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चकाचौंध के पीछे अंधेरा क्यों? इतनी कमजोर तो नहीं थीं आनंदी
महज 24 वर्ष की आयु में मौत के आगोश में सो चुकी प्रत्युषा बनर्जी ने ग्लैमर इंडस्ट्री के कई नकाबों को फिर से उतार फेंका है. ग्लैमर की दुनिया की चकाचौंध भरी जिंदगी पर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्या है इस दुनिया की जमीनी हकीकत, जो किसी को अचानक से दर्शकों […]
महज 24 वर्ष की आयु में मौत के आगोश में सो चुकी प्रत्युषा बनर्जी ने ग्लैमर इंडस्ट्री के कई नकाबों को फिर से उतार फेंका है. ग्लैमर की दुनिया की चकाचौंध भरी जिंदगी पर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्या है इस दुनिया की जमीनी हकीकत, जो किसी को अचानक से दर्शकों का मसीहा, तो दूसरे ही पल उन्हें बिल्कुल अकेला कर देता है.
परदे पर जब तक वह धारावाहिक और वह किरदार आंखों के सामने रहे, वह हर परिवार का हिस्सा बन जाता है. लेकिन, दूसरे ही पल जब वे किरदार आंखों से ओझल होते हैं, वे दर्शकों की आंखों की किरकिरी बन जाते हैं. शायद जिंदगी की हकीकत से सामना कर पाना ही सबसे कठिन कड़ी होती है इन सेलिब्रिटीज की जिंदगी में और इसी से धारावाहिक बालिका वधू में मजबूत हौसलों की आनंदी का किरदार निभानेवाली प्रत्युषा के इरादे कमजोर पड़ जाते हैं. पेश है इससे जुड़े विभिन्न आयामों पर अनुप्रिया अनंत और उर्मिला कोरी की पड़ताल…
वर्ष2010. कलर्स अपने धारावाहिक ‘बालिका वधू’ में छोटी आनंदी का किरदार निभा रहीं अविका गौर की सफलता का स्वाद चख चुका था. बालिका वधू धारावाहिक ने कई सामाजिक कुरीतियों, खास कर बाल विवाह, विधवा विवाह जैसे मुद्दों पर ठोस राय रखा था. वक्त के साथ धारावाहिक की गति और जरूरत को देखते हुए बड़ी आनंदी की शो में एंट्री की तैयारी शुरू हुई. इस शो के निर्माताओं ने तय किया था कि वे दर्शकों के वोटों के आधार पर बड़ी आनंदी का चुनाव करेंगे. इस प्रक्रिया से तीन लड़कियों का चुनाव हुआ, जिसमें जमशेदपुर की प्रत्युषा बनर्जी भी शामिल थीं. बड़ी आनंदी का खुलासा एक भव्य आयोजन में हुआ. छोटी आनंदी अविका ने बड़ी आनंदी प्रत्युषा बनर्जी से लोगों को रूबरू कराया. प्रत्युषा उस दिन चुंदरी रंग के घाघरे और चोली में थी. प्रत्युषा के साथ-साथ पूरे जमशेदपुर को भी इस बात पर फख्र था. इससे पहले जमशेदपुर के इम्तियाज अली और आर माधवन ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी मनोरंजन के क्षेत्र में.
वह पहला मौका था जब प्रत्युषा मीडिया से मुखातिब हो रही थी और काफी धीमे स्वर में सवालों का जवाब दे रही थी. लेकिन, पहली बातचीत के बाद ही मीडिया ने एक राय तो स्पष्ट बना ली थी कि यह आत्मविश्वास से भरपूर लड़की है. चूंकि वे सवालों के जवाब देने में झिझक नहीं रही थीं. इसके बाद धीरे-धीरे प्रत्युषा का सफर शुरू हुआ. बालिका वधू में लंबे अरसे तक उन्होंने एक आम लड़की से खास लड़की और कलेक्टर दीदी बनने के एक सफर को तय किया.
उनके साथ काम कर चुके कलाकार, शो के लेखक स्पष्ट रूप से बताते हैं कि प्रत्युषा नेचुरल एक्ट्रेस थी. यही वजह थी कि वे परदे पर सहज नजर आती थी. अच्छी तरह यह बात याद है कि जब प्रत्युषा को शो में जगिया यानी शशांक व्यास द्वारा धोखा दिया जा रहा था. उनके फैन्स किस तरह उनके सपोर्ट में खड़े थे.
