हमारे देश में दो तरह के लोग पाये जाते हैं. एक वे, जो खाते-खाते मर जाते हैं और दूसरे वे, जो खाये बिना मर जाते हैं. खाने की अमीरी और गरीबी की इसी खाई को पाटने की एक छोटी-सी कोशिश कर रही हैं एर्नाकुलम की मीनू पॉलिन. बैंक की नौकरी छोड़ कर दो साल पहले रेस्त्रां के व्यवसाय से जुड़ीं मीनू ने लोगों के सहयोग से भूखों को मुफ्त भोजन मुहैया कराने के मकसद से ‘रेफ्रिजरेटर ऑफ लव’ की शुरुआत की है़ क्या है यह, आइए जानें तफसील से.
पटना: मीनू पॉलिन की उम्र 28 साल है और उन्होंने केरल के एर्नाकुलम शहर के कालूर बस स्टैंड के पास एक कम्युनिटी रेफ्रिजरेटर लगाया है़ 420 लीटर का यह रेफ्रिजरेटर वैसे तो अन्य रेफ्रिजरेटर्स की ही तरह दिखता है, लेकिन इसका मकसद सबसे जुदा है़ जनवरी, 2014 में मीनू ने सिटी बैंक की अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर जब अपना उद्यम शुरू करने की ठानी, तो उनके मन में विचार था कि इससे ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचे़. दो साल पहले उन्होंने ‘पपाडावाड़ा’ नाम से एक रेस्त्रां की शुरुआत की़ समय के साथ उनके रेस्त्रां ने मुनाफे की राह पकड़ ली है और यह लोगों की भूख भी मिटा रहा है़ जिनके पास पैसे हैं, उनके लिए रेस्त्रां में खाने-पीने की चीजें उपलब्ध हैं और जिनके पास पैसे नहीं हैं, उनके लिए कम्युनिटी रेफ्रिजरेटर में खाने के सामान मौजूद हैं. जिसे जब जरूरत हो, वह रेफ्रिजरेटर खोल कर अपने पसंद की चीज मुफ्त में ले जा सकता है़.
मीनू ने यह रेफ्रिजरेटर अपने रेस्त्रां के बाहर एक पेड़ के नीचे लगा रखा है और इसका नाम दिया है ‘ननमा मारम’, जिसका हिंदी में अर्थ होता है पुण्य पेड़़ लेकिन, यहां आने-जानेवाले और इस रेफ्रिजरेटर में खाने-पीने के सामान रख कर गरीबों की भूख मिटाने वालों के लिए यह ‘रेफ्रिजरेटर ऑफ लव’ के नाम से जाना जाता है़ मीनू पॉलिन के मुताबिक, कोई भी इस रेफ्रिजरेटर में बची हुई खाने-पीने की चीज छोड़ सकता है, जिससे वह भूखे और कुपोषित लोगों को दिया जा सके़. मीनू ने अपनी इस कोशिश में और लोगों से भी हाथ बंटाने की अपील की है़ इस बारे में वह कहती हैं, पपाडावाड़ा रेस्त्रां की तरफ से हम हर रोज इस रेफ्रिजरेटर में 50 से 100 पैकेट खाना रखते हैं. इसके साथ ही हमने लोगों, इवेंट मैनेजर्स, पार्टी मेकर्स और रेस्त्रां मालिकों से बचे हुए, लेकिन ताजा और खाने लायक खाना साफ-सुथरे तरीके से पैक कर ‘रेफ्रिजरेटर ऑफ लव’ में जमा करने की भी अपील की है़.
इस पहल के जरिये हमारा मकसद एक ओर खाने की बरबादी को रोकना है, तो दूसरी तरफ जरूरतमंदों को खाना भी मुहैया कराना है. मीनू कहती हैं, इस 420 लीटर के रेफ्रिजरेटर को 24 घंटे चलाने के लिए बिजली का खर्चा रेस्त्रां ही उठाता है़ यही नहीं, रात के समय इसकी सुरक्षा के लिहाज से एक सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है . और सुरक्षा गार्ड्स भी तैनात किये गये हैं. इनकी मदद से खाने-खिलाने का यह सिलसिला निर्बाध रूप से हफ्ते के सातों दिन और चौबीसों घंटे चलता रहता है़ वह कहती हैं, जरूरतमंद लोग अपनी जरूरत के हिसाब से इसमें से खाने-पीने की चीजें जब जी चाहे ले सकते हैं. बात खाने की गुणवत्ता और साफ-सफाई की करें, तो रेस्त्रां के अधिकारियों ने लोगों से पैकेट्स पर बनाये जाने की तारीख लिखने का आग्रह किया है, जिससे खराब खाने को हटाया जा सके़ रेस्त्रां ने रेफ्रिजरेटर को सप्ताह में दो बार साफ करने की जिम्मेदारी भी उठायी है़
हमारे देश में जहां एक तरफ बड़ी संख्या में लोगों के पास दो वक्त के खाने की व्यवस्था नहीं है और वे भूखे और कुपोषित रहने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ संपन्न वर्ग में खाने की बरबादी भी देखने को मिलती है़ भूख के इस अंतर को मिटाने के लिए मीनू पॉलिन के ‘पपाडावाड़ा’ रेस्त्रां के साथ जनसहयोग से चलाये जा रहे ‘ननमा मारम – रेफ्रिजरेटर ऑफ लव’ की शुरुआत एक अच्छी और अनुकरणीय पहल कही जायेगी.