दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें दिव्यांग होने के कारण चलने-फिरने ही नहीं, बिल्क हर काम के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है. ऐसे लोगों के लिए भारत में पहली बार ऐसी व्हीलचेयर बनायी गयी है, जो दिमाग के इशारे पर चलेगी और दिव्यांग व्यक्ति जहां जाना चाहेगा, केवल सोचने भर से उन्हें […]
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें दिव्यांग होने के कारण चलने-फिरने ही नहीं, बिल्क हर काम के लिए दूसरों पर आश्रित रहना पड़ता है. ऐसे लोगों के लिए भारत में पहली बार ऐसी व्हीलचेयर बनायी गयी है, जो दिमाग के इशारे पर चलेगी और दिव्यांग व्यक्ति जहां जाना चाहेगा, केवल सोचने भर से उन्हें वहां पहुंचा सकेगी.
इस व्हीलचेयर का निर्माण ए-सेट ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने किया है. यह पूरी तरह से मेड इन इंडिया है और इसके हर पार्ट का निर्माण भारत में देशी तकनीक से किया गया है. ए-सेट ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट का दावा है कि यह दुनिया की पहली माइंड कंट्रोल्ड व्हीलचेयर है.
भारत के 23 साल के दिवाकर वैश ने यह व्हीलचेयर तैयार की है, जिसे हाल ही में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में लांच किया गया. इस व्हीलचेयर के बारे में दिवाकर ने बताया कि यह पूरी तरह से दिमाग से चलती है. आपको केवल अपनी सोच से इसे कमांड देनी है. इसमें डिस्टेंस, टेंपरेचर, टाइम और वाइब्रेशन को सेंस करने के लिए सेंसर लगाये गये हैं, जिनकी बदौलत यह इंसान की सोच के हिसाब से काम करती है. मशीन में कोई भी ऐसी कमांड नहीं है, जिससे इसे इस्तेमाल करनेवाले को कोई दिक्कत हो.
दिव्यांगों के लिए है वरदान
यह व्हीलचेयर उन लोगों के लिए है, जो खुद एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा पाते हैं. इसके अलावा जिनके शरीर की मांसपेशियां काम करना बंद कर चुकी हैं और जो सिर्फ पलकें झपका सकते हैं, उनके लिए यह मशीन वरदान साबित होगी. यह पैरालिसिस एलआइएस (लॉक्ड इन सिंड्रोम) के मरीजों के लिए काफी उपयोगी साबित होगी.
कितनी कीमत है इस व्हीलचेयर की
माना जा रहा है कि यह दुनिया की पहली टोटली माइंड कंट्रोल्ड व्हीलचेयर है, जिसकी कीमत 2 लाख रुपये है. इसमें बैटरी मौजूद है, जो 3-4 घंटे में फुल चार्ज हो सकती है. फुल चार्ज बैटरी से यह तीन से चार दिन तक आराम से चल सकती है. बैटरी की लाइफ की बात करें तो इसकी लाइफ तीन साल है. इस व्हीलचेयर को किसी भी तरह की मेंटनेंस की जरूरत नहीं है.