Advertisement
तेज गाड़ी चला कर आखिर कहां जाना है?
दक्षा वैदकर मेरे एक मित्र को दो महीने पहले बेटी हुई. बीते दिनों उसने फेसबुक पर स्टेटस डाला ‘बच्ची के आने के बाद मैं खुद को बहुत जिम्मेवार महसूस करने लगा हूं. बेटी ने मुझे जीवन जीने का उद्देश्य दे दिया है. अब मैं हर काम सोच-समझ कर करता हूं. मैं ऐसा पिता बनना चाहता […]
दक्षा वैदकर
मेरे एक मित्र को दो महीने पहले बेटी हुई. बीते दिनों उसने फेसबुक पर स्टेटस डाला ‘बच्ची के आने के बाद मैं खुद को बहुत जिम्मेवार महसूस करने लगा हूं. बेटी ने मुझे जीवन जीने का उद्देश्य दे दिया है. अब मैं हर काम सोच-समझ कर करता हूं. मैं ऐसा पिता बनना चाहता हूं, जिस पर मेरी बेटी को गर्व हो. मैं अब गाड़ी धीमी गति से चलाता हूं, क्योंकि मुझ पर अब दो लोगों की जिम्मेवारी है.’
यह पढ़ कर मुझे खुशी तो हुई ही, लेकिन दिमाग में यह विचार भी आया कि लड़के पिता बनने के बाद ही ये सब क्यों महसूस करते हैं? यहां अन्य बातों को छोड़ कर मैं सिर्फ गाड़ी वाली बात पर कहना चाहती हूं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये वही लड़का है, जिसने कॉलेज के दिनों में तेज रफ्तार बाइक चलायी है.
सवाल उठता है कि क्या उस वक्त उसे जिम्मेवारी का अहसास नहीं था? आज ऐसे कई युवाओं को देखती हूं, जो तेज हॉर्न बजाते हुए, कट मारते हुए हैवी ट्रैफिक में भी तेज गाड़ी चला कर निकल जाते हैं.
वे यह क्यों नहीं सोचते कि उनका ये अति आत्मविश्वास, तेज गाड़ी चलाना उनकी जान भी ले सकता है और माता-पिता को अकेला कर सकता है. लोगों में ये दूर दृष्टि क्यों नहीं है? क्यों वे इतने यकीन के साथ तेज गाड़ी चलाते हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा. वे गाड़ी चलाने में एक्सपर्ट हैं.
हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण भी हैं, जो खुद को एक्सपर्ट समझते थे और एक्सीडेंट में मर चुके हैं. फिर क्यों युवा ऐसी गलती करते है? उन्हें तेज गाड़ी चला कर आखिर कहां जाना होता है? क्या यमराज के पास? उन्हें क्यों ऐसा लगता है कि तेज गाड़ी चलाते देख लड़कियां इम्प्रेस हो जायेगी. शायद वे नहीं जानते कि लड़कियां भी उन लड़कों को कभी गंभीरता से नहीं लेती, जो अपनी जान की परवाह नहीं करते और लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement