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हर शब्द से उम्मीद की आहट
हिंदी भाषा में पुस्तकों के प्रकाशन का संसार बड़ा होता जा रहा है. आज के साहित्य सोपान पन्ने पर हम आपको कुछ नयी पुस्तकों से रू-ब-रू करा रहे हैं, जो विभिन्न प्रकाशन संस्थानों की ओर से हमारे पास आयी हैं. अलग-अलग विषयों पर लिखी गयी इन पुस्तकों पर आइए डालें एक नजर- यादें, यादें!…और यादें… […]
हिंदी भाषा में पुस्तकों के प्रकाशन का संसार बड़ा होता जा रहा है. आज के साहित्य सोपान पन्ने पर हम आपको कुछ नयी पुस्तकों से रू-ब-रू करा रहे हैं, जो विभिन्न प्रकाशन संस्थानों की ओर से हमारे पास आयी हैं. अलग-अलग विषयों पर लिखी गयी इन पुस्तकों पर आइए डालें एक नजर-
यादें, यादें!…और यादें…
रचनाकार : पुष्पा भारती
प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
पृष्ठ : 184
मूल्य : 300 रुपये
भावभीनी चित्रात्मक भाषा, साथ ही परिनिष्ठित शैली में गद्य लिखने की लेखिका की क्षमता अद्वितीय है. इस पुस्तक में लेखिका ने सहज-सरल भाषा में जो चित्र उकेरे हैं, वे मन और मस्तिष्क दोनों पर सहज ही अंकित हो जाते हैं. सारे के सारे लेख लीक से हट कर हैं. उनमें कहानी का रस भी है और कहीं-कहीं कविता की चिरमयता भी, जो अंतर में गहरे अंकित हो जाती है और कथाओं में वर्णित सभी पात्रों के अंतर की धड़कनें भी सुनाई देने लगती हैं. एक-एक कथा मार्मिक, रोचक और व्यक्तित्व को उद्घाटित करनेवाली है.
नक्सलवाद : झारखंड के झरोखे से
रचनाकार : राम चंद्र राम (भा.पु.से.-से.नि.)
प्रकाशक : इंडिका इंफोमीडिया, नयी दिल्ली
पृष्ठ : 399
मूल्य : 300 रुपये
लेखक ने नक्सल प्रभावित जिलों में पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उप महानिरीक्षक के पदों पर काम करने के बाद अपने अनुभवों को कागज पर उतारा है. इसमें बिहार और झारखंड में नरसंहार, नक्सलवाद, मुठभेड़ आदि पर बारीकी से चर्चा की गयी है. लेखक ने अपनी पुस्तक में इस बात पर खास जोर दिया है कि सरकार को नक्सलवाद की जड़ों को तलाशना चाहिए. साथ ही, इसकी वजहों का भी मूल्यांकन कर अपेक्षित कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि कोई गरीब, दलित या आदिवासी नक्सली नहीं बन सके.
सुखी जीवन के तीन सत्य
रचनाकार : सद्गुरु जग्गी वासुदेव
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस, भोपाल
पृष्ठ : 231
मूल्य : 225 रुपये
इस पुस्तक में सद्गुरु अपनी समर्पित टीम की सहायता से सर्वाधिक महत्वपूर्ण जानकारियों को उन लोगों के सामने रखने में सक्षम हुए हैं जो खुशहाल जीवन के बारे में जानना चाहते हैं.
