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कल्पना को कहानी में पिरो रहे बच्चे

आम तौर पर माता-पिता अपने बच्चों को इंटरनेट से दूर रखते हैं, यह सोच कर कि बच्चे का ध्यान पढ़ाई-लिखाई से भटक जायेगा, लेकिन कई ऐसी वेबसाइट्स हैं, जो बच्चों में सीखने की ललक बढ़ाती हैं. उन्हीं में से एक है स्टोरीवीवर डॉट ओआरजी. इसमें कोई भी बच्चा अपनी पसंद की तसवीर चुन कर उस […]

आम तौर पर माता-पिता अपने बच्चों को इंटरनेट से दूर रखते हैं, यह सोच कर कि बच्चे का ध्यान पढ़ाई-लिखाई से भटक जायेगा, लेकिन कई ऐसी वेबसाइट्स हैं, जो बच्चों में सीखने की ललक बढ़ाती हैं. उन्हीं में से एक है स्टोरीवीवर डॉट ओआरजी. इसमें कोई भी बच्चा अपनी पसंद की तसवीर चुन कर उस पर अपनी कल्पना को कहानी में बुन सकता है. खास बात यह है कि बच्चे अपनी कहानी किसी भी भाषा में लिख सकते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर कहानियों को अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद करने का भी मौका दिया जाता है.

हमारा देश कई तरह की बहुलताओं से भरा है. यही बहुलता और विविधता हमें भाषाओं में भी नजर आती है. यहां बीसियों भाषाएं और एक हजार से अधिक मातृभाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं. चूंकि भाषा का सीधा संबंध हमारे व्यक्तित्व, अभिव्यक्ति और सामुदायिक पहचान से जुड़ा रहता है, ऐसे में इसके सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक पहलुओं से हम अनछुए नहीं रह सकते.

भाषा और मातृभाषा की इस अहमियत को देखते हुए प्रथम बुक्स ने कई भाषाओं में बच्चों की कहानियों का प्रकाशन शुरू किया और हाल ही में इंटरनेट पर एक ओपन सोर्स मुक्त कहानियों का प्लेटफॉर्म शुरू किया है. इसका नाम है – स्टोरीवीवर. इस पर उपलब्ध सारी सामग्री प्रकाशनाधिकार मुक्त है.

इस अनोखे मंच पर सभी कहानियों को नयी-नयी भाषाओं में अनुवाद करने की सुविधा है. इस पर मौजूद कहानियों व चित्रों की मदद से दोबारा नयी कहानियां बुनने की छूट है. स्टोरीवीवर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह भारतीय भाषाओं की बहुलता में से बहुत-सारी नयी कहानियां बच्चों तक पहुंचाने का एक नया जरिया बन रहा है. खेल-खेल में सीखने और नयी-नयी चीजों को जानने के लिए जिज्ञासु बनने की दिशा में बच्चों में पढ़ने की क्षमता का विकास बहुत ही जरूरी है. बच्चे की भाषा कोई भी हो, उसे अच्छी पठन सामग्री मिलनी ही चाहिए. इसके लिए बहुआयामी प्रयास होने जरूरी हैं और स्टोरीवीवर ऐसा ही एक प्रयास है.

प्रथम बुक्स के द्वारा शुरू की गयी यह वेबसाइट बच्चों के अंदर रचनात्मक सोच विकसित करने का अच्छा विकल्प बन रही है. इसमें कहानियों को शब्दों में बुन कर रचनात्मक सोच को एक बड़े मंच पर रखने का मौका मिलता है. प्रथम बुक्स की इस पहल से डिजिटल दुनिया में बच्चों के लिए नया स्कोप खुला है. यह बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए रुचिकर, सुगम और निःशुल्क है. यह बच्चों को कहानियों की तरफ आकर्षित करती है. इस साइट पर अलग-अलग उम्र के बच्चे आसानी से अपनी कल्पना से चित्र सहित कहानियां लिख सकते हैं. पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर शुरू की गयी इस वेबसाइट ने इंटरनेट पर बच्चों की तमाम कहानियों का पिटारा खोल दिया है, वह भी मुफ्त में. फिलवक्त स्टोरीवीवर पर 14 देशी व 12 विदेशी भाषाओं का बाल साहित्य उपलब्ध है.

वेबसाइट पर उत्कृष्ट बाल साहित्य को इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध कराया गया है, जहां एक हजार से ज्यादा किताबों को बिना कोई शुल्क दिये पढ़ा या डाउनलोड किया जा सकेगा. इसके अलावा, यहां पर बच्चों की कहानियों से संबंधित दो हजार से ज्यादा चित्र भी उपलब्ध कराये गये हैं. इन चित्रों के माध्यम से कोई भी अपनी कहानी लिख सकता है. आमतौर पर किताबों से दूर भागनेवाले और इंटरनेट से चिपके रहनेवाले बच्चों के लिए स्टोरीवीवर एक अच्छी पहल है, जिसकी मदद से बच्चों में अच्छी पुस्तकों के प्रति लगाव पैदा होगा़.

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