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वंचित तबके के बच्चों के लिए समर्पित मानसी
पारिवारिक पेशे से इतर पहचान बना रहे बिजनेस टाइकून्स के बच्चे – 4 मानसी किर्लोस्कर पारिवारिक पेशे से इतर पहचान बना रहे बिजनेस टाइकून्स के बच्चों पर केंद्रित इस शृंखला की चौथी कड़ी में आज पढ़ें किर्लोस्कर मोटर्स के मालिक विक्रम किर्लोस्कर की 26 वर्षीया बेटी मानसी किर्लोस्कर के बारे में, जो वंचित तबके के […]
पारिवारिक पेशे से इतर पहचान बना रहे बिजनेस टाइकून्स के बच्चे – 4
मानसी किर्लोस्कर
पारिवारिक पेशे से इतर पहचान बना रहे बिजनेस टाइकून्स के बच्चों पर केंद्रित इस शृंखला की चौथी कड़ी में आज पढ़ें किर्लोस्कर मोटर्स के मालिक विक्रम किर्लोस्कर की 26 वर्षीया बेटी मानसी किर्लोस्कर के बारे में, जो वंचित तबके के बच्चों की बेहतरी के लिए लंबे समय से काम कर रही हैं. इसके अलावा, साकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल्स के संचालन से भीवह जुड़ी हैं.
मशीनरी, मोटर और ऑटो पार्ट्स के लिए दुनिया भर में विख्यात किर्लोस्कर घराने के मुखिया विक्रम किर्लोस्कर की बेटी मानसी किर्लोस्कर 26 वर्ष की हैं. इतनी कम उम्र में भी उनकी पहचान बिजनेस घराने में जन्मी एक ऐसे शख्स के रूप में है, जो बरसों से वंचित तबके के बच्चों के साथ काम कर रही हैं. किर्लोस्कर सिस्टम्स की कार्यकारी निदेशक होने के अलावा वे साकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल्स के संचालन से भी जुड़ी हैं, जो फिलहाल बेंगलुरू में एक अस्पताल चलाता है और पुणे व दिल्ली में एक-एक अस्पताल और खोलने की योजना बना रहा है.
किर्लोस्कर सिस्टम्स लिमिटेड, डिजाइंस फॉर ग्रोथ की निदेशक मानसी किर्लोस्कर बेंगलुरु के उद्यमी विक्रम और गीतांजलि किर्लोस्कर की इकलौती बेटी हैं. सलमान खान की फिल्में देखने और डीप सी डाइविंग का शौक रखनेवाली मानसी अपने परिवार के हेल्थकेयर और रियल एस्टेट बिजनस के ग्रोथ की रणनीति के अगले चरण की तैयारी कर रही हैं.
गौरतलब है कि विक्रम की कंपनी किर्लोस्कर सिस्टम्स ने टोयोटा किर्लोस्कर के साझा उपक्रम में 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है और इसके रियल एस्टेट, हेल्थ केयर और हॉस्पिटैलिटी में भी निवेश हैं.
बहरहाल, किर्लोस्कर सिस्टम्स के कार्यकारी निदेशक का पद संभालने के बाद मानसी किर्लोस्कर भले कॉर्पोरेट जिम्मेदारियों में व्यस्त हों, लेकिन उन्होंने अपनी पहचान सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पण के भाव से बनायी है. इस क्षेत्र में भी उन्होंने कोई कम काम नहीं किये हैं. कम ही लोगों को यह मालूम होगा कि अमेरिका के रोड आइलैंड स्कूल ऑफ डिजाइन से ग्रेजुएट मानसी ने 14 वर्ष की उम्र से ही वंचित तबके के बच्चों को आर्ट और क्राफ्ट का प्रशिक्षण देने का काम शुरू कर दिया था़. उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में इन बच्चों की बनायी तसवीरों की पहली प्रदर्शनी लगा कर डेढ़ लाख रुपये इकट्ठा किये थे.
धीरे-धीरे मानसी का काम बच्चों के बीच कला और कलाकृति से भी आगे जा पहुंचा. वह बताती हैं, मैंने देखा कि बच्चों को जो कुछ भी दिया जाता था, यहां तक कि आर्ट मटीरियल भी, उसे बच्चे कैसे झपटते थे. मुझे समझ आया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास संसाधनों की कमी है.
इसके बाद मानसी ने अपने कुछ साथियों के संग टीम बनाने और आपसी संवाद बेहतर करने संबंधी गतिविधियों की शुरुआत की. इसके जरिये उन्हें यह जानने में मदद मिली कि वंचित तबके के उन बच्चों की सबसे बड़ी जरूरतें क्या हैं. आज मानसी का मानना है कि सामुदायिक सेवा को हाइस्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. व्यापार और परोपकार के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश करतीं मानसी इस मामले में किरण मजूमदार शॉ, अजीम प्रेमजी और नारायणमूर्ति को अपना आदर्श मानती हैं. वह कहती हैं, बच्चों को शुरुआत से ही इन कामों में जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि उससे वह काम व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है.
मानसी की ये कोशिशें तो सराहनीय हैं, लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है कि आर्थिक रूप से मजबूत इनकी पृष्ठभूमि ही इन्हें ऐसा कर पाने की सुविधा देती है. इस बारे में हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में थॉमस श्मीदेनी चेयर ऑफ फैमिली बिजनेस एंड वेल्थ के प्रमुख कविल रामचंद्रन कहते हैं, मानसी अपनी मर्जी से यह सब करती हैं. लेकिन यह भी एक तथ्य है कि उनके पास अपना रास्ता चुनने की छूट है, क्योंकि उनके पास अपने खानदानी कारोबार की सुरक्षा और उसे बचाये रखने की कोई चुनौती नहीं है.
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