नयी दिल्ली : बजट 2016 नरेंद्र मोदी सरकार की पिछले दो बजट से अलग है. यह बजट गांव, खेत, किसान और गरीब केंद्रित है.सरकारने 2022तक किसानों कीआय दोगुणी करने कासंकल्प व्यक्तकिया. कृषि कर्ज सीमा बढ़ा कर नौ लाख करोड़ रुपये कर दी है. गांव के लिए बजट में सवा दो गुणे की भारी वृद्धि की गयी है. राजनीतिक व आर्थिक चुनौतियों से दो-चार नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इस बजट अब नहीं तो कभी नहीं वाली स्थिति बनी हुई थी. इस बजट का मीडिया में मोदी बजट कहा जा रहा था और बजट की हर बारीकी पर सीधे प्रधानमंत्री के निर्देश व मशवीरा था. प्रधानमंत्री ने कलहीस्वीकार किया था कि बजट के दिन उनकी परीक्षा है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है, जिसका संकेत मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने पहले ही दे दिया था.बजटभाषण केबादसरकार की प्रतिनिधि के तौर पर मीडिया से मुखातिबवाणिज्य मंंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्टकहाकि इस बजट में गांव पर जोर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह संकेत थे कि ग्रामीण आय में कमीआ सकती है, जिससेरूरल डिमांड कम होगा औरऐसे में सरकार ने उसे प्रोत्साहित करने के लिए यह बजट लाया. उन्होंने कहा कि मध्यमवर्ग को जोबेनिफिट दिये गये हैं,वेसशर्त हैं.
सरकार ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण के लिए अपने कड़े संकल्प को दोहराया है. उद्योग जगत ने इसका स्वागत किया है. वित्तमंत्री ने इसे 3.9 प्रतिशत करने व फिर 3.5 प्रतिशत करने का संकल्प दोहराया. इसका उद्योग जगत ने स्वागत किया है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी भी बजट को गांवों के विकास पर केंद्रित बताया. उन्होंने गांव के विकास के लिए 228 प्रतिशत की बजट वृद्धि को रेखांकित किया.
वित्तमंत्री ने एक मई, 2018 तक हर गांव में बिजली देने के लक्ष्य, स्वच्छ भारत के लिए नौ हजार करोड़ रुपये, ग्राम स्वराज अभियान आरंभ करने, गरीबों को एलपीजी देने व इसके लिए 2000 करोड़ रुपये के आवंटन पर जोर दिया. ग्रामीण सड़क के लिए 19 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का भी एलान किया.