
विश्व कप टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में शुक्रवार को दो अहम मुक़ाबले होंगे.
मोहाली में ग्रुप-2 में पाकिस्तान का सामना ऑस्ट्रेलिया से वहीं ग्रुप-1 में नागपुर में वेस्टइंडीज़ का सामना दक्षिण अफ्रीका से होगा.
पढ़िए इन मुक़ाबलों पर क्रिकेट विश्लेषक अयाज़ मेमन का आकलन –
मेरे हिसाब से आॅस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के लिए यह मैच, करो या मरो का मुकाबला है. दोनों ही टीमों में कुछ कमियां और खूबियां नज़र आ रही हैं.
पाकिस्तान की ताकत उसकी तेज गेंदबाजी में हैं. लेकिन उनके पास स्पिनर्स की कमी है. पिछले मैच में उनके आक्रमण में एक तरह का संतुलन दिखा था.

भारत के खिलाफ जब सिर्फ शाहिद अफरीदी को खिलाया था तो उनकी हालत खराब हो गई थी.
इन पिचों पर ज़रूरत है हल्की गेंदबाजी और उम्दा गेंदबाजों की और आॅस्ट्रेलिया ने भी एडम ज़म्पा का इस्तेमाल किया.
लेकिन उनके पास भी कोई और धीमा गेंदबाज नहीं हैं. ग्लेन मैक्सवेल पार्ट टाइम गेंदबाज हैं.
असल में ऐसी पिच पर जो आॅफ स्पिनर चाहिए वो नहीं है. मुझे लगता है कि दोनों ही तरफ का आक्रमण कहीं न कहीं कमज़ोर है.
आॅस्ट्रेलिया के लिए फायदा यह है कि उनकी बल्लेबाजी अभी भी काफी मज़बूत नज़र आती है. पाकिस्तान की बल्लेबाजी में वो बात नहीं दिख रही है.
आॅस्ट्रेलियाई बल्लेबाज शेन वॉटसन समेत बाकी बल्लेबाजों की बात करें तो उसमें काफी गहराई है. अनुभव भी काफी है, वॉटसन खुद काफी अनुभवी बल्लेबाज हैं, हालांकि वो संन्यास लेने जा रहे हैं. उस्मान ख़्वाजा बढ़िया फॉर्म में हैं, स्मिथ कुछ संघर्ष करते नज़र आ रहे हैं.
आॅस्ट्रेलिया की टीम की सबसे बड़ी समस्या रही है कि डेविड वॉर्नर जो बड़े धुंआधार ओपनिंग बल्लेबाज रहे हैं, उन्हें किस वजह से मध्यक्रम में खिलाया जा रहा है.

शायद इसके पीछे कुछ तर्क होगा. लेफ्ट-राइट बल्लेबाजों के बीच कोई संगत बैठाई जा रही है इसलिए ख़्वाजा और वॉटसन से ओपनिंग करा रहे है लेकिन यह एक अनिश्चित और अस्त-व्यस्त बैटिंग आॅर्डर माना जाएगा.
रणनीति के लिहाज से आॅस्ट्रेलियाई टीम की अप्रोच मुझे समझ नहीं आती है. लगता है कि वो जा रहे हैं, बल्ला घुमा रहे हैं और चाहते हैं कि हर मैच में 200 रन बनाए जबकि उसकी जरूरत नहीं क्योंकि जब आप 170-180 रन बनाकर भी मैच जीत सकते हो बशर्तें अगर आप वहां तक पहुंचे.
इतने रनों पर जोर देने का मतलब समझ नहीं आता है. लेकिन जब 140-150 रन बनाकर आउट हो जाएंगे तो आप मैच हार भी सकते हैं.
मैच में पिच की भूमिका अहम होगी. मैच दिन में मोहाली में खेला जाना है. यह मार्च का महीना है और अब हम सीज़न के आखिर में पहुंच चुके हैं. ऐसे मौसम में भारत में पिच काफी सूखी होती है.
धीमें गेंदबाज़ों की गेंद को काफी टर्न मिलता है. मुझे लगता है कि मोहाली में भी, जो अक्सर तेज गेंदबाजों के लिए अच्छी पिच मानी जाती है, वहां भी स्लो-बॉलर्स की बॉल को अच्छा टर्न मिलेगा.
दक्षिण अफ्रीका-वेस्टइंडीज़ में किसका पलड़ा भारी
पढ़िए क्रिकेट विश्लेषक अयाज़ मेमन का आकलन –

वेस्टइंडीज़ टी-20 क्रिकेट में एक मजबूत टीम है.
सीमित ओवर के मैच में वेस्टइंडीज़ एक मजबूत टीम बन जाती है. खबर है इस मैच में क्रिस गेल खेल सकते हैं, अगर वो आ जाएं और आठ-दस ओवर खेल लें तो मैच का नतीजा सबको पता चल जाता है. उनके अलावा ब्रावो और रसेल जैसे अच्छे खासे बल्लेबाज़ हैं जो मैच का रुख़ बदल सकते हैं.
दक्षिण अफ्रीका के पास भी बहुत अच्छे बल्लेबाज हैं. लेकिन इनके साथ एक दिक्कत है. हमने देखा है कि वे जीता हुआ मैच अक्सर हार जाते हैं.

अगर 229 रन बनाने के बाद इंग्लैंड के खिलाफ हारे तो यह बताता है कि अगर आप बड़े स्कोर को डिफेंड नही कर सकते तो उसका कोई मतलब नहीं होता है.
कांटे की टक्कर है और यहां दक्षिण अफ्रीका के सामने चुनौती है कि वह सेमीफाइनल तक पहुंचे.
इनके पास भी स्लो बॉलर्स की कमी है. हालांकि उनके पास इमरान ताहिर हैं.

अगर गेल टिक गए तो दक्षिण अफ्रीका के लिए दिक्कत हो सकती है लेकिन गेल सिंगल्स में ज्यादा रूचि नहीं लेते हैं तो उन्हें अगर जल्दी आउट कर दिया जाए तब कुछ हो सकता है.
मुझे तो मुश्किल लगता है कि वेस्टइंडीज़ के खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों को रोक पाएंगे लेकिन जीतेगा वही जिसमें जीत की भूख है.
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