
ब्रिटेन के पहले सरकारी हिंदू माध्यमिक विद्यालय को लंदन के उत्तर-पश्चिम इलाक़े में स्थायी ठिकाना मिल गया है.
चार साल तक कभी यहां, कभी वहां भटकने के बाद अवंती हाउस स्कूल को अब हैरो में इमारत बनाने की इजाज़त मिल गई है.
स्कूल में पढ़ने-पढ़ाने वालों और नई इमारत में सुविधाओं को देखने हम वहां पहुँचे.
जय लक्ष्मण जीसीएसई (जनरल सर्टिफ़िकेशन ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन) संस्कृत के पहले बैच के छात्रों की क्लास ले रहे थे.
संस्कृत ऐसी भाषा है, जो अवंति हाउस की सभी कक्षाओं में पढ़ाई जाती है. संस्कृत की पढ़ाई सरकारी हिंदू माध्यमिक विद्यालयों की खास पहचान है.
जय लक्ष्मण ने बताया, ”मुझे लगता है कि ज़्यादातर बच्चे अपनी इस महान विरासत के बारे में नहीं जानते. उन बच्चों को यह विकल्प देकर कि- हां, आप संस्कृत भी पढ़ सकते हैं- हमने उन्हें ये जानने का मौका दिया है कि उनकी पहचान क्या है और वे कहां से आए हैं.”

15 साल की अदिति परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. वे भी जय लक्ष्मण की इस बात से सहमत दिखीं.
अदिति कहती हैं, ”संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है. इसे सीखने का मतलब है एक संस्कृति को सीखना, अपने धर्म को ज़्यादा जानना. इसे पढ़ना बहुत फ़ायदेमंद है.”
चार साल की अनिश्चितता के बाद अवंति हाउस के हैरो में स्थायी इमारत बनाने के आवेदन को मंज़ूरी मिल गई है.
मार्क बेन्नीसन स्कूल के हेड टीचर हैं. वे बताते हैं, ”यहां स्कूल को स्थायी ठिकाना मिलना बड़ी उपलब्धि है क्योंकि लंदन के इस हिस्से में हिंदू मान्यता वाले स्कूल की मांग बहुत ज़्यादा है. स्थायी रूप से स्कूल बनाने को हरी झंडी मिलने के पहले ही आने वाले सितंबर तक जिन 7 जगहों पर स्कूल बनेंगे उसके लिए तय संख्या से अधिक आवेदन आए हैं.”
ऐसा अनुजा गुप्ता जैसे माता-पिताओं की मांग के कारण हुआ है. अनुजा की 13 साल की बेटी इस स्कूल में पढ़ने जाती हैं.

अनुजा गुप्ता ने अपनी बच्ची को इस स्कूल में पढ़ने क्यों भेजा, इस बारे में उन्होंने बीबीसी को बताया.
वे कहती हैं, "हमारे बच्चे को यहां क्या सिखाया जाता है, वह केवल पढ़ाई का मामला नहीं है. ये जीवन कैसे जिएं, बड़ों और दोस्तों के साथ कैसा व्यवहार करें, उसका भी मामला है. मुझे यह स्कूल बहुत पसंद है.”
मार्क बेन्नीसन मानते हैं कि इससे पहले स्कूल पर आपत्ति जताई गई थी. कहा जा रहा था कि यह एक खास संप्रदाय के लोगों के लिए है. जबकि यह सभी धर्म और जाति के बच्चों के लिए है.

”हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि वास्तविक जीवन को कैसे प्रतिबिंबित करें- नई पीढ़ी का परिचय बहुजातीय और बहुसांस्कृतिक दुनिया से कैसे कराएं.”
15 साल के छात्र अमर मुस्लिम धर्म मानते हैं. उनका कहना है कि वे इस हिंदू स्कूल में ख़ुश हैं. हालांकि एक ओर तो उन्हें यहां किसी तरह की परेशानी नहीं. बस शाकाहारी खाना खाने की हिदायत से वह थोड़ा परेशान हैं.
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