सिमडेगा : जिले में लोगों को भीषण गरमी का सामना करना पड़ रहा है. यहां का पारा 44 डिग्री पार पहुंच चुका है. सुबह 7 बजे से ही देह को तपा देने वाली गरमी से लोगों को रात तक दो चार होना पड़ता है. वर्तमान समय में दिन में सूरज की गरमी से तथा रात को बिजली की कमी से लोगों के शरीर से पसीना निकलता रहता है.
भीषण गरमी के कारण विशेष कर राहगीरों को पेयजल की समस्या से जुझना पड़ रहा है. शहरी क्षेत्र में फिलहाल 10 रुपये भार पानी बिक रहा है. किं तु इस समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं है. तथाकथित समाज सेवी एवं प्रशासन उदासीन बना हुआ है.
राहगीरों को हो रही परेशानी
प्रशासन द्वारा राहगीरों को पेयजल सुविधा मुहैया कराने के लिए कोई व्यवस्था नहीं किया गया है. पिछले वर्ष रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा शहरी क्षेत्र के पांच स्थलों पर राहगीरों के लिए पेयजल की व्यवस्था की गयी थी.
पूर्व में कई समाज सेवियों द्वारा भी शहरी क्षेत्र में कई जगहों पर बोरा से घेर कर प्याउ बनाया जाता था. दिन भर उस प्याउ के अंदर एक व्यक्ति रहता था. बिना कोई जाति, धर्म के भेदभाव किये ही लोगों को पानी पिलाया जाता था. किंतु अब यह संस्कृति भी यहां से विलुप्त हो गयी है.
खराब पड़े हैं दर्जनों चापाकल
नगर पंचायत क्षेत्र में सभी वाडरें में चापाकल खराब पड़े हैं. लगभग सभी वाडरें में अनुमानत: आधा दर्जन से भी ज्यादा चापाकल खराब हैं. यह स्थिति विभागीय लापरवाही के कारण भी हुई है. चुनाव आचार संहिता लगने के साथ ही शहरी क्षेत्र में चापाकलों की मरम्मति का कार्य रोक दिया गया.
जबकि मरम्मति कार्य में आचार संहिता आड़े नहीं आ रहा था. इसके बाद भी चापाकलों की मरम्मति से ध्यान हटा लिया गया. नतीजा गरमी बढने के साथ ही सभी वाडरें में खराब चापाकलों की संख्या भी बढ़ती गयी. वर्तमान समय में भी चापाकल मरम्मति का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है.
लू चलने से सड़कें सुनसान
क्षेत्र में भीषण गरमी के कारण सुबह सात बजे के बाद से ही तपिश के कारण लोगों को परेशानी हो रही है. रोड में लोगों का आना-जाना मुश्किल हो गया है. मुख्य पथ दिन के 12 बजे के बाद से आवागमन पूरी तरह से कम हो जाता है. दोपहर में सड़कें वीरान हो जा रही हैं.
– रविकांत साहू –