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प्रधानमंत्री मोदी वॉशिंगटन के नामीगिरामी थिंक टैंक्स के साथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमरीका दौरा शुरू हो चुका है और मंगलवार की सुबह व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ओबामा के साथ उनकी मुलाक़ात होगी.
मोदी सोमवार की दोपहर वॉशिंगटन पहुंचे और हवाई अड्डे से वो सीधा आर्लिंगटन सेमेट्री गए जहां कई अमरीकी शहीदों और अमरीकी नायकों को दफ़नाया गया है.
उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री ने 2003 में कोलिंबिया स्पेस शटल हादसे में मारी गईं भारतीय मूल की ऐस्ट्रोनॉट कल्पना चावला को भी श्रद्धांजलि दी और उनके परिजन से मिले.
वहीं भारतीय मूल की एक और ऐस्ट्रॉनॉट सुनीता विलियम्स भी मौजूद थीं और प्रधानमंत्री ने कुछ पलों के लिए उनसे भी बात की.
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सोमवार की शाम ही एक समारोह में अमरीकी प्रशासन ने भारत से चोरी हुई कई प्राचीन मूर्तियां भी लौटाईं और फिर प्रधानमंत्री वॉशिंगटन के नामीगिरामी थिंक टैंक्स के प्रमुखों से भी मिले.
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प्रधानमंत्री का ये काफ़ी व्यस्त दौरा है.
पिछले दौरों की तरह इस बार मैडिसन स्कवेयर गार्डन या फे़सबुक जैसे मंचों पर भारतीय समुदाय के साथ उनका कोई कार्यक्रम नहीं है लेकिन जानकारों के अनुसार इस दौरे में इन पांच बातों पर नज़र रहेगी:
- ओबामा की उम्मीद: माना जा रहा है कि दोनों ही नेताओं के बीच ये आख़िरी द्विपक्षीय मुलाक़ात हो सकती है और इसमें पिछले दो सालों में जो द्विपक्षीय प्रस्ताव रखे गए हैं उनका लेखा-जोखा लेकर उन्हें एक ठोस स्वरूप देने की कोशिश होगी. संभव है कि ओबामा पेरिस जलवायु समझौते के तहत भारत ने जो वादे किए हैं उनपर प्रधानमंत्री की अंतिम मुहर के लिए दबाव डालें.
- एक दूसरे के सैन्य-तंत्र के इस्तेमाल पर समझौता: लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ़ ऐग्रीमेंट नामके इस समझौते के तहत अमरीकी फ़ौजी विमान भारत और उसके सैन्य अड्डों पर इंधन या मरम्मत के लिए उतर सकते हैं. इस पर सैद्धांतिक रूप से समझौता हो चुका है लेकिन दोनों ही पक्ष पूरी कोशिश में हैं कि इस दौरे पर इसपर दस्तख़त हो जाएं. भारत के गुटनिरपेक्ष इतिहास को देखते हुए ये एक बहुत बड़ा क़दम है और भारतीय अधिकारी इस पर बेहद संभलकर बयान दे रहे हैं लेकिन जानकारों के अनुसार दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य रिश्तों के लिए ये एक ऐतिहासिक समझौता होगा.
- परमाणु बिजलीघरों का ठेका: बुश प्रशासन के दौरान भारत और अमरीका के बीच ऐतिहासिक परमाणु संधि के बावजूद किसी अमरीकी कंपनी को भारत में परमाणु बिजली-घर बनाने का ठेका अभी तक नहीं मिला है. इस मामले पर कुछ स्थानीय भारतीय क़ानून थे जिन पर सहमति नहीं बन पा रही थी. अब जबकि सहमति बन गई है तो माना जा रहा है कि इस दौरे पर ही अमरीकी परमाणु उर्जा कंपनी वेस्टिंगहाउस को छह बिजलीघर बनाने का कांट्रैक्ट दिए जाने का एलान हो जाए.
- मोदी की उम्मीद: भारत न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानि परमाणु ऊर्जा से जुड़ी टेक्नोलॉजी और उसके व्यापार को नियंत्रित करने वाले संगठन की सदस्यता के लिए दुनिया भर में समर्थन जुटा रहा है. ओबामा प्रशासन इसके हक़ में है लेकिन अगर राष्ट्रपति ओबामा उससे संबंधित कोई ऐलान करते हैं तो माना जा रहा है कि ये प्रधानमंत्री मोदी के लिए अच्छी ख़बर होगी.
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- कांग्रेस की साझा बैठक को संबोधन: मोदी अमरीकी कांग्रेस की साझा बैठक को संबोधित करनेवाले पांचवें भारतीय प्रधानमंत्री होंगे लेकिन उनके लिए ये कई मायनों में ऐतिहासिक है क्योंकि इसी कांग्रेस में उन्हें अमरीका में पांव नहीं रखने देने का प्रस्ताव पास हुआ था. अमरीकी नीतियों के गठन में कांग्रेस की अहम भूमिका होती है और उनकी भूमिका कई बार राष्ट्रपति से ज़्यादा अहम होती है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस मौक़े पर न सिर्फ़ कांग्रेस के सदस्यों के सामने भारत के विकास का एजेंडा पेश करेंगे, आर्थिक सुधारों की बात करेंगे बल्कि उन आशंकाओं को भी दूर करने की कोशिश करेंगे जो पिछले दिनों में कांग्रेस के सदस्यों की तरफ़ से उठी हैं. इनमें ख़ासतौर से आर्थिक सुधारों की रफ़्तार और भारत में मानवाधिकार और अल्पसंख्यकों के हक़ से जुडी जो आशंकाएं हैं, मोदी उनपर भी रौशनी डाल सकते हैं.
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