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कागजी शादियों में उलझ रही जिंदगी

अनुपम कुमारी पटना : अगर आप अपने प्रेम को मुकम्मल जहां देने की सोच रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं. आपकी शादी भी कहीं 20 से लेकर 100 रुपये तक के कागज में न सिमट जाये. जी हां, महिला हेल्पलाइन में दर्ज होनेवाले मामलों में कई शादियां ऐसी हैं, जो आज कागजों में सिमट कर […]

अनुपम कुमारी

पटना : अगर आप अपने प्रेम को मुकम्मल जहां देने की सोच रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं. आपकी शादी भी कहीं 20 से लेकर 100 रुपये तक के कागज में न सिमट जाये. जी हां, महिला हेल्पलाइन में दर्ज होनेवाले मामलों में कई शादियां ऐसी हैं, जो आज कागजों में सिमट कर रह गयी हैं.

शादीशुदा जीवन में थोड़े से टकराव के बाद महिलाएं जब रिश्ते बचाने के लिए कानून का सहारा लेने पहुंचती हैं, तो उन्हें शादी के सबूत जुटाने पड़ रहे हैं. लेकिन नोटरी पेपर के अलावा उनके पास कोई अन्य दस्तावेज या सबूत नहीं होने से न तो वे अपनी शादियां बचा पा रही हैं और न ही कानून का लाभ ले पा रही हैं. उनके पास अपनी शादी को प्रूव करने का कोई विकल्प नहीं होता है. महिला हेल्पलाइन की मानें, तो महीने में 35 से 40 मामले दर्ज होते हैं. इनमें से आठ से दस मामले प्रेम विवाह के होते हैं.

परियोजना प्रबंधक प्रमीला कुमारी ने बताया कि महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है. मंदिर और नोटरी पेपर पर की गयी शादियों काे कानूनी रूप से मान्यता नहीं होने से जब रिश्तों में खटास आती है, तो ऐसी समस्या उत्पन्न हो जाती है. प्रेम विवाह करनेवाली लड़कियों को परिवार वालों का साथ भी नहीं मिल पाता है. इससे वे कई बार आत्महत्या तक कदम उठा लेती हैं. इससे उन्हें बचना होगा.

केस एक : दरभंगा निवासी नेहा (परिवर्तित नाम) ने वर्ष 2012 में प्रेम विवाह किया. दरभंगा कोर्ट में 100 रुपये के नोटरी पर दोनों ने साथ जीने और मरने की कसमें खायीं, बाद में पति ने नेहा को पत्नी मानने से इनकार कर दिया. जब नेहा ने महिला हेल्पलाइन में केस दर्ज कराया, तो पता चला कि इस कागज का वैल्यू नहीं है.

केस दो : वैशाली जिले की विजया (परिवर्तित नाम) की शादी पांच वर्ष पूर्व पप्पु से हुई थी. वह अब विजया को साथ रखने को तैयार नहीं है. यहां तक कि विजया गर्भवती भी है. इसके बाद भी उसे अब उसका पति रखना नहीं चाहता है. विजया की शादी तो मात्र 20 रुपये के नोटरी पेपर पर हुई है. ऐसे में शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं है.

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