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अंतरिक्ष की ओर करें रुख

स्पेस साइंस का क्षेत्र कई तरह के कैरियर विकल्प खोलता है. ज्वॉइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेइइ) के माध्यम से स्नातक स्तर के कोर्स में प्रवेश लिया जा सकता है. इच्छुक आवेदक इस ओर रुख कर बेहतर कैरियर की ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं. आइए जानें इस क्षेत्र के बारे में विस्तार से.. अब वह सोच […]

स्पेस साइंस का क्षेत्र कई तरह के कैरियर विकल्प खोलता है. ज्वॉइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेइइ) के माध्यम से स्नातक स्तर के कोर्स में प्रवेश लिया जा सकता है. इच्छुक आवेदक इस ओर रुख कर बेहतर कैरियर की ओर अपने कदम बढ़ा सकते हैं. आइए जानें इस क्षेत्र के बारे में विस्तार से..

अब वह सोच गुजरे समय की बात हो गयी है, जब छात्र सिर्फ डॉक्टर, इंजीनियर बनने का ख्वाब बुना करते थे. आधुनिक जीवनशैली और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के कारण कई कैरियर विकल्प सामने आने लगे हैं. इन्हीं विकल्पों में से एक है स्पेस साइंस. इसका जीवंत उदाहरण भारत का मंगलयान है. अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती हलचलों ने युवाओं को इस ओर आने के लिए खासा प्रेरित किया है. अगर आपके अंदर सोलर सिस्टम के नये आविष्कार करने का ख्याल जन्म लेता है या सेटेलाइट के बारे में जानने में रुचि है, पृथ्वी से उसके संबंध को जानने की जिज्ञासा है, तो अंतरिक्ष विज्ञान की ओर रुख करने का समय आ चुका है.

क्या है स्पेस साइंस
स्पेस साइंस या स्पेस टेक्नोलॉजी बहुत बड़ा क्षेत्र है. इसके तहत एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स, प्रामेट्ररी एटमॉस्फियर और एयरोनॉमी, अर्थ साइंसेस और सोलर सिस्टम की पढ़ाई आती है. आज के दौर में स्पेस साइंस की कई सब-ब्रांचेज भी बना दी गयी हैं. इनमें से कुछ हैं-कॉस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस, प्लेनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोलॉजी आदि. साइंस और इंजीनियरिंग की ये शाखाएं अंतरिक्ष के चारों तरफ घूमती हैं. भारत द्वारा श्रीहरिकोटा से लांच हुई रोहिणी-1 से अंतरक्षि में पैदा हुई खलबली युवाओं को इस ओर आकर्षित करने का काम करती है.

कैसे हैं कोर्स
स्पेस साइंस, स्पेस टेक्नोलॉजी या स्पेस अप्लीकेशंस के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए विद्यार्थियों का साइंस विषयों में अच्छी पकड़ होना जरूरी है. इसमें 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स से पढ़ाई करना जरूरी है. इन विषयों को आगे बढ़ाते हुए इनके साथ स्नातक भी किया जा सकता है. अगर संभव हो, तो स्नातक स्पेस साइंस / स्पेस टेक्नोलॉजी से भी किया जा सकता है. ये कोर्स इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (आइएसआरओ) द्वारा कराये जाते हैं. इसके तहत मुख्य कोर्स चार वर्षीय बीटेक प्रोग्राम या तीन वर्षीय बीएससी कोर्स है. इस क्षेत्र में बैचलर्स स्तर के कोर्स करने के बाद स्पेस साइंस और टेक्नोलॉजी और अन्य संबंधित क्षेत्रों में पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स में दाखिला भी ले सकते हैं. इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए पीएचडी अनिवार्य है. और तो और, आज स्पेस साइंस में काम करनेवाले अधिकांश पेशेवर पीएचडी धारक हैं.

संभावनाओं के द्वार
स्पेस साइंस विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराता है. यह सिर्फ सोलर सिस्टम में नयी खोज या दूर स्थित ग्रहों का मैप तैयार करने तक ही सीमित नहीं है. अपनी योग्यताओं और स्किल्स के माध्यम से उम्मीदवार आइएसआरओ, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ), हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स (एचएएल), नेशनल एरोनॉटिकल लैबोरेटरीज (एनएएल) और एयरोस्पेस इंडस्ट्री में काम कर सकते हैं. स्पेस साइंटिस्ट के रूप में विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के रूप में काम कर सकते हैं, एकेडमिक कमेटी का हिस्सा बन सकते हैं, पेपर प्रकाशित कर सकते हैं, शोध करनेवाले छात्रों के गाइड बन सकते हैं. एस्ट्रोनॉमर्स और एस्ट्रोफिजिक्सिस्ट सरकारी या राष्ट्रीय ऑब्जरवेटरीज, स्पेस रिसर्च एजेंसियों, साइंस म्यूजियम और प्लेनेटेरियम में नौकरी प्राप्त कर सकते हैं. इस क्षेत्र के विशेषज्ञ टेलीस्कोप डिजाइन और बनाने में, सॉफ्टवेयर लिखने में, स्पेस लैबोरेटरीज में काम कर सकते हैं. इनके अलावा सिमुलेशन सेंटर्स, स्पेस टूरिज्म ऑपरेटर्स, स्पेसक्राफ्ट मैन्युफैरिंग फर्म्स, मिलिटरी ऑपरेशंस, आर एंड डी सेंटर्स, स्पेसक्राफ्ट सॉफ्टवेयर डेवलपिंग फर्म्स, रिपेयर और मेंटनेंस वर्कशॉप में भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं.

कमाई भी कम नहीं
स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कमाई मुख्य रूप से शैक्षणिक योग्यता और संस्थान, जहां से डिग्री हासिल की है, जिस काम से जुड़े हैं आदि पर निर्भर करती है. शुरुआती दौर में स्पेस साइंटिस्ट हर स्थिति में दो से ढाई लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं. अनुभव और ज्ञान के साथ असीमित वेतन हासिल किया जा सकता है.

खुल गया है प्रवेश का रास्ता
स्पेस साइंस के क्षेत्र में कैरियर बनानेवालों के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी एक प्रमुख संस्थान है. ज्वॉइंट एंट्रेंस टेस्ट (जेइइ) एडवांस्ड के माध्यम से इस संस्थान में प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है. इसके साथ ही अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज जहां से ये कोर्स कराये जाते हैं, उनमें भी जेइइ मेन्स के माध्यम से दाखिला प्राप्त किया जा सकता है. जेइइ मेन्स के लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है. इस ओर आने के इच्छुक युवा समय रहते आवेदन कर सकते हैं. ध्यान रखें कि जेइइ एडवांस्ड का प्रवेश द्वार भी जेइइ मेन्स से होकर ही खुलता है. इसलिए जेइइइ मेन्स के लिए 26 दिसंबर तक ऑनलाइन आवेदन करें.

मुख्य संस्थान

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइएसटी), तिरुवनंतपुरम

वेबसाइट : www.iist.ac.in

बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची

वेबसाइट : www.bitmesra.ac.in

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु

वेबसाइट : www.iisc.ernet.in

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी), मुंबई, मद्रास, खड़गपुर और कानपुर

वेबसाइट : www.iitb.ac.in; www.iitm.ac.in; www.iitkgp.ac.in; www.iitk.ac.in

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