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ऊपरी असम की ख़ुशनुमा वादियों के बीच बसा है जोरहट, जो इस सूबे की सांस्कृतिक राजधानी भी है.
अखोम राजाओं की आख़िरी राजधानी रहा यह इलाक़ा असम की कला और संस्कृति को संजोए हुए है.
यह इलाक़ा अब सभी दलों के लिए राजनीतिक रूप से काफ़ी अहम भी है क्योंकि विधानसभा चुनावों के पहले चरण में लगभग सारे बड़े चेहरे यहाँ से चुनाव लड़ रहे हैं.
चाहे वो कांग्रेस के हों, भाजपा के या फिर असम गण परिषद के हों. इस बार भी मुख्यमंत्री यहीं से होगा चाहे वो किसी दल का क्यों न हो.
स्थानीय पत्रकार सतीश राय का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए यह करो या मरो की स्थिति तो है ही, कांग्रेस के लिए भी उसके अस्तित्व का सवाल है.
उनका कहना है कि कांग्रेस भी तरुण गोगोई के राजनीति से संन्यास लेने की सूरत में उनके पुत्र गौरव को उनकी जगह देने की तैयार कर रही है.
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ऊपरी असम की 65 सीटों में तीन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं जबकि 10 अनुसूचित जनजाति के लिए.
भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल असम गण परिषद के अतुल बोरा और प्रफुल्ला महंत भी ऊपरी असम से ही लड़ रहे हैं इसलिए यह चुनाव सब के लिए महत्वपूर्ण है.
वहीं भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मोरन सीट से पवन सिंह घटोवा लड़ रहे हैं जबकि पास के ही शिवसागर से विधानसभा के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रणव गोगोई मैदान में हैं.
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तीताबर सीट से कांग्रेस के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई चौथे कार्यकाल के लिए मैदान में हैं. मगर यह पहली बार है कि उन्हें भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा से कड़ी टक्कर भी मिल रही है.
मैंने तरुण गोगोई के चुनावी क्षेत्र जाकर कुछ मतदाताओं से मिलकर उनका मन टटोलने की कोशिश की.
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तीताबर के लोग वैसे तो बतौर विधायक तरुण गोगोई के काम से खुश हैं. मगर वो यह भी मानते हैं कि तासा के मैदान में उतरने से तरुण गोगोई की राह उतनी आसान भी नहीं होगी जितना उनके पिछले तीन चुनावों के दौरान थी.
जोरहट से ही भारतीय जनता पार्टी के सरबानंदा सोनोवाल भी चुनाव लड़ रहे हैं. उनका चुनावी क्षेत्र है माजुली. यह ब्रह्मपुत्र नदी के बीचोबीच बसा एक टापू है. भाजपा ने सोनोवाल को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. माजुली से जीतना उनके लिए बड़ी चुनौती है.
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मगर राजनीतिक दलों के चुनावी मुक़ाबले के बीच जोरहट और इसके आसपास के इलाकों के रहने वाले असमिया लोगों का बस इतना सा सपना है कि सदियों से अमन और चैन से जीते आ रहे इन लोगों की संस्कृति बची रहे और कोई भी यहां के खुशनुमा वातावरण में कभी ज़हर न घोल पाए.
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