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प्रोफ़ेसर साहब नहीं जानते आईएमएफ़ का मतलब

रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश के केंद्रीय बैंक के प्रमुख के लिए तीन साल का कार्यकाल बहुत छोटा है. राजन ने गुरुवार को संसद की एक स्थायी समिति से कहा कि अमरीका में गवर्नर का कार्यकाल चार साल का होता है. जबकि कई देशों में गवर्नर का कार्यकाल पांच […]

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रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि देश के केंद्रीय बैंक के प्रमुख के लिए तीन साल का कार्यकाल बहुत छोटा है.

राजन ने गुरुवार को संसद की एक स्थायी समिति से कहा कि अमरीका में गवर्नर का कार्यकाल चार साल का होता है. जबकि कई देशों में गवर्नर का कार्यकाल पांच साल का होता है.

‘हिंदुस्तान टाइम्स ‘ ने इस ख़बर को पहले पन्ने पर जगह दी है.

वहीं ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के हवाले से बताया है कि राजन ने मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर रहते हुए रिज़र्व बैंक के गवर्नर के तौर पर काम करने की इच्छा ज़ाहिर की थी. सिंह ने कहा है कि वो राजन से किया वादा पूरा करने में कामयाब रहे. साल 2013 में रिज़र्व बैंक के गवर्नर बने राजन ने हाल में कहा था कि वो दूसरा कार्यकाल नहीं चाहते हैं.

‘द स्टेट्समैन ‘ के मुताबिक़ वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट जिम योंग किम ने राजन की जमकर तारीफ़ की है. अखबार ने योंग के हवाले से बताया है कि उन्हें भारत के राजनीतिक नेतृत्व ने जानकारी दी है कि रिज़र्व बैंक में आगे भी स्वतंत्र प्रमुख होगा.

‘द हिंदू’ ने अपनी पहली ख़बर में बताया है कि वर्ल्ड बैंक भारत की सौर परियोजनाओं के लिए एक अरब डॉलर की मदद देगा.

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‘द इंडियन एक्सप्रेस ‘ ने भारत में आर्थिक सुधार की शुरुआत के 25 साल पूरे होने के मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के साक्षात्कार को पहली ख़बर के तौर पर जगह दी है. अखबार ने इसकी सुर्खी दी है, ‘मनमोहन सिंह को अफ़सोस है: संकट के वक्त हम कार्रवाई करते हैं. जब ये ख़त्म हो जाता है तो यथास्थिति अपना लेते हैं.’

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‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने ‘नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन’ के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के नतीजे को अपनी पहली ख़बर बनाया है.

अखबार ने सर्वे के हवाले से बताया है कि जो सामान और सेवाएं शहरी जीवनशैली से जुड़ी मानी जाती थीं, भारत के गांवों में रहने वाले लोग उनमें से ज्यादातर पर ख़र्च कर रहे हैं. इनमें माइक्रोवेव और लॉन्ड्री सर्विस से लेकर हवाई यात्रा और बाहर खाना तक शामिल है.

अख़बार के मुताबिक़ भारत के गावों में महीने में सेवाओं पर प्रति व्यक्ति 331 रुपये 75 पैसे ख़र्च होते हैं. जबकि शहरों में ये राशि 819 रुपये 36 पैसे है. वहीं सामान पर गांवों में प्रति व्यक्ति प्रति माह होने वाला ख़र्च 1469 रुपये है जबकि शहरों में 2602 रुपये है.

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सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के रुप में मान्यता देने के अपने फ़ैसले को संशोधित करने से इनकार करते हुए कहा है कि लेस्बियन, गे और बाईसेक्सुअल लोगों को इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.‘द स्टेट्समैन’ ने इसे अपनी पहली ख़बर बनाया है और हेडिंग दिया है, ‘लेस्बियन, गे तीसरा लिंग नहीं है: सुप्रीम कोर्ट’

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‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़ गुडगांव के चार गांवों के विकास के लिए लाइसेंस दिए जाने में हुई कथित अनियमितताओं की जांच कर रहे जस्टिस एसएन धींगरा ने हरियाणा सरकार से छह हफ्ते का वक्त और मांगा है. सरकार कमीशन का कार्यकाल बढ़ाने को तैयार हो गई है. अखबार ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज के हवाले से बताया है कि अगर उन्हें ‘बेनामी सौदों’ से जुड़े कुछ और कागज़ नहीं मिले होते तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी होती.

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‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक ख़बर के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में अर्थशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर के मुताबिक़ आईएमएफ का मतलब है ‘इंटरनेशनल मनी फाउंड’. ये लेक्चरर यूपी यूनिवर्सिटीज़ से संबद्ध एक कॉलेज में पढ़ाते हैं. वहीं एक अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर ‘evaluation’ की सही स्पेलिंग नहीं बता सके. दोनों प्रोफेसरों का टेस्ट एक केंद्रीय कॉर्डिनेटर ने लिया था.

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