
तुर्की में सेना के एक गुट ने सत्ता पर नियंत्रण का दावा किया है.
यूरोप और एशिया के बीच बंटा तुर्की सामरिक रूप से इस क्षेत्र में बहुत महत्त्वपूर्ण जगह रखता है.

इससे पहले भी तुर्की तख़्तापलट और सत्ता में अस्थिरता का गवाह रहा है.
- एक समय में ऑटोमन साम्राज्य का केंद्र रहे तुर्की में 1920 के दशक में राष्ट्रवादी नेता मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क के नेतृत्व में धर्मनिर्पेक्ष गणतंत्र की स्थापना की गई. 1923 में तुर्की को गणतंत्र को घोषित किया गया है. मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क को राष्ट्रपति बनाया गया.
- 1938 में अतातुर्क के निधन के बाद लोकतंत्र और बाज़ार आधारित अर्थव्यवस्था के विकास में खलल पड़ गया. इसके बाद से सेना ने कई बार धर्मनिर्पेक्षता के लिए ख़तरा समझी जाने वाली सरकारों को बेदखल किया है.
- 1952 में तुर्की ने अतातुर्क की तटस्थता की नीति को छोड़ नेटो गठबंधन सेना के साथ हाथ मिला लिया.
- 1960 में डेमोक्रटिक पार्टी की सरकार का सेना ने तख़्तापलट किया.
- 1974 में तुर्की की सेनाओं ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर नियंत्रण कर लिया जिसका नतीजा साइप्रस द्वीप का बंटवारा था.
- 1980 में तुर्की के चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़ केनान एवरेन के नेतृत्व में तीसरा तख़्तापलट किया गया.
- 1984 में कुर्द संगठन पीकेके ने अलगाववादी गुर्रिला अभियान शुरू किया जो एक गृहयुद्ध में तब्दील हो गया. अब तक कुर्द संगठनों और तुर्की की सरकार के बीच संघर्ष जारी है.
- तुर्की काफ़ी लंबे समय से यूरोपीय यूनियन का हिस्सा बनना चाहता रहा है. 2005 में सदस्यता पर बातचीत शुरू हुई थी लेकिन इसमें बहुत धीमी प्रगति हुई है, क्योंकि कई ईयू सदस्य देश तुर्की के सदस्यता को लेकर पूरी तरह सहमत नहीं हैं.2011 में सीरियाई युद्ध शुरू होने के बाद तुर्की की सीमाओं पर लगातार स्थिति तनापूर्ण बनी हुई है. सीरियाई युद्ध से विस्थापित हुए लाखों शरणार्थी तुर्की पहुंच रहे हैं.
- 2015 तुर्की कई पिछले कुछ समय से कई चरमपंथी हमलों का शिकार रहा है. अंकारा में पिछले साल एक रैली पर हमला हुआ, पिछले दिनों इस्तांबुल में अतातुर्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चरमपंथी हमले में कई लोगों की जान गई थी.
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