प्रत्युषा से यह सवाल कई बार किया था हमने कि निजी जिंदगी में अगर आपके साथ कभी ऐसी परिस्थिति आये तो आप क्या करेंगी. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था- ‘मैं कमजोर नहीं हूं. मैं भी आनंदी की तरह ही अपने कैरियर को संवारूंगी और जिंदगी में आगे बढूंगी. अब रील लाइफ में मैंने कलेक्टर की जिंदगी निभायी है. कई लोग मेरे किरदार को आदर्श मानते हैं तो उन्हें निराश तो हरगिज नहीं करूंगी. कलेक्टर हूं तो कमजोर तो कभी नहीं बनूंगी. किसी के लिए अपनी जिंदगी दावं पर नहीं लगाऊंगी.’ ये आत्मविश्वास भरे शब्द प्रत्युषा के ही हैं.
लेकिन, प्रत्युषा इसके बाद जब भी खबरों में आयीं, विवादों से घिरीं. उनका स्टैंड लेनेवाला ही रूप सामने आया. उन्होंने खुद को कभी बेबस, बेसहारा या लाचार साबित नहीं किया. हां, मगर शायद उन्होंने कम उम्र में सफलता का स्वाद चख लिया था. शायद इसलिए वे भूल गयी थीं कि लोकप्रियता अस्थायी है.
बालिका वधू में वक्त पर न आने और अनप्रोफेशनल एटीट्यूड की वजह से जब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया, इसके बाद वे सिर्फ विवादों से ही घिरी रहीं. धीरे-धीरे शायद प्रत्युषा ने एक अलग ही रुख इख्तियार कर लिया था. वे बिग बॉस के सीजन का हिस्सा बनीं. लेकिन वहां भी वे उस खेल को दबाव को झेल नहीं पायी थीं. उस शो के कई एपिसोड में उनका वास्तविक चेहरा लोगों के सामने आया कि वे दिल और दिमाग से बहुत मजबूत नहीं हैं और उन्हें सहारे की जरूरत है.
और उन्हें सहारे के रूप में मिली काम्या पंजाबी, जो कि उस सीजन की मजबूत दावेदारों में से एक रहीं. उनका साथ मिला. उनका कंधा मिला. शो के बाहर भी दोनों में नजदीकियां बढ़ीं. खुद काम्या ने कई बार इन बातों को दोहराया था कि प्रत्युषा अब उनकी जिम्मेदारी की तरह हैं.
लेकिन शायद प्रत्युषा को किसी बंधन में रहना गंवारा नहीं था.कुछ महीनों तक काम्या के साथ हर जगह नजर आते-आते अचानक उसकी सोशल साइट्स और सोशल गैदरिंग में नये लोगों का चेहरा शामिल होने लगा. अचानक वे बेमकसद विवादों से घिरी रहने लगीं. बैंक और पुलिसवालों के साथ उनकी बदसलूकी की खबरें सामने आने लगीं. दो सालों से अधिक वक्त तक मकरंद के साथ डेटिंग करने के बाद उनसे भी उन्होंने मुंह मोड़ लिया और फिर से एक नये जीवनसाथी की तलाश की, राहुल राज सिंह के रूप में.
लेकिन एक दौर आता है. जब व्यक्ति इस आपाधापी से थक जाता है. रील जिंदगी में तो जगिया के धोखे आनंदी ने बर्दाश्त कर लिये थे. शायद उसे उस वक्त दादी सा, मां सा, बाबा सा का साथ मिल गया था. रील जिंदगी में उसकी जिंदगी को नयी किरण देनेवाला शिव भी मिल गया.
लेकिन वास्तविक जिंदगी तो परदे से परे होती है. यहां कैमरा कुछ अलग ही अंदाज में एक्शन करता है. सो, उसे न तो जगिया मिला और न उसकी जिंदगी को नयी दिशा देने वाला शिव, जिनकी उन्हें तलाश थी.
उसके अंतिम तस्वीरों में मांग में सजे सिंदूर दर्शाते हैं कि वह अपनी जिंदगी में अब वाकई आनंदी बनना चाहती थी. वह अकेले नहीं जीना चाहती थीं. लेकिन केवल भ्रम और गुंजाइशों के आधार पर हम किसी निर्णय पर नहीं पहुंच सकते.
टीवी शो में जगिया से धोखे खाने के बाद आनंदी जब अकेली कमरे में बंद होती है और बाहर निकलती है तो प्रण लेती है कि वह एक नया अध्याय बनायेगी. लेकिन वास्तविक जिंदगी की लड़ाई में वह खुद को असफल कर लेती है. लेकिन जेहन में यह सवाल अवश्य उठता है कि इतनी कमजोर तो नहीं थी आनंदी.
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