
अभिनेता दिलीप कुमार को मुंबई की एक अदालत ने 18 साल पुराने चेक बाउंस के मामले में बरी कर दिया है.
मुंबई की गिरगांव मजिस्ट्रेट की अदालत में ख़ुद 94 वर्षीय दिलीप कुमार पेश हुए.
इस मामले में दिलीप कुमार सीधे अभियुक्त नहीं थे बल्कि वे उस कंपनी के सीईओ और निदेशक थे, जिस पर चेक बांउस का आरोप था.
1998 में कोलकाता स्थित एक ट्रेडिंग कंपनी ‘जीके एक्ज़िम इंडिया लिमिटेड’ पर एक निवेशक कंपनी ‘डेक्कन सीमेंट्स’ ने भुगतान का चेक बाउंस होने के बाद केस किया था.

एक करोड़ के इस निवेश को लौटाने के लिए दिए गए दो चेक बाउंस होने का कारण अकाउंटेंट की एक छोटी भूल मानी जा रही थी लेकिन इस मामले की ज़िम्मेदारी कंपनी के निदेशक यानी दिलीप कुमार पर भी आई.
दिलीप कुमार की पत्नी और अभिनेत्री सायरा बानो ने रविवार को दिलीप कुमार के अकाउंट से ट्वीट कर उनके केस के बारे में जानकारी दी थी.
उन्होंने लिखा था, "मुझे बहुत ही दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि 18 साल पुराने मामले की सुनवाई के लिए साहब को पेश होना है. उनकी उम्र 94 साल है, इसके बावजूद उन्होंने कभी भी केस के स्थगित होने की कामना नहीं की."
उन्होंने आगे लिखा, "उम्मीद करती हूं कि इस केस का जो भी परिणाम होगा उससे उनकी सेहत पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. आपकी दुआ और प्रार्थना की उम्मीद करती हूं."
दिलीप कुमार का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता जिसकी वजह से उन्हें बोलने, चलने और लिखने में मुश्किल होती है.
हालांकि वो कोर्ट परिसर पहुंचे और कुछ ही देर में मजिस्ट्रेट ने फ़ैसला उनके हक़ में सुना दिया.
उनकी तबियत को देखते हुए सायरा बानो समेत उनके सभी स्टाफ़ कर्मचारी तुरंत अदालत से वापस लौट गए.
सोशल मीडिया पर दिलीप कुमार को इतनी अधिक उम्र में अदालत में पेश होने के आदेश की काफ़ी आलोचना भी हुई थी.
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