नयी दिल्ली : देश में सूखे की हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा कि नौ राज्यों में सूखे के हालात हैं. आप वहां के लोगों की समस्या से आंख नहीं मूंद सकते. शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणी देश के 12 राज्यों में सूखे पर ‘स्वराज अभियान’ की याचिका पर सुनवाई के दौरान की.
अदालत ने सूखे से जूझ रहे इलाकों में पानी के लिए मचे हाहाकार पर भी चिंता जताते हुए कहा कि तापमान 44-45 डिग्री तक पहुंच गया है. कई जगहों पर पीने का पानी नहीं है. राहत तुरंत पहुंचना जरूरी है. केंद्र सरकार ही हालात को सही तरीके से जज कर सकती है और इसके लिए कदम उठाए जाने चाहिए.कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि मनरेगा के तहत जो पैसा राज्यों को दिया जाता है क्या वो लोगों तक पहुंचता है? मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि हम सूखा प्रभावित राज्यों के लोगों को राहत कैसे मिले, इस मसले पर सुनवाई कर रहे हैं. जानना चाहते हैं कि सूखा प्रभावित लोगों के लिए सरकार क्या कर रही है और भविष्य मे क्या करेगी. हम सूखे के हालात को लेकर चिंतित हैं, लोगों की मदद करना चाहते हैं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना समेत नौ राज्य सूखे की चपेट में हैं. कई राज्यों में सूखे से हालात इतने बदतर हो गये हैं कि लोग पीने के पानी तक को तरस गये हैं.
क्या है राज्यों का हाल . पंचायत में तय होता है शादी में िकतना पानी हो खर्च
यूपी व मप्र : बुंदेलखंड में सूखे से लोग बेहाल हैं. मनरेगा में काम न मिलने से लोगों ने गांव छोड़ दिया. गांवों में केवल बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे ही रह गये हैं. बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में बंदूकों से पानी की निगरानी की जा रही है. 52 दिन की औसत बारिश अब 23 दिन तक सिमट गयी है.
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा : देश में सूखे का सबसे ज्यादा कहर यहीं देखने को मिलता है. परभणि और लातूर में पानी के लिए धारा 144 तक लगानी पड़ी है. मराठवाड़ा के 11 में से सात बांध सूखे हैं. सरकार एक हफ्ते में 200 लीटर पानी ही देती है. एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक 12 हजार लीटर पानी का टैंक 10 मिनट में खाली हो जाता है.
कर्नाटक का उत्तरी क्षेत्र : उत्तरी कर्नाटक के कई जिले सूखे की चपेट में हैं. बीदर जिले में एक घड़ा एक घंटे में भरता है. बीदर में लोग आधी बाल्टी से नहाते हैं.उत्तर कर्नाटक के 12 जिलों में पिछले तीन साल से सूखा है.
राजस्थान : फसल बरबादी की चिंता : यहां सूखे का कहर सबसे ज्यादा है. प्रभावित किसानों के मुताबिक फसल बरबाद होने और कर्ज के बोझ के कारण किसानों के पास बड़ी समस्या है. राज्य के 19 जिलों पर सूखे का खतरा है.
तेलंगाना व आंध्र : तेलंगाना तीन साल से सूखे से जूझ रहा है. वहीं आंध्र प्रदेश में लाेग एक-एक बूंद के लिए लोग तरस रहे हैं.
मनरेगा पर भी उठे सवाल
नयी िदल्ली. मनरेगा के अमल का मसला भी सुप्रीम कोर्ट में उठा. केंद्र ने बताया कि उसने पिछले साल मनरेगा के तहत अब तक की सबसे बड़ी 37088 करोड़ की राशि आवंटित की थी. इस साल इसे बढ़ा कर 38548 करोड़ किया गया है. कोर्ट ने इन बातों को नाकाफी बताते हुए कहा कि पिछले साल के ही लगभग 11 हज़ार करोड़ अब तक जारी नहीं किये गये हैं.
सरकार ने कहा कि इनमें से आठ हजार करोड़ तीन दिनों में जारी कर दिये जायेंगे. साथ ही सूखे को देखते हुए तीन हजार करोड़ इस साल के इस्तेमाल के लिए दिये जायेंगे. कोर्ट ने पिछले साल की बकाया राशि का इस्तेमाल इस साल के लिए करने पर नाराजगी जतायी.
छत्तीसगढ़ व ओड़िशा : छत्तीसगढ़ में पांच जिले सूखे की चपेट में हैं. बलरामपुर में एक किलोमीटर चलने के बाद पीने का पानी मिलता है. शादी में पानी के इंतजाम के लिए यहां पंचायत बैठती है. तीन साल में राज्य में 302 किसानों ने खुदकुशी की है. वहीं ओड़िशा में हालात काफी खराब हैं.
मवेशियों के साथ पानी की तलाश में चले आये 100 किलोमीटर
सरायरंजन (समस्तीपुर). पानी की तलाश में लखीसराय से लगभग सौ किलोमीटर का रास्ता तय करके समस्तीपुर के सरायरंज पहुंचे, लेकिन यहां भी पानी नहीं मिला, तो आगे बढ़ गये. 10-12 पशुपालक अपने लगभग एक हजार मवेशियों के साथ पानी की तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन जल स्तर नीचे जाने की वजह से ताल-तलैया सब सूख गये हैं. इन्हें पानी नहीं मिल रहा है. दिनोंदिन पानी की तलाश में आगे बढ़ रहे हैं.
घर से इनकी दूरी बढ़ रही है. इसके साथ पानी खोजने का दायरा भी. लखीसराय से सरायरंजन पहुंच पशुपालकों ने बताया कि उनके यहां की स्थिति काफी खराब हो गयी है. पानी की समस्या हो गयी, जिससे इन लोगों को घर-परिवार छोड़ कर मवेशियों के साथ पानी की खोज में निकलना पड़ा. सरायरंजन आये, तो यहां भी इन लोगों को पानी नहीं मिला.
यहां भी पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है. जल स्तर नीचे जाने की वजह से बोरिंग, चापाकल, कुआं, तालाब सूख चुके हैं. पानी की मार से पशुपालक किसान पानी की खोज में दूसरे जिलों में जा रहे हैं, जहां उनको पानी मिलेगा, अपने मवेशियों के साथ अपना डेरा-डंडा गाड़ देंगे.
समस्तीपुर के लगमा, चंद्रहासा गांव जैसे जहां पानी बारहों महीने नदी नाला, तालाब में रहा करता था, वहां दूसरे जिलों के पशुपालक अपने मवेशियों के साथ डेरा-डंडा गाड़ देते थे. आज वहां पानी की ऐसा स्थिति है कि वहां के लोग पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
पानी की समस्याओं को दूर करने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीब लगा रहे हैं, लेकिन वो भी विफल हो जा रही है. यहां तक कि खेतिहर किसान भी पानी की मार डोल रहे हैं. खेत में लगी फसल पानी के अभाव में सूख रही है.
लोगों का कहना है कि शुरुआती गरमी में यह हाल है, तो भीषण गरमी में पानी की स्थिति और भी भयावह हो जायेगी. वहीं क्षेत्र में जितने भी सरकारी चापाकल है, उनमें एक-दो ही पानी दे रहे हैं. बाकी बंद हैं. लेकिन, सरकारी स्तर से पानी की किसी तरह की व्यवस्था नहीं की जा रही है.