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मौलिक संगीत बनाना चाहता हूं: रहमान

आलिया नाज़की बीबीसी उर्दू मशहूर संगीतकार एआर रहमान मौलिक संगीत बनाना चाहते हैं न कि दूसरों से प्रभावित होकर संगीत रचना चाहते हैं. वो कहते हैं कि संगीत आपके अंदर की आवाज़ होती है. जो आप अपने अंदर महसूस करते हैं वो आपके संगीत पर प्रभाव डालता है. वो कहते हैं, ‘जब मैं सूफ़ी संगीत […]

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मशहूर संगीतकार एआर रहमान मौलिक संगीत बनाना चाहते हैं न कि दूसरों से प्रभावित होकर संगीत रचना चाहते हैं.

वो कहते हैं कि संगीत आपके अंदर की आवाज़ होती है. जो आप अपने अंदर महसूस करते हैं वो आपके संगीत पर प्रभाव डालता है.

वो कहते हैं, ‘जब मैं सूफ़ी संगीत बनाता हूं या मुझे सूफ़ी संगीत बनाने के लिए कहा जाता है तब मैं मौलिक संगीत बनाना चाहता हूं ना कि किसी दूसरे से प्रभावित.’

उनका कहना है, "मैं सिर्फ़ फिल्मों के लिए ही संगीत नहीं देता बल्कि मेरा संगीत लोगों के जीवन का हिस्सा होना चाहिए. इसलिए मैं भजन गांऊ या सूफी संगीत इस बात का ख्याल ज़रूर रखता हूं. यह एक आस्था है जो सबको आपस में जोड़ती है. यह वाकई में एक पवित्र चीज है. इसलिए संगीत रचते वक़्त मैं इसका ख़्याल रखता हूं. "

रहमान के बारे में कहा जाता है कि उन्हें रात में नई धुन का आइडिया आता है.

इस पर रहमान कहते हैं कि वो जब बच्चे थे तब दिन में वो स्टूडियो में औरों के लिए काम करते थे और रात में अपने लिए और जब उन्होंने दूसरों के लिए काम करना बंद कर दिया तब भी रात ही उनके काम करने का वक़्त बना रहा.

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रात में काम करने की एक और वजह वो बताते हैं.

वो कहते हैं, "चूंकि रात में आख़िरी नमाज़ बारह बजे पढ़नी होती है और पहली नमाज़ सुबह चार बजे इसलिए बारह बजे सोकर सबुह चार बजे उठना नहीं हो पाता है. इसलिए भी रात में काम करता हूं."

रहमान अपने पिता, नौशाद, एसडी बर्मन, आरडी बर्मन, मदन मोहन, एमएस विश्वनाथन, केवी महादेव और जॉन विलियम्स को अपना पसंदीदा संगीतकार मानते हैं.

किसी संगीतकार से प्रभावित होने की बात पर वो कहते हैं कि यह अच्छी बात भी है और बुरी बात भी.

वो कहते हैं, "आप किसी संगीतकार के समर्पण और संगीत की गहराई से तो सीख सकते हैं. उससे प्रेरित भी हो सकते हैं लेकिन संगीत से नहीं क्योंकि इससे आपकी अपनी पहचान खो जाती है."

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स्लमडॉग मिलिनेयर फिल्म के गाने ‘जय हो’ के लिए एआर रहमान को ऑस्कर मिल चुका है.

क्या रहमान भी ‘जय हो’ को अब तक की अपनी सबसे बेहतरीन कंपोजिशन मानते हैं?

इस पर रहमान का कहना है, "कभी-कभी आपको संगीत बनाने से पहले किसी ख़ास संस्कृति का ख़्याल रखना होता है. पश्चिम संस्कृति के हिसाब से ‘जय हो’ एक परफेक्ट कंपोजिशन है."

इस बारे में आगे वो कहते हैं कि फिल्म के निर्देशक के ऊपर फिल्म को आगे बढ़ाने और दर्शकों के पंसद का ख़्याल रखने की जिम्मेवारी होती है इसलिए कई बार वो जो कहते हैं उसे आंख मूंद कर मानना पड़ता है. इसलिए मैंने डैनी बॉयल पर भरोसा किया.

वो कहते हैं कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच सारे राजनीतिक मतभेद ख़त्म हो जाते हैं और शांति कायम रहती है तो वो पाकिस्तान जाकर परफॉर्मेंस देना पसंद करेंगे.

वो पाकिस्तानी कलाकारों में नुसरत फतह अली खान और मेंहदी हसन को अपना पसंदीदा कलाकार बताते हैं.

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