जीमराठी पर एक सीरियल आता है ‘पसंद आहे मुलगी’. इस सीरियल में घर की बड़ी बहू बहुत बड़ी गलती कर देती है. सभी उससे नाराज हो जाते हैं और उसे हमेशा के लिए मायके भेज देना चाहते हैं, लेकिन घर की छोटी बहू को लगता है कि उन्हें माफ कर देना चाहिए. वह जेठ को समझाते हुए एक कहानी सुनाती है.
एक राजा थे. उसके राज्य में चार लोग चोरी करते हैं. जब चारों चोरों को राजा के सामने पेश किया जाता है, तो वे एक चोर पर नाराज हो जाते हैं और दूसरे चोर से कहते हैं कि मुझे तुमसे यह अपेक्षा नहीं थी. तीसरे चोर का हाथ तोड़ देने का हुक्म सुनाते हैं और चौथे चोर को आजीवन कारावास की सजा देते हैं. रानी यह सब देखती है. वह राजा से पूछती है कि सभी चोरों का गुनाह एक ही था, फिर आपने सभी को अलग-अलग सजा क्यों दी?
राजा कहते हैं, हर व्यक्ति के स्वभाव के मुताबिक शिक्षा दी जाना चाहिए. कोई आदमी केवल डांट देने भर से गलती समझ लेता है, तो किसी को कितनी भी बड़ी सजा दो, वह कभी नहीं बदलता. कुछ दिनों बाद खबर आती है कि जिस चोर को राजा ने डांटा था, उसने दुबारा ऐसा न करने की कसम खायी और नेक काम करने में लग गया.
जिस चोर को राजा ने कहा था कि मुझे तुमसे यह अपेक्षा नहीं थी, वह प्रायश्चित करने के लिए गांव छोड़ कर चला गया. वहीं, जिस चोर के हाथ तोड़ देने का हुक्म राजा ने दिया था, वह कैद से भागने की कोशिश करता है और जिस चोर को आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी, वह जेल के सिपाही की अंगूठी चोरी करता पकड़ा जाता है. सारी सूचनाओं की जानकारी होने पर रानी को राजा के न्याय पर गर्व होता है.
छोटी बहू आगे कहती है कि अपनी भाभी पहले प्रकार की है. उन्हें माफ कर दो. यह सुन परिवार के लोग उसे माफ कर देते हैं.
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