
हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्रों और कुलपति के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
कुलपति अप्पाराव पोदिल का कहना है कि अब यूनिवर्सिटी कैपंस में सब कुछ शांत चल रहा है. जबकि छात्र नेता जुहैल का कहना है छात्रों ने कोई भी दंगा नहीं किया था.
अप्पाराव के मुताबिक़ सभी हॉस्टल में खाना दिया जा रहा है.
अप्पाराव कहते हैं, "हमारे यहां कुछ महीनों से पानी की समस्य़ा थी लेकिन अब सब ठीक है."
उन्होंने कहा, "हां, पिछले कुछ दिनों से अफवाह थी कि हैदराबाद प्रशासन ने हॉस्टल में बिजली और पानी की सप्लाई को बंद कर दिया था लेकिन अब सब ठीक चल रहा है. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि हमने या प्रशासन ने कहीं कुछ कटौती नहीं की थी."

छात्रों को खाना न दिए जाने के सवाल पर कुलपति अप्पाराव ने कहा, "एक दिन मेस बंद हुआ था, उसकी वजह भी छात्रों के द्वारा नॉन टीचिंग स्टाफ के साथ 22 तारीख को की गई मारपीट थी. छात्रों ने मेस के स्टाफ के साथ मारपीट की थी जिसकी वजह से नॉनटीचिंग कर्मचारियों और कुक ने एक दिन की हड़ताल की थी."
उनके मुताबिक़ इस मामले को चीफ़ वार्डन और शिक्षकों ने मिलकर सुलझाया था और तब से सबकुछ ठीक चल रहा है.
यह पूछे जाने पर कि छात्र हमले का आरोप पुलिस पर और एबीवीपी पर लगा रहे हैं उपकुलपति कहते हैं ये गलत सूचना दी गई है.
उन्होंने कहा, "अगर उनके पास कुछ सबूत है तो उन्हें दिखाना चाहिए. जबकि विश्वविद्यालय ने छात्रों के ख़िलाफ़ पूरे सबूत पुलिस को दिए हैं. ऐसा नहीं हो सकता कि आप हमला करें और दूसरों के ऊपर उसका आरोप लगा दें."
छात्रों के प्रदर्शन पर अप्पाराव बताते हैं , "22 तारीख को ही हमने बताया था कि मैं आउंगा और मैं जब भी आता तो ये छात्र प्रदर्शन करते. मैं विश्वविद्यालय का कुलपति हूं और मेरी कुछ जिम्मेदारियां है."

उन्होंने कहा, "अगर छात्र नहीं चाहते हैं तो क्या फिर मैं नहीं आऊं. मेरा काम विश्वविद्यालय के प्रशासन के साथ इसके एकेडमिक को भी आगे बढ़ाना है. यहां का प्रमोशन देखने का काम भी मेरा है. कई महत्वपूर्ण काम करने हैं. मैं एक महीने बाद आऊं या तीन महीने बाद मुझे कहा जाएगा कि मैं अचानक ही आया हूं."
छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के मामले में दर्ज एफ़आईआर में अपना नाम होने पर अप्पाराव ने कहा, "कोर्ट की कार्रवाई लंबे समय तक चलती है. जब कोर्ट का फैसला आएगा तो मैं उस फैसले को मानूंगा. मैं यह उम्मीद नहीं कर सकता कि 8 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में कुछ फैसला आ सकता है."
उन्होंने कहा कि छात्र हमला करने की नीयत से ही आए थे इसलिए हमने पुलिस बुलाई.

पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए वे कहते हैं, "विद्यार्थी का क्या मूड था वो सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो में देखा जा सकता है. स्टूडेंट हम पर हमला करने आएं हैं और हमसे यह उम्मीद की जा रही है कि हम उनपर ऐक्शन भी न लें."
वे कहते हैं, "छात्रों पर पुलिस की बर्बरता की जहां तक बात है हमारी सूचना के अनुसार छात्रों ने लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए ये बातें बनाई हैं.
छात्रों पर दर्ज केस के बारे में अप्पाराव कहते हैं, "जहां तक छात्रों पर प्रशासन द्वारा किए गए केस का मामला वापस लेने का है तो मैं यह कहना चाहता हूं कि उस दिन 17 लोगों की जान खतरे में थी."
कुलपति ने छात्रों पर जो आरोप लगाए हैं उन पर छात्र संघ के नेता जुहैल बताते हैं, "छात्रों पर पब्लिक प्रोपर्टी को तोड़ने, दंगा करने की कोशिश करने और हथियार रखने का आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है."

वे कहते हैं, "हमने एक्ज़ीक्यूटिव कांउसिल की मीटिंग पर हमला नहीं किया था बल्कि हमने वहां से मार्च किया था"
ज़ुहैल कहते हैं कि वहां हुई पुलिस कार्रवाई में छात्रों को बुरी तरह मारा गया था.
वे तोड़फोड़ के आरोपों से इंकार करते हुए कहते हैं, "यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस के अंदर कई वीसी समर्थक थे जिन्होंने हमपर दबाव बनाया और जिसकी वजह से शीशे टूटे थे."
छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के बारे में ज़ुहैल कहते हैं, "जेएनयू में इतना बड़ा हंगामा हुआ लेकिन प्रशासन ने पुलिस को अंदर आने नहीं दिया था. लेकिन यहां वीसी ने पुलिस को बुलाया और कहा कि छात्रों को हटाओ. यही वजह है कि छात्र उग्र हो गए और यह समस्या शुरू हुई."
उनके मुताबिक़ कुलपति ने पुलिस को पूरी शक्ति दे दी थी.
ज़ुहैल कहते हैं, "हमारी मांग है कि छात्रों पर लगाए गए सभी आरोप हटाए जाएं."
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