
तुर्की में रविवार को हज़ारों लोग लोकतंत्र के समर्थन में निकली रैली में शामिल हुए और तख़्तापलट की कोशिश की निंदा की.
इस्तांबुल में निकली रैली बुलाई तो थी विपक्षी पार्टी सीएचपी ने, लेकिन इसे राष्ट्रपति रिचप तैयप एर्दोवान की एके पार्टी का भी समर्थन हासिल था.
सत्ता और विपक्ष की ये एकता तुर्की के लिए दुर्लभ है. रैली वाली जगह लाल झंडों से पट गई थी और बैनरों पर जगह जगह नारे लिखे हुए थे, ‘हम गणराज्य की रक्षा करते हैं.’
सीएचपी नेता ने कहा, “लोकतंत्र जीत गया” हालांकि इसके साथ ही उन्होंने तानाशाही के खतरों से आगाह भी किया. एक बैनर पर लिखा था, “तख्तापलट को ना, तानाशाही को ना.”
सीएचपी के कई समर्थक तक़सीम चौराहे पर जमा हुए और मुस्तफा कमाल अतातुर्क की तस्वीर वाले झंडे लहराए. मुस्तफा कमाल को आधुनिक तुर्की का निर्माता कहा जाता है.

तुर्की में राजनीतिक विभेद होने के बावजूद इस्तांबुल के मेयर और एके पार्टी के दूसरे नेता भी विपक्षी दल के प्रदर्शन में शामिल हुए.
सीएचपी नेता कमाल किलिक्दारोग्लु ने कहा कि उथल पुथल के दौरान, "संसद गर्व के साथ खड़ा रहा, तुर्की गर्व के साथ खड़ा रहा, सांसद गर्व से अड़े रहे, इस चौराहे पर लोग गर्व से टिके रहे और लोकतंत्र जीत गया."
हालांकि उन्होंने स्वतंत्र प्रेस के महत्व और संसद की आज़ादी के साथ ही तानाशाही और निरंकुशता के खतरों पर भी ज़ोर दिया.
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