
कहने को तो केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी में सिर्फ 30 विधानसभा सीटें हैं. मगर यहां सियासी घमासान मचा है जिसका कवरेज हिंदी मीडिया में कुछ ख़ास दिखाई नहीं देता.
तीस सीटों के अलावा पुडुचेरी विधानसभा के तीन मनोनीत सदस्य भी हैं जो चुनाव नहीं लड़ते.
इस छोटे से प्रदेश में सभी की साख दांव पर है- क्या क्षेत्रीय दल और क्या राष्ट्रीय दल.
डीएमके और कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के अलावा अन्य सभी दल अकेले चुनाव लड़ रहे हैं और मुक़ाबला काफी रोचक हो गया है.
एआईएडीएमके सुप्रीमो और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता अपनी चुनावी सभाओं में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस, पीएमके, कांग्रेस और डीएमके पर निशाना साध रही हैं.
जयललिता हर सभा में कहती हुई सुनाई देती हैं कि एआईएडीएमके को छोड़ अगर वह किसी और को वोट देते हैं तो यह आत्महत्या करने जैसा होगा.

वैसे 1980 के बाद से पुडुचेरी में एआईएडीएमके की सरकार नहीं रही है.
एआईएडीएमके ने वहां एन कन्नन को अपना मुख्य चेहरा बनाया है वहीं एसपी शिवकुमार डीएमके द्वारा प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं जबकि कांग्रेस की नय्या मल्लाडी कृष्णा राव के भरोसे है.
डीएमके प्रमुख करुणानिधि गठबंधन के स्टार प्रचारक हैं मगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी यहां प्रचार कर रहीं हैं, क्योंकि पुडुचेरी में कांग्रेस या डीएमके की सरकार ही रही है.
लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से अलग हुए एन रंगास्वामी ने अपना अलग राजनीतिक दल बनाया भी और चुनाव भी जीता.
इस बार रंगास्वामी अपने दूसरे कार्यकाल को लेकर काफ़ी आशान्वित हैं और अपने कार्यकाल में किए गए विकास पर वोट मांग रहे हैं.

पुडुचेरी में हो रहे विधानसभा चुनाव में कुल 344 उम्मीदवार मैदान में हैं. पुडुचेरी इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार इन उम्मीदवारों में से 96 करोड़पति हैं.
बीबीसी तमिल सेवा के संवाददाता थंगवेल अपाचे कहते हैं कि इस बार मुक़ाबला काफी रोचक होने वाला है.
इस केंद्र प्रशासित राज्य में 16 मई को मतदान होगा और उससे पहले मतदातों को रिझाने के लिए सभी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है.
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