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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

-कन्हैया झा -नयी दिल्ली- अमेरिका में ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ को आजादी और लोकतंत्र के वैश्विक प्रतीक के तौर पर जाना जाता है. इसी तर्ज पर भारत की एकता-अखंडता को एक प्रतीक के तौर पर दर्शाने के लिए गुजरात में सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के नाम से स्थापित की जा रही है. […]

-कन्हैया झा -नयी दिल्ली-

अमेरिका में ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ को आजादी और लोकतंत्र के वैश्विक प्रतीक के तौर पर जाना जाता है. इसी तर्ज पर भारत की एकता-अखंडता को एक प्रतीक के तौर पर दर्शाने के लिए गुजरात में सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के नाम से स्थापित की जा रही है. दुनिया की कुछ विशाल प्रतिमाओं के बारे में बता रहा है आज का नॉलेज.

स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी

देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के स्मारक के तौर पर भारत में सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण किया जा रहा है. इसी वर्ष 31 अक्तूबर को उनके जन्म दिवस के मौके पर इस निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया है. इसकी ऊंचाई 182 मीटर यानी 597 फीट होगी. विश्व की इस सबसे बड़ी प्रतिमा का निर्माण गुजरात में भरूच के निकट सरदार सरोवर बांध से साढ़े तीन किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर किया जायेगा. यह स्थान गरुड़ेश्वर और केवड़िया नगर के निकट विंध्य पर्वत और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं का सीना चीर कर बहने वाली नर्मदा नदी के बीच साधु द्वीप है. 20 हजार वर्ग मीटर इलाके में फैले इस निर्माण स्थल पर संबंधित अन्य कई निर्माण कार्य होंगे.

इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, भारत के एकीकरण में सरदार के योगदान को जीवंत करती विश्व स्तरीय प्रदर्शनी, संग्रहालय, स्मारक उद्यान, साधु द्वीप को मुख्यभूमि से जोड़नेवाला एक पुल, कन्वेंशन सेंटर के अलावा पार्किग की सुविधा भी विकसित की जायेगी.तांबे के आवरण वाली इस प्रतिमा को देखने के लिए 500 फीट की ऊंचाई पर एक अवलोकन गैलरी (ऑब्जर्वेशन डेक) बनायी जायेगी. यहां खड़े होकर एक साथ 200 लोग सरदार सरोवर बांध और जलाशय, गरुड़ेश्वर जलाशय, नर्मदा नदी और पर्वतमाला समेत आसपास की मनोरम प्राकृतिक दृश्यावली को निहार सकेंगे. इस अवलोकन गैलरी तक जाने के लिए हाइस्पीड लिफ्ट लगायी जायगी और नीचे की मंजिलों में संग्रहालय, स्मारक आदि बनाये जायेंगे. साथ ही, यहां एक अत्याधुनिक एक्वेरियम भी बनाया जायेगा. तकरीबन तीन किलोमीटर नाव की सवारी करके भी लोग प्रतिमा स्थल तक आ सकते हैं. अनुमान जताया गया है कि आगामी तीन-चार वर्षो के भीतर इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया जायेगा. माना जा रहा है कि यह विश्वस्तरीय सर्वश्रेष्ठ मूर्ति देश-विदेश के नागरिकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनेगी और इस स्थान को प्रेरणा स्थल के तौर पर प्रसिद्धी मिलेगी. सरदार पटेल की स्मृतियों को समर्पित इस मूर्ति को ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का नाम दिया गया है.

अमेरिकी क्रांति के दौरान फ्रांस और अमेरिका के बीच दोस्ती के प्रतीक के तौर पर फ्रांस ने अमेरिका को ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ की प्रतिमा भेंट की थी. इसे आजादी और लोकतंत्र के ‘वैश्विक प्रतीक’ के तौर पर जाना जाता है. स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को 28 अक्तूबर, 1886 को जनता को समर्पित किया गया था और 1924 में इसे राष्ट्रीय स्मारक के तौर पर निर्दिष्ट किया गया था. ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ इसका प्रचलित नाम हो चुका है, लेकिन फ्रांस ने जब इस प्रतिमा को भेंट किया था, उस समय इसका नाम था- लिबर्टी इनलाइटिंग द वर्ल्ड.

