स्कॉटलैंड में रहनेवाला एक छोटा बालक अपनी दादी की रसोई में बैठा हुआ था. चूल्हे में जल रही आग पर केतली रखी हुई थी. केतली के भीतर पानी उबलना शुरू हुआ तो उसकी नली से भाप निकलने लगी.
थोड़ी देर में भाप से केतली हिलने लगी. बच्चे ने जब केतली का ढक्कन उठाकर अंदर झांका तो उसे उबलते पानी के सिवा कुछ और नहीं दिखाई दिया. बच्चे ने पूछा- दादी, ये केतली क्यों हिल रही है? तो दादी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- बेटा, उसमें पानी उबल रहा है, जिससे उसकी नली से तेजी से भाप निकल रही है और ढक्कन को हिला रही है. अब बच्चे ने कहा, भाप में तो ढक्कन को हिलाने की ताकत है. यदि सिर्फ इतने-से पानी से निकलनेवाली भाप में इतनी ताकत है, तो बहुत सारा पानी उबलने पर तो बहुत सारी ताकत पैदा होगी! तो उस ताकत का इस्तेमाल हम भारी कार्यो में क्यों नहीं कर सकते हैं? वह सोचता रहा कि भाप की शक्ति को वश में कैसे किया जाये?
यह स्कॉटिश बच्चा था जेम्स वाट. बचपन में उनका यह विश्लेषण ही आगे चल कर स्टीम इंजन के आविष्कार का कारण बना. छोटी उम्र में जिज्ञासु जेम्स वाट ने केतली की नली के आगे तरह-तरह की चरखियां बना कर उन्हें घुमाया. युवा होने पर तो वह अपना पूरा समय भाप की शक्ति के अध्ययन में लगाने लगे. शुरुआत में उनके कई प्रयोग असफल हुए, लेकिन हर असफलता से उन्होंने कुछ-न-कुछ सीखा.
लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया कि कैसा मूर्ख आदमी है जो यह सोचता है कि भाप से मशीनें चलायी जा सकती हैं, भारी वजनों को उठाया जा सकता है और बड़े-बड़े यंत्रों को गति दी जा सकती है. लेकिन जेम्स वाट ने हार नहीं मानी. कठोर परिश्रम और लगन से उन्होंने अपना पहला स्टीम इंजन बना लिया. उस इंजन के द्वारा कई कठिन कार्य आसानी से करके दिखाये. उनमें सुधार होते-होते एक दिन भाप के इंजनों से रेलगाड़ियां चलने लगीं. लगभग 200 सालों तक भाप के इंजन सवारियों को ढोती रहीं और अभी भी कई देशों में भाप से ट्रेनों का संचालन होता है. भाप न केवल रेल इंजन के आविष्कार का कारण बना, बल्कि इससे कृषि जगत से लेकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी क्रांति की शुरुआत हुई.
जेम्स वाट
जीवनकाल : 1736-1819