आधुनिक मुहावरे में कहूं, तो जीने के लिए ‘लाइफ सपोर्ट’ चाहिए. निजी विचार में यह सपोर्ट किताबों, पुस्तकों, विचारों से मिलता है. लिंकन का यह ऐतिहासिक पत्र मानव समाज की धरोहर है. और समाज के लिए लाइफ सपोर्ट. खासतौर से शिक्षक दिवस के अवसर पर हम इसे छाप रहे हैं, क्योंकि यह पत्र न सिर्फ किसी अध्यापक के लिए है, और न किसी खास विद्यार्थी के लिए. बल्कि भारत के लिए प्रासंगिक है. कहां पहुंच गये हैं हम? महान क्रांतिकारी संत रामनंदन मिश्र ने कहा था कि यह धरती इतनी बंजर हो गयी है कि बेहतर से बेहतर बीज डालिए, वे पौधा नहीं बनते.आजादी के साठ वर्षों बाद, आबादी तो कई गुना बढ़ गयी पर जो हमारा नेतृत्व करने निकल रहे हैं, उनका चरित्र देखिए. झूठ बोलनेवाले, पाखंडी, दलाल और देश बेच खानेवाले. अगर इस दलदल से निकलना है, तो अब अध्यापक और बच्चे ही भविष्य हैं. लिंकन ने अपने बच्चे के लिए उसके स्कूल मास्टर को यह पत्र लिखा. जिन्हें देश, समाज, भविष्य, परिवार और बेहतर नागरिक की चिंता है, वे इसे जरूर पढ़ें. हम इसका अंगरेजी मूल भी छाप रहे हैं. जो समाज गढ़ना चाहते हैं, उनसे आग्रह है कि वे इस पत्र के अंगरेजी पाठ और हिंदी अनुवाद को लाखों-लाखों छात्रों के बीच बांटे, पढ़ायें, प्रचार करें ताकि भारत बदल सके.
-हरिवंश-
ईर्ष्या से उसे बचाएं. दूर रखें. अगर आप उसे यह सिखा पाते हैं, पढ़ा पाते हैं, तो बताइए कि एकांत हंसी का राज क्या है? उसे यह जल्द सिखाइए कि दबंग या दादा सबसे पहले धूल चाटते हैं या पराजित होते हैं.अगर आप बता सकें, तो उसे यह बताइए कि पुस्तकों का आनंद क्या है? उसे यह भी बताइए, अकेले शांत समय में वह आसमान में उड़ते पक्षियों के उड़ने के अनादि अनंत रहस्य को जाने. धूप, फूलों और हरी पहाड़ी वादियों में भंवरे और मधुमक्खियों के उड़ने का आनंद भी ले.
उसे पढ़ाइए कि जब वह अत्यंत दुखी हो, तो वह हंसना जाने. उसे यह जरूर बताइए, आंसू के बहने में कोई शर्म नहीं है. उसे यह रहस्य समझाइए कि अत्यंत मीठा बोलनेवालों से सावधान रहे, और निंदक या कटु स्वभाववाले या दूसरों के दोष निकालनेवाले को गंभीरता से न ले. उसे बताइए कि वह अपनी प्रतिभा, श्रम, सबसे अधिक पैसा देनेवालों के हाथ बेचे, पर अपने दिल और अपनी आत्मा को किसी भी कीमत पर बंधक न रखे.
अगर उसे लगे कि वह अपने बातों पर सही है, तो उसे लड़ना सिखाइए. उस हालत में भी, जब पागल और उन्मादी भीड़ उसके खिलाफ खड़ी हो और वह अकेले हो, तब भी अपने मूल्यों और आस्था पर टिके, न डिगे उसे यह बताइए. उसे संवेदनशील बनाइये, पर उसे दुलरुआ मत बनाइये, क्योंकि सबसे तेज आंच और आग में ही सबसे बेहतर स्टील तैयार होता है.