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‘सिमी मेरा अतीत है, ख़ालिद को उससे न जोड़ें’

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने वालों में से एक उमर ख़ालिद के पिता सैयद क़ासिम इलियास का मानना है कि उनके बेटे को फंसाने की कोशिश की गई है. ख़ालिद पर आरोप है कि उन्होंने नौ फ़रवरी को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे […]

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने वालों में से एक उमर ख़ालिद के पिता सैयद क़ासिम इलियास का मानना है कि उनके बेटे को फंसाने की कोशिश की गई है.

ख़ालिद पर आरोप है कि उन्होंने नौ फ़रवरी को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए थे. पुलिस को उनकी तलाश है.

वहीं जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया गया है और फ़िलहाल वह जेल में हैं.

क़ासिम का तर्क है कि जेएनयू में दस छात्रों ने मिलकर वह कार्यक्रम आयोजित किया था. पर इसमें एक छात्र उमर को चुन कर उनके ख़िलाफ़ ही कार्रवाई की जा रही है.

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वह कहते हैं, "एक बहुत बड़ी साज़िश के तहत उमर ख़ालिद को फंसाने की कोशिश की गई. यदि उन्होंने आपत्तिजनक काम किया है तो देश के नियम के तहत उस पर कार्रवाई हो, पर जिस तरह का माहौल देश में बना दिया गया है, वह ग़लत है."

वे आगे कहते हैं, "जिस तरह ख़ालिद को चरमपंथ से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, वह बिल्कुल बेतुकी बात है."

क़ासिम ज़ोर देकर कहते हैं कि उनका बेटा इस वक़्त कहां है, उन्हें नहीं पता.

उन्होंने बीबीसी से कहा, "उमर ख़ालिद को सामने आना चाहिए, सरेंडर करना चाहिए, उन्हें न्यायपालिका का सामना करना चाहिए और अपने ऊपर लगे इल्ज़ामों का जवाब देना चाहिए."

लेकिन क़ासिम इसके आगे यह भी जोड़ते हैं कि इसके पहले माहौल को इस लायक़ बनाया जाना चाहिए.

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उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सियासी फ़ायदा उठाने के लिए इस मामले को जानबूझ कर बिगाड़ा है.

क़ासिम ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक निहायत ही छोटे और स्थानीय मामले को जानबूझ कर बिगाड़ दिया और राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ला दिया.

उनके मुताबिक़, यदि किसी छात्र ने राष्ट्रविरोधी नारे लगाए थे तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. विश्वविद्यालय ने इसकी जांच के लिए कमेटी बना ली थी, उसके फ़ैसले का इंतजार करना चाहिए था.

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जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार

उन्होंने कहा, "मंशा उन लोगों को कुचलने की थी, जिनके विचार सरकार में बैठे लोगों के विचार से नहीं मिलते हैं. दरअसल, सरकार में बैठे लोग इसका राजनीतिक फ़ायदा उठाना चाहते थे."

वह कहते हैं, "जिस तरह से माहौल बिगाड़ दिया गया है, मीडिया ट्रायल हो रहा है, वक़ील गुंडों की तरह व्यवहार कर रहे हैं, उस स्थिति में ऐसा करना मुश्किल है."

क़ासिम मानते हैं कि वह किसी ज़माने में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया यानी सिमी से जुड़े हुए थे.

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पर क़ासिम यह भी कहते हैं कि उनके अतीत से उनके बेटे को नहीं जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है.

वह कहते हैं, "मैं 1985 में सिमी से रिटायर हुआ और उमर का जन्म 1987 में हुआ, उसे भला सिमी से क्या रिश्ता? दूसरी बात, उस समय सिमी प्रतिबंधित संगठन नहीं था. इस पर भारत सरकार ने 2001 में रोक लगाई थी."

(बीबीसी संवाददाता सुशीला सिंह से बातचीत पर आधारित)

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