
जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ़्तारी को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने आपातकाल जैसी कार्रवाई बताया है.
अफ़ज़ल गुरु की फांसी की बरसी पर बीते मंगलवार को जेएनयू कैंपस में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ इसमें भारत के विरोध में नारे लगे थे.
जेएनयू छात्र संघ ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कार्यक्रम और उसमें लगने वाले नारों की ख़बर से ख़ुद को अलग करते हुए कहा है कि यह हंगामा जेएनयू के छात्रों और यहां की लोकतांत्रिक परंपराओं को धूमिल करने के लिए किया जा रहा है.
इस मुद्दे पर पढ़िए बीजेपी नेता अभिताभ सिन्हा की राय: ‘जेएनयू में सफ़ाई अभियान की ज़रूरत है’
दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद महेश गिरी की शिकायत पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया है.
पढ़िए इस पूरे घटनाक्रम पर सीताराम येचुरी की राय.
जेएनयू में कुछ छात्रों पर आरोप है कि उन्होंने कुछ ऐसी बातें की जो मानी जा सकती है कि राष्ट्रीय हित के ख़िलाफ़ थी.
सरकार मामले की जांच कर सकती है लेकिन इसके बहाने यूनिवर्सिटी कैंपस में बड़ी तादाद में पुलिस बल भेजना और होस्टलों में धड़पकड़ करना अच्छी बात नहीं है.
इस मामले में मोदी सरकार का अधिनायकवादी चेहरा सामने आ रहा है.
यह बस जानते हैं कि मोदी सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों को नियंत्रित करना चाहती है और जेएनयू के भीतर उनको अभी तक कोई बहाना नहीं मिला था.
अब इस घटना को बहाना बनाकर सरकार जेएनयू में हस्तक्षेप कर रही है. छात्र संघ के अध्यक्ष का इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है लेकिन उन्हें गिरफ़्तार किया गया है.
जब इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई तो किसी का नाम क्यों नहीं है. किसी ने यह सवाल पूछना मुनासिब क्यों नहीं समझा.

हमारी मांग यह है कि पहले तो कैंपस से पुलिस हटाई जाए और गिरफ़्तार किए गए निर्दोष छात्र को रिहा किया जाए.
या फिर बताइए कि आरोप क्या है? पुलिस ने जांच की है तो बताइए कि क्या सबूत है जिसके आधार पर गिरफ़्तारी हुई है.
मनमाने ढ़ंग से गिरफ़्तारी नहीं की जा सकती. अभी भारत में फ़ासीवादी व्यवस्था नहीं है लेकिन मोदी सरकार उसी तरफ जा रही है.
इसको लेकर राजनीतिक दलों को एकजुट करेंगे और राष्ट्रपति से मिलेंगे. हम यह सवाल भी उठाएंगे कि नए कुलपति के आते ही पुलिस की इजाज़त के बिना कैंपस में जाने पर क्यों पाबंदी लग गई.
मुझे जो सूचना मिली है उसके मुताबिक़ कुