
"जब भी ओलंपिक आते हैं तो सबको भूख लगती है. विशेषकर जब मैं तीन ओलंपिक में हिस्सा ले चुका हूँ, और उसके लिए मैंने बहुत सारी ट्रेनिंग की. अब अगर 2016 मेरे सामने है और प्रोफ़ेनशल मुक्केबाज़ों को भी रियो ओलंपिक में भाग लेने का अवसर मिल रहा है तो फिर मैं क्यों पीछे रहूं."
अपने ही अंदाज़ में इस तरह सोमवार को दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले भारत के विजेन्दर सिंह ने कहा, "मैं उसके सपने क्यों ना देखूं आख़िरकार अपने देश के लिए ओलंपिक में खेलने से बड़ा क्या है."
उनसे सवाल किया गया था कि इसी होटल में आपने पिछले साल ओलंपिक की बात चलने पर कहा था, "वह अब सपना है."
दरअसल पिछले दिनों पेशेवर मुक्केबाज़ी में लगातार छह मुक़ाबले जीतकर अब अगले महीने दिल्ली में 16 तारीख़ को एशिया पेसेफ़िक सुपर मिडिलवेट चैंपियनशिप ख़िताब के लिए ऑस्ट्रेलिया के कैरी होप से होने वाले मुक़ाबले को लेकर विजेन्दर मीडिया से रूबरू थे.

उस समय वो ओलंपिक छोड़ने की बात कर रहे थे.
लेकिन उनका अब कहना है, "उस समय पेशेवर मुक्केबाज़ ओलंपिक में भाग नहीं ले सकते थे. ग़ैर-पेशेवर मुक्केबाज़ ही उसमें खेल सकते थे. यहां तक कि ग़ैर-पेशेवर मुक्केबाज़ पेशेवर मुक्केबाज़ी नहीं लड़ सकते. अब वह खाई भर चुकी है, दीवार गिर चुकी है ओलंपिक में पेशेवर और ग़ैर-पेशेवर दोनों मुक्केबाज़ लड़ सकते हैं."

जब उनसे पूछा गया, "आपने पेशेवर मुक़ाबले बड़ी आसानी से जीते तो क्या वहां लड़ना आसान है?”
इस पर उनका जवाब भी किसी पंच की तरह आया, "कभी आप एक दिन मेरे साथ जिम में बिताओ तो पता चलेगा. जितना आसान लगता है उतना आसान नहीं होता. वह कोई मेरे सगे भाई-बंधु नहीं हैं बहुत मारते हैं."
विजेन्दर ने कहा, "मैं तो सोच रहा हूं कि कैरी होप को भी जल्दी मात दूं और और अपने घर जाऊं."

उल्लेखनीय है कि अगर विजेन्दर कैरी होप के ख़िलाफ़ जीत जाते हैं तो यह उनका पहला पेशेवर ख़िताब होगा.
कैरी होप यूरोपियन चैंपियन हैं. यह मुक़ाबला विजेन्दर के लिए पहली बार 10 राउंड का होगा.
विजेन्दर ने यह भी साफ किया कि उनके प्रमोटर उनके ओलंपिक में खेलने की बात का विरोध नहीं करेंगे.
अगर सब कुछ ठीक रहा और वेनेजुएला में उन्हें अगले महीने तीन से आठ जुलाई तक होने वाले ओलंपिक क्वालिफ़िकेशन टूर्नामेंट में भाग लेने का अवसर मिलता है तो वह वहां ज़रूर जाएंगे.
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