स्प्रिंग टेंपल बुद्ध

दुनिया में भगवान बुद्ध की सबसे विशाल प्रतिमा चीन के हेनान प्रांत में स्थापित है. इसे ‘स्प्रिंग टेंपल बुद्ध’ के नाम से जाना जाता है. दरअसल, इस प्रतिमा के निर्माण की घोषणा वर्ष 2001 में उस समय की गयी थी, जब अफगानिस्तान में तालिबान ने बामियान में बुद्ध की विशाल प्रतिमाओं को नष्ट कर दिया था. मालूम हो कि बामियान में प्राचीन काल में पहाड़ की चट्टानों को काट कर बुद्ध की विशाल प्रतिमा बनायी गयी थी. इस प्रतिमा का निर्माण वर्ष 2002 में किया गया था. उस समय इसकी ऊंचाई 128 मीटर (420 फीट) थी. मौजूदा समय में यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.इसमें मूर्ति का नीचे वाला कमल सिंहासन का 20 मीटर हिस्सा भी शामिल है. बाद में इसे एक 25 मीटर ऊंची इमारत पर स्थानांतरित किया गया. बताया जाता है कि मौजूदा समय में इसकी ऊंचाई 153 मीटर है. इस परियोजना की लागत साढ़े पांच करोड़ डॉलर बतायी गयी है; जबकि मूर्ति के निर्माण में तकरीबन 1.8 करोड़ डॉलर लागत आयी थी. इसमें एक हजार टन वजन के कुल 1,100 तांबे के टुकड़ों को जोड़ा गया है. इस प्रतिमा के नीचे एक बौद्ध मठ का निर्माण किया गया है.

उशिकु दाइबुत्सु

जापान के उशिकु में स्थित यह बुद्ध की दुनियाभर में विशाल प्रतिमाओं में से एक है. इसका निर्माण कार्य 1993 में पूरा हुआ था. बताया गया है कि जापानी भाषा की शब्दावली में इसका अर्थ ‘विशाल बुद्ध’ से है, जिसे औपचारिक तौर पर बुद्ध की बड़ी प्रतिमा के तौर पर जाना जाता है. इस प्रतिमा की ऊंचाई 120 मीटर (394 मीटर) है. इसमें 10 मीटर ऊंचाई आधार की और 10 मीटर ऊंचाई कमल के प्लेटफॉर्म की है. इस प्रतिमा को समुचित तरीके से दृश्यावलोकन के लिए सतह से 85 मीटर तक एलीवेटर लगाया गया है, जिसे ‘ऑब्जर्वेशन फ्लोर’ यानी अवलोकन मंच कहा जाता है. इस प्रतिमा के माध्यम से बुद्ध के विभिन्न स्वरूपों में से एक ‘अमिताभ बुद्ध’ को दर्शाया गया है और यह कांस्य का बना हुआ है. इस प्रतिमा के नीचे एक चार मंजिला इमारते है, जिसमें एक प्रकार का म्यूजियम बनाया गया है.

कुछ प्रमुख तथ्य

– इस प्रतिमा में रोमन देवी को एक हाथ में मशाल और दूसरे हाथ में टैबलेट लिये हुए दिखाया गया है, जिसमें अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा तिथि को दर्शाया गया है.

– तकरीबन 40 लाख लोग प्रत्येक वर्ष इसे देखने आते हैं.

-अमेरिका में 9/11 के हमलों के बाद इस प्रतिमा को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया था. बाद में जुलाई, 2009 में इसे पर्यटकों के लिए दोबारा खोल दिया गया. लेकिन दर्शकों की संख्या बेहद सीमित कर दी गयी है.

-2012 में भयानक तूफान सैंडी की वजह से इसे फिर बंद कर दिया गया था. इसी वर्ष चार जुलाई को इसे दोबारा से दर्शकों के लिए खोला गया है.

-1916 में यह प्रतिमा कुछ हद तक उस समय क्षतिग्रस्त हुई थी, जब जर्मन विध्वंसकों ने यहां प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यहां विस्फोट की साजिश को अंजाम दिया था.

-इस प्रतिमा का अधिकांश हिस्सा तांबे और लोहे से बनाया गया है, जो ऑक्सीडेशन की वजह से हरा दिखाई देता है.

-इसमें लगी हुए सात कीलें या खूंटियां (स्पाइक्स) विश्व के सात महासागरों और सात महाद्वीपों को इंगित करती हैं.

-इस प्रतिमा के मूल टॉर्च को स्वर्ण आवरण वाले एक नये कांस्य टॉर्च के तौर पर 1984 में बदला गया था.

-उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसे अमेरिका आनेवाले प्रवासियों के प्रतीक के तौर पर भी जाना जाता था. दरअसल, समुद्री मार्ग से अमेरिका पहुंचने में सबसे पहले यही प्रतिमा दिखायी देती है.

