पेरिस : लीबिया की संयुक्त राष्ट्र समर्थित एकता सरकार ने इस्लामिक स्टेट समूह से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सैन्य हस्तक्षेप से इंकार किया है. वर्ष 2014 के बाद से इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी लीबिया में बढती जा रही है. अमेरिका और रुस सहित करीब 25 देशों ने पिछले माह जिहादियों से निपटने में लीबिया की मदद करने पर सहमति जताई थी लेकिन प्रधानमंत्री फायेज अल-सराज ने फ्रांसीसी समाचार पत्र जर्नल दू दिमानचे को बताया कि वह अपनी जमीन पर विदेशी सैनिकों को आने की अनुमति नहीं देंगे.
आज प्रकाशित साक्षात्कार में उन्होंने कहा है ‘‘यह सच है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लडाई में हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की जरुरत है और यह भी सच है कि यह मदद हमें पहले ही मिल चुकी है.” सराज ने कहा ‘‘लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के बारे में बात नहीं कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि विदेशी सैनिकों की हमारी भूमि में मौजूदगी हमारे सिद्धांतों के खिलाफ होगी. ‘‘इसके बजाय हमें सैटेलाइट से तस्वीरों, खुफिया और तकनीकी मदद की जरुरत है, न कि बमबारी की।”
त्रिपोली में दो माह पूर्व स्थापित राष्ट्रीय एकता की सरकार :जीएनए: हिंसा प्रभावित लीबिया को एकजुट करने तथा पूरे उत्तर अफ्रीकी देश को अपने नियंत्रण में लेने के लिए प्रयासरत है. बहरहाल, उसे पूर्वी हिस्से से प्रतिरोध का सामना करना पड रहा है. पूर्वी हिस्से में बंदूकधारियों और राष्ट्रीय सेना की कुछ इकाइयों को मिला कर विवादित जनरल खलीफा हफतार ने अपनी अलग सेना बना रखी है. दोनों ही पक्ष लीबिया के तटीय शहर सिरते से इस्लामिक स्टेट समूह को खदेडने में एक दूसरे से आगे निकलने की होड में हैं. सिरते को जिहादियों का गढ माना जाता है.
जीएनए के प्रति निष्ठा रखने वाले बलों ने कल बताया कि उन्होंने शहर के समीप स्थित जिहादियों के वायु सेना स्टेशन को अपने कब्जे में ले लिया. सराज ने जर्नल दू दिमानचे को बताया कि सिरते में आईएस पर पूरी तरह विजय पा ली गई है. उन्होंने कहा ‘‘:हमें उम्मीद है कि: आतंकवाद के खिलाफ यह लडाई लीबिया को एकजुट कर पाएगी। लेकिन इसमें समय लगेगा। और यह बात अंतरराष्ट्रीय समुदाय जानता है.”