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इमर्जेंसी के दिनों में जब जार्ज फर्नांडिस को ‘खुशवंत” बनना पडा

नयी दिल्ली : इमर्जेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए जार्ज फर्नांडिस को पगडी पहन और दाढी रख कर सिख का भेष धारण किया था जबकि गिरफ्तारी के बाद तिहाड जेल में कैदियों को गीता के श्लोक सुनाते थे. फर्नांडिस के साथ जेल में रहे 76 साल के विजय नारायण ने पुरानी यादें ताजा […]

नयी दिल्ली : इमर्जेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने के लिए जार्ज फर्नांडिस को पगडी पहन और दाढी रख कर सिख का भेष धारण किया था जबकि गिरफ्तारी के बाद तिहाड जेल में कैदियों को गीता के श्लोक सुनाते थे. फर्नांडिस के साथ जेल में रहे 76 साल के विजय नारायण ने पुरानी यादें ताजा करते हुए यहां बताया, ‘‘ पुलिस हमें ढूंढ रही थी. हम न सिर्फ छिप रहे थे, बल्कि अपना काम भी कर रहे थे. गिरफ्तारी से बचने के लिए जार्ज ने पगडी और दाढी के साथ एक सिख का भेष धारण किया था. उन्होंने बाल बढा लिए थे. वह मशहूर लेखक के नाम पर खुद को ‘खुशवंत सिंह’ कहा करते थे.” फर्नांडिस के साथ नारायण और अन्य लोगों को 10 जून, 1976 को कोलकाता में गिरफ्तार किया गया था। कुख्यात बडौदा डायनामाइट मामले में उन पर मुकदमा चलाया गया था. इसमें उनपर सरकार का तख्तापलट करने के लिए सरकार के खिलाफ युद्ध छेडने का भी मुकदमा चलाया गया था.

वर्तमान में 86 वर्षीय फर्नांडिस अल्झाइमर बीमारी से पीडित हैं और दिल्ली में अपनी पत्नी लैला कबीर के साथ रह रहे हैं. 1974 की रेल हडताल के बाद वह कद्दावर नेता के तौर पर उभरे और उन्होंने बेबाकी के साथ इमर्जेंसी लगाए जाने का विरोध किया था. फर्नांडिस, नारायण और उनके अन्य साथियों को कोलकाता में सेंट पाल्स चर्च से गिरफ्तार किया गया था. वाराणसी में जन्मे नारायण ने कहा, ‘‘ सेंट पाल्स चर्च में जार्ज के पास एक टाइपराइटर, एक साइक्लोस्टाइल मशीन थी और वह इसी से पत्र लिखते थे जिसे मैं विभिन्न स्टेशनों पर रेलवे मेल सर्विस के काउंटरों पर डालने जाया करता था।” उन्होंने बताया, ‘‘ मैंने पुलिस से बचने के लिए एक बनारसी मुस्लिम बुनकर का वेश धारण किया था। हम भले ही छिप रहे थे, लेकिन निष्क्रिय नहीं थे।” नारायण ने कहा, ‘‘ जहां जार्ज को उसी रात :10 जून: भारतीय वायुसेना के एक कार्गो विमान में दिल्ली ले जाया गया, मुझे पुलिस हिरासत में रखा गया और करीब एक पखवाडे तक कोलकाता में पुलिस के खुफिया ब्यूरो द्वारा मुझसे पूछताछ की गई. बाद में हम सभी को दिल्ली के तिहाड जेल में डाल दिया गया और मुकदमा तीस हजारी कोर्ट में चला.”

उन्होंने कहा, ‘‘ जेल में रहते हुए जार्ज का एक चमत्कारिक व्यक्तित्व था और वह सुबह में साथी कैदियों को गीता का पाठ पढाया करते थे और हम सभी तिहाड में लाइब्रेरी से पुस्तकें पढा करते थे। फर्नांडिस और उनके साथियों को तिहाड जेल से तीस हजारी कोर्ट कई वैनों में ले जाया जाता और 200 पुलिसकर्मी साथ में होते थे।” बिहार से सांसद के तौर पर फर्नांडिस, वीपी सिंह की सरकार में रेल मंत्री रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह रक्षा मंत्री रहे। नारायण ने कहा कि इन राजनीतिक उपलब्धियों के बावजूद फर्नांडिस एक साधारण जीवन व्यतीत करते हैं. ईसाई परिवार में जन्मे फर्नांडिस, संसद में कभी अंग्रेजी में नहीं बोले और उनकी हिंदी, मराठी और कन्नड भाषाओं पर अच्छी पकड है.

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