-इस प्रतिमा के निर्माण में फ्रांस और अमेरिका दोनों ही देशों ने वित्तीय मदद मुहैया करायी थी.

-1886 में जब इस प्रतिमा को स्थापित किया गया था, उस समय इसे दुनिया का सबसे ऊंचा ढांचा माना जाता था.

-984 में इसे यूनेस्को ने विश्व विरासत धरोहर स्थल का दर्जा दिया था.

– जिस द्वीप पर यह मूर्ति स्थापित है, पहले उसका नाम बेडलोए आइलैंड था. 1956 में इसका नाम बदल कर लिबर्टी आइलैंड कर दिया गया. इस द्वीप तक कोई भी व्यक्ति निजी नौका से नहीं जा सकता. यहां जाने के लिए केवल फेरी सिस्टम की व्यवस्था है.

– लिबर्टी आइलैंड स्टेट ऑफ द न्यूयॉर्क क्षेत्र की संघीय संपत्ति है.

– अब तक इस प्रतिमा के अनेक हिस्सों तक कई लोग पहुंचे हैं, लेकिन कुछ तकनीकों वजहों से इसके टॉर्च तक कोई दर्शक नहीं पहुंच पाया है.

विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

-गुजरात सरकार का दावा है कि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी. इसकी ऊंचाई 182 मीटर होगी.

-आधार से इस मूर्ति की कुल ऊंचाई 240 मीटर होगी. इसमें 58 मीटर का आधार स्तर (बेस लेवल) भी शामिल होगा.

– यह मूर्ति अमेरिका की ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से करीब दोगुनी ऊंची होगी.

-स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण टर्नर कंस्ट्रक्शन द्वारा किया जायेगा. दुबई स्थित विश्व की मौजूदा सबसे ऊंची इमारत ‘बुर्ज खलीफा’ के निर्माण कार्य में भी यह कंपनी शामिल थी.

-मौजूदा समय में चीन स्थित ‘स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्धा’ की मूर्ति सबसे ऊंची है. इसकी ऊंचाई 153 मीटर है.

-मूर्ति निर्माण कार्य दो चरणों में पूरा किया जायेगा. बताया गया है कि पहले चरण के कार्य की लागत तकरीबन 2000 करोड़ रुपये होगी; जबकि कुल लागत 2500 करोड़ रुपये होगी. इसका निर्माण अगले चार वर्षो में पूरा होने की संभावना है.

-इस प्रतिमा का निर्माण स्टील और कंक्रीट से किया जायेगा. इसका ऊपरी आवरण कांस्य को होगा.

-गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इस मूर्ति के निर्माण के लिए वे देश के प्रत्येक गांव से लोहा जुटायेंगे और किसानों से खेती में इस्तेमाल किये गये पुराने औजार मांगेंगे.

-इस प्रोजेक्ट कार्यान्वयन टीम में सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड (गांधीनगर) और सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट समेत कई अन्य सरकारी एजेंसियां शामिल हैं.

-इस परियोजना स्थल को एक्सप्रेस मार्ग समेत रेल नेटवर्क से जोड़ते हुए आधुनिक परिवहन व्यवस्था मुहैया करायी जायेगी. साथ ही, यहां एक हेलीपैड भी बनाया जायेगा.

-साइंटिफिक एरिया प्लानिंग के तहत आसपास के इलाकों में औद्योगिक गतिविधियों पर पाबंदी लगायी जायेगी.

-इस विशाल प्रतिमा को ‘भूकंपरोधी’ तकनीक से बनाया जा रहा है. साथ ही, स्टील के ढांचे से बनायी जाने वाली यह प्रतिमा मौसम की मार सहने में भी सक्षम होगी.

– इसके निकट सरदार पटेल पर लेजर लाइट एंड साउंड शो का प्रदर्शन भी किया जायेगा.

लोहा कैंपेन

‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ के तौर पर सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा के निर्माण के लिए देशभर के सभी गांवों के किसानों से लोहा और गांव की मिट्टी मंगायी जा रही है. यह लोहा खेती के औजारों का पुराना लोहा हो सकता है. प्रत्येक गांव से मंगायी गयी मिट्टी के कुछ हिस्से को निर्माण कार्य में लगाया जायेगा, जबकि कुछ हिस्से को म्यूजियम में उसकी पहचान के साथ सुरक्षित रखा जायेगा; ताकि देश का कोई भी नागरिक जब यहां आयेगा तो उसे इस प्रतिमा के निर्माण में अपने गांव के योगदान का गर्व महसूस होगा.

(स्रोत:स्टैच्यू ऑफ यूनिटी डॉट इन)

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