके लिए भी आपके पास अपनी तरफ से निवेश करने के लिए कुछ रकम होनी चाहिए. साथ ही राष्ट्रीय लघु उद्यम निगम भी अपनी तरफ से निवेश की योजनाएं चलता है. इस बारे में आपको ज्यादा जानकारी ‘एनएसआइसी डॉट को डॉट इन’ पर मिल सकती है.
निवेश के लिए बनें इंडियन एंजेल नेटवर्क का हिस्सा
– कोई सामान्य निवेशक यदि किसी स्टार्टअप में निवेश करना चाहे, तो उसे कहां संपर्क करना होगा?
अगर आप एक निवेशक हैं और स्टार्टअप में निवेश करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने निवेश की सीमा तय करनी होगी. ज्यादातर निवेशक अपनी पूंजी को 15-20 अलग-अलग स्टार्टअप में लगाते हैं.
इससे निवेश सुरक्षित रहता है. मान लीजिये आपके पास निवेश करने के लिए एक करोड़ रुपये हैं, तो मेरी सलाह होगी कि आप 10-10 लाख रुपये 10 स्टार्टअप में लगायें. ‘एंजेल डॉट को’ पर काफी स्टार्टअप अपने बिजनेस प्लान डालते हैं. आप वहां सीधे इन उद्यमियों से बात कर सकते हैं. अगर आप स्टार्टअप में पहली बार निवेश कर रहे हैं, तो इंडियन एंजेल नेटवर्क का हिस्सा बनें. इसके सदस्य आपस में काफी जानकारियां बांटते हैं और साथ में निवेश करते हैं. इससे निवेश के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है.
बीज बोने की तरह है सीड फंडिंग
– स्टार्टअप में सीड फंडिंग का क्या अर्थ है?
सीड फंडिंग का मतलब स्टार्टअप को बनाते समय उसके प्रबंधकों द्वारा डाला गया पैसा होता है. सीड का सामान्य अर्थ होता है बीज. उसी प्रकार से यह पैसा प्रोडक्ट को बनाने के शुरुआती दौर में खर्च होता है. सीड फंड ज्यादातर 10 से 20 लाख रुपये के बीच होता है और यह रकम संस्थापक खुद लगाते हैं.

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