यह पुस्तक पढ़ने और आत्मसात करनेवाली एक भेंट है़ इसमें स्वस्थ उत्साह के साथ जीवन जीने के अनेक सुझाव हैं. इसमें छोटे-छोटे टुकड़ों में अपने दैनिक जीवन को अनुभव करने, समझने और क्रियान्वित करने के लिए जीवन बदलने की जानकारी दी गयी है़ हर अध्याय में हमारे लौकिक और गूढ़, दोनों स्तरों के विचारात्मक द्वंद्व को समझाया गया है़
कोई लकीर सच नहीं होती
रचनाकार : लाल्टू
प्रकाशक : वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर
पृष्ठ : 128
मूल्य : 200 रुपये
लाल्टू के इस कविता संग्रह में निजी अभिव्यक्ति के साथ-साथ समाज की चिंता भी है. निराशा के साथ-साथ उम्मीद भी. कवि की कविताएं आपको आमंत्रित करती हैं कि आइए, आप चाहे हमसे सहमत हों या असहमत, बीच में नहीं रह सकते़ वह अपनी बात कहते हुए अद्भुत और विलक्षण को नहीं, बल्कि सहज और साधारण को प्रस्तुत करते हैं. वंचितों के प्रति गहरी हमदर्दी इनकी संवेदना का बड़ा भारी स्रोत है. एक साफबयानी है उनकी कविता में. आखिर यही कविता का लोकतंत्र उसकी साफबयानी से जाहिर होता है.
संस्कृति के प्रश्न
रचनाकार : राजाराम भादू
प्रकाशक : वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर
पृष्ठ : 152
मूल्य : 240 रुपये
जहां संस्कृति को कला-साहित्य और धर्म के संदर्भ से परिभाषित-व्याख्यायित किया जाता है, वहीं राजाराम भादू उन अध्येताओं में उल्लेखनीय हैं, जो संस्कृति को मूल्यान्वेषण की एक गत्यात्मक प्रक्रिया मानते हैं, न कि कोई स्थिर अवधारणा़ यही वजह है कि भादू संस्कृति के प्रश्नों पर विचार करते हुए महात्मा गांधी की स्वराज की अवधारणा को भी सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित करते हैं. सेकुलरवादी विमर्श, स्त्री विमर्श, दलित विमर्श तथा आदिवासी विमर्श की उनकी छवि में सांस्कृतिक गत्यात्मकता की ही अभिव्यक्तियां हैं.
नक्काशीदार केबिनेट
रचनाकार : सुधा ओम ढींगरा
प्रकाशक : शिवना प्रकाशन, सीहोर
पृष्ठ : 119
मूल्य : 150 रुपये
यह उपन्यास मूल रूप में पंजाब प्रांत के एक परिवार और उसके साथ परिवेश के बनते-बिगड़ते रिश्तों की कथा है, जिसमें नारी संघर्ष बड़े प्रभावशाली रूप में उभरा है. नारी संघर्ष में सोनल और मीनल की कहानी बड़े मर्मस्पर्शी रूप में उपन्यास के पृष्ठों पर रूपायित है. इस संघर्ष में सोनल जैसी लड़की का साहस और धैर्य पाठक के हृदय को छू लेता है. इसके साथ ही पंजाब से विदेश की ओर आकर्षण जाल में फंसी नारियों के विवाह के चक्रव्यूह को उपन्यासकार ने बड़ी सच्चाई से उतारा है.
अकाल में उत्सव
रचनाकार : पंकज सुबीर
प्रकाशक : शिवना प्रकाशन, सीहोर
पृष्ठ : 224
मूल्य : 150 रुपये
यह उपन्यास दिखाता है कि हम समानांतर रूप से एक ही देशकाल परिस्थिति में दो अलग-अलग जिंदगियां जी रहे हैं. एक ओर दबा-कुचला हिंदुस्तान और उसका किसान है, जिसकी दुनिया अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही टिकी हुई है और दूसरी तरफ चमकता दमकता इंडिया है, जहां तकनीकी प्रगति है, धन है, अवसर है. यह कृति हमारे देश को समझने के लिए महत्वपूर्ण औजार साबित हो सकती है. यह ऐसी चीखों को हम तक पहुंचाने की कोशिश है, जो कमोबेश अनसुनी और दबी रह जाती हैं.
राह के फूल
रचनाकार : सद्गुरु जग्गी वासुदेव
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस, भोपाल
पृष्ठ : 174
मूल्य : 175 रुपये
सद्गुरु की इन रचनाओं ने एकरसता और अशांति में घिरते जन समुदाय के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शीतल झरी प्रवाहित की है. स्टॉक बाजार के बदलते मौसम और अंतराष्ट्रीय मसलों से संबंधित पृष्ठ, पाठकों के जीवन में आशातीत अंतर्दृष्टि और सुकून पैदा करने वाले सिद्ध हुए हैं. रूढ़ियों और परंपरागत विचारों के ऊपर नये दृष्टिकोण जगा कर पाठकों को चौंका देनेवाली ये रचनाएं, अपनी सौम्य सुगंध से भोर को भिगोते फूलों की ही तरह उत्साह और प्रेरणा प्रदान करती हैं.
शतरस-शतरंग
रचनाकार : डॉ शैलेंद्र कुमार
प्रकाशक : क्लासिकल पब्लिशिंग कंपनी, नयी दिल्ली
पृष्ठ : 172
मूल्य : 500 रुपये
रांची विश्वविद्यालय में रसायनशास्त्र के प्रोफेसर रहे कवि की कविताओं का यह संग्रह विविध रंगों-रसों की कविताओं को अपने में समेटे है़ जहां कुछ कविताएं यथार्थवादी हैं, तो वहीं कुछ कवि की कल्पना की उड़ान हैं. इस पुस्तक में वात्सल्य रस और शृंगार रस की कविताओं को भी समेटा गया है.
कुछ कविताएं वर्तमान समाज, राजनीति पर व्यंग्य हैं. भक्ति-रस की कविताओं को भी संग्रह में स्थान दिया गया है. पुस्तक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके आवरणपृष्ठ और पादपृष्ठ का चित्रांकन खुद कवि ने ही किया है.
स्फुट/भावना के सुमन रचनाकार : डॉ प्रवीण कुमार गुप्त
प्रकाशक : अंजु रानी गुप्त, पटना
पृष्ठ : 96
मूल्य : 150 रुपये
‘स्फुट’ लेखक के विभिन्न विषयक निबंधों का संकलन है, जबकि ‘भावना के सुमन’ काव्य संग्रह है, जो समय-समय पर िवभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपे हैं. संचार क्रांति की बात हो या राष्ट्रीय अखंडता का प्रश्न, पर्यावरण-संरक्षण का सवाल हो या आपदा प्रबंधन का मसला, इनका ऐसे तमाम विषयों पर पूरी सुस्पष्टता और गहराई में जाकर इन्होंने विचार किया है़ आज के परिवेश में जैसे-जैसे सामाजिक घटनाएं होती रही हैं, कवि उन सामयिक विषयों पर आलेख तैयार करते गये. ये विषय विचारणीय हैं और ये शिक्षा के क्षेत्र में सदुपयोगी साबित होंगे़
भारत के अमर मनीषी स्वामी विवेकानंद
रचनाकार : डॉ भवान सिंह राणा
प्रकाशक : डायमंड बुक्स, नयी दिल्ली
पृष्ठ : 144
मूल्य : 100 रुपये
यह पुस्तक अधिकतम सामग्री के साथ स्वामी विवेकानंद के जीवनचरित को संक्षेप में पेश करने की कोिशश है. पुस्तक की सामग्री के संकलन में श्री सत्येंद्रनाथ मजूमदार कृत ‘विवेकानंद चरित’ स्वामी शारदानंद लिखित ‘श्रीरामकृष्ण लीला प्रसंग’, पं द्वारिकानाथ तिवारी की पुस्तक ‘श्रीरामकृष्ण लीलामृत’, स्वामी अपूनर्वानंद की रचना ‘श्रीरामकृष्ण और श्री मां’, श्री जयराम मिश्र की कृति ‘स्वामी रामतीर्थ : जीवन और दर्शन’ और श्री इंगरसोल के निबन्ध संग्रह के (भदंत आनंद कौसल्यायन कृत) हिंदी अनुवाद ‘स्वतंत्र चिंतन’ से साभार सहायता ली गयी है.
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