18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

#UPEelection2017: UP में कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा शीला दीक्षित

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित को मुख्‍यमंत्री का चेहरा बनाने का फैसला सीधे-सीधे इस ओर इशारा करता है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी की नजर ब्राह्मण वोट पर है. इस वोट बैंक पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी नजर गड़ाये बैठी है. साल 2007 से लगातार मायवती ब्राह्मण […]

नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित को मुख्‍यमंत्री का चेहरा बनाने का फैसला सीधे-सीधे इस ओर इशारा करता है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी की नजर ब्राह्मण वोट पर है. इस वोट बैंक पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी नजर गड़ाये बैठी है. साल 2007 से लगातार मायवती ब्राह्मण समुदाय को आकर्षित करने में जुटी हुईं हैं, उनके इसी फॉर्म्यूले का कमाल था कि वह 2007 में स्पष्ट बहुमत से सत्ता में आईं थीं. ब्राह्मणों में अपने लिए विश्वास बनाए रखने के लिए 2014 लोकसभा चुनावों में भी मायवती ने 80 में 21 सीटों पर ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारा था.

इस कदम के बाद भी प्रदेश में कांग्रेस की डगर बहुत आसान होती नहीं दिख रही है. आपको बता दें कि27 सालों से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर रही कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनावों में ब्राह्मण चेहरा पर दांव खेला है. 1998 में एनडी तिवारी कांग्रेस के सुबे में आखिरी मुख्यमंत्री बने थे. गुरुवार को सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस ने अगले साल की शुरुआत में होनेवाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए गुरुवार को शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया जिसके बाद भाजपा ने चुटकी ली और कहा कि राहुल गांधी उनकी जगह होते तो खेल में मजा आता.

वहीं कांग्रेस ने कहा है कि शीला को उनके अनुभव और दिल्ली में 15 साल तक सरकार चलाने के दौरान उनके अच्छे काम की वजह से यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है. उत्तर प्रदेश में पार्टी मामलों के प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दिल्ली में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीला की अच्छी साख को देखते हुए उन्हें पार्टी का चेहरा बनाने का फैसला किया गया.

पार्टी ने राज्य के लिए समन्वय और प्रचार समिति की भी घोषणा की. समन्वय समिति की अगुवाई संजय सिंह करेंगे, जबकि प्रचार समिति की कमान प्रमोद तिवारी को सौंपी गयी है. चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सिफारिश की थी कि शीला दीक्षित को एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश कर राज्य में पार्टी के चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका निभाने देना चाहिए, ताकि वोटों के लिहाज से अहम ब्राह्मण समुदाय का समर्थन कांग्रेस को फिर से हासिल हो सके.पंजाबी खत्री परिवार में जन्मीं 78 साल की शीला उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे उमा शंकर दीक्षित की पुत्रवधु हैं. उमा शंकर दीक्षित राज्य के बड़े ब्राह्मण नेता थे, जिन्होंने केंद्रीय मंत्री व राज्यपाल के तौर पर लंबे समय तक सेवाएं दी. साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के उदय के साथ ही दिल्ली में मुख्यमंत्री के तौर पर शीला का सफर खत्म हुआ था.

पार्टी का शुक्रिया, प्रियंका पूरे राज्य में प्रचार करें

इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने पर शीला ने पार्टी नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वह चाहेंगी कि प्रियंका गांधी पूरे राज्य में उनके साथ प्रचार करें. शीला ने कहा कि प्रियंका काफी लोकप्रिय नेता हैं. मेरी गुजारिश होगी कि वह पूरे राज्य में चुनाव प्रचार करें. उत्तर प्रदेश में अपने लिए बड़ी चुनौती होने की बात स्वीकार करते हुए शीला ने कहा कि कांग्रेस पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी और भाजपा, सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और बसपा से एक समान तरीके से मुकाबला करेगी.

हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उत्तरप्रदेश की जनता कोई भी बाहरी चेहरे को स्वीकार नही करेगी. हम अपने पांच साल के विकास कार्ड पर लड़ेंगे.
पंखुरी पाठक, सपा

कांग्रेस के अंदर संशय है जिसके कारण शीला दीक्षित को आगे किया है. वो इनका चेहरा भी स्थापित नहीं कर पायेंगे. हम पूरा परिश्रम कर रहे हैं आगे आने के लिए.
विजय बहादुर पाठक, भाजपा

चुनौतियां भी कम नहीं : वैसे चुनौतियां कम नहीं हैं, जिस तरह से सपा की ओर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को केंद्र के साथ यूपी सरकार पर भी हमला बोलना होगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें