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आपकी भलाई के लिए डांटते हैं माता-पिता
दक्षा वैदकर छठी कक्षा के बच्चों को पिकनिक पर वाइल्ड लाइफ नेशनल पार्क ले जाया गया. वहां एक गाइड उन्हें जंगल के भीतर ले जाने लगा. मास्टर जी भी बच्चों के साथ थे और बीच-बीच में उन्हें जंगल और वन्य-जीवों के बारे में बता रहे थे. तभी गाइड ने कहा, ‘आप लोग बिलकुल चुप हो […]
दक्षा वैदकर
छठी कक्षा के बच्चों को पिकनिक पर वाइल्ड लाइफ नेशनल पार्क ले जाया गया. वहां एक गाइड उन्हें जंगल के भीतर ले जाने लगा. मास्टर जी भी बच्चों के साथ थे और बीच-बीच में उन्हें जंगल और वन्य-जीवों के बारे में बता रहे थे. तभी गाइड ने कहा, ‘आप लोग बिलकुल चुप हो जाइए और उस तरफ देखिये. एक मादा जिराफ अपने बच्चे को जन्म दे रही है.’
सभी बड़ी उत्सुकता से वह दृश्य देखने लगे. मादा जिराफ बहुत लंबी थी और जन्म लेते हुए बच्चा करीब दस फुट की ऊंचाई से जमीन पर गिरा और गिरते ही उसने अपने पांव अंदर की तरफ मोड़ लिये. इसके बाद मां ने सिर झुकाया और बच्चे को देखने लगी. तभी अचानक कुछ अप्रत्याशित-सा घटा. मां ने बच्चे को जोर से लात मारी और बच्चा अपनी जगह से पलट गया. बच्चे कहने लगे, ‘सर, आप उसे रोकिये, नहीं तो वो बच्चे को मार डालेगी.’ पर मास्टर जी ने उन्हें शांत रहने को कहा. बच्चा अब भी जमीन पर पड़ा हुआ था कि तभी मां ने फिर से उसे जोर से लात मारी.
इस बार बच्चा उठ खड़ा हुआ और डगमगा कर चलने लगा. धीरे-धीरे मां और बच्चा झाड़ियों में ओझल हो गये. बच्चों ने पूछा, ‘वो जिराफ अपने ही बच्चे को लात क्यों मार रही थी?’ मास्टर जी बोले, ‘जंगल में शेर और चीते जैसे बहुत से खूंखार जानवर होते हैं. यहां किसी बच्चे का जीवन इसी बात पर निर्भर करता है कि वो कितनी जल्दी अपने पैरों पर चलना सीख लेता है.
अगर उसकी मां उसे इसी तरह पड़े रहने देती और लात नहीं मारती, तो शायद वह अब भी वहीं पड़ा रहता और कोई जंगली जानवर उसे अपना शिकार बना लेता. बच्चों, ठीक इसी तरह से आपके माता-पिता भी कई बार आपको डांटते-मारते हैं. इसके पीछे उनकी मंशा यही होती है कि आप लाइफ में कुछ बन जायें.’
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
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