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किसी को भी न रहने दें अकेला

दक्षा वैदकर कॉलेज के लिए निकल रही साक्षी की नजर दादाजी पर पड़ी. वे गार्डन में एक गमले को खिसका कर कहीं ले जा रहे थे. साक्षी ने पूछा, दादाजी इतने भारी गमले को आप कहां ले जा रहे हैं? दादाजी बोले, यहां यह पौधा सूख रहा है, इसे खिसका कर दूसरे पौधे के पास […]

दक्षा वैदकर
कॉलेज के लिए निकल रही साक्षी की नजर दादाजी पर पड़ी. वे गार्डन में एक गमले को खिसका कर कहीं ले जा रहे थे. साक्षी ने पूछा, दादाजी इतने भारी गमले को आप कहां ले जा रहे हैं? दादाजी बोले, यहां यह पौधा सूख रहा है, इसे खिसका कर दूसरे पौधे के पास कर देते हैं. साक्षी बोली, पौधा सूख रहा है तो खाद डालो, पानी डालो. इसे किसी और पौधे के पास रख देने से क्या होगा? दादाजी बोले, ये पौधा यहां अकेला है इसलिए मुरझा रहा है.
इसे दूसरे पौधे के पास कर देंगे तो ये फिर लहलहा उठेगा. पौधे अकेले में सूख जाते हैं, लेकिन उन्हें अगर किसी और पौधे का साथ मिल जाये, तो जी उठते हैं. साक्षी को यह बात अजीब लगी, लेकिन फिर उसकी आंखों के सामने पुराने दृश्य आने लगे. उसे याद आया कि किस तरह पड़ोस में रहने वाली आंटी की मौत के बाद उनके पति एक ही रात में बहुत बूढ़े हो गये थे. साक्षी को याद आया कि बचपन में उसने एक मछली खरीद कर उसे पॉट में डाला था.
उसे वह खाना भी देती थी, लेकिन वह फिर भी गुमसुम रहती थी. दो दिन बाद वह मर गयी थी. उसे अफसोस हुआ कि काश उसे यह बात पहले समझ आ जाती, तो वह अकेली मछली नहीं खरीदती. दो-तीन साथ खरीदती.
साक्षी को तभी कॉलेज की एक लड़की याद आयी, जो गरीब परिवार से है. उसका रंग सांवला है और कपड़े भी अच्छे नहीं होते, इसलिए कोई उससे दोस्ती नहीं करता. वह चुपचाप बैठी रहती है. साक्षी ने तय किया कि अब वह उस लड़की को अकेलेपन की वजह से मुरझाने नहीं देगी.
दोस्तों, अगर आपके आसपास भी कोई इनसान हो, जो अकेलेपन का शिकार हो या उदास हो, तो उसे अकेला न छोड़ें. ताकि वह पौधे की तरह सूख कर मर न जाये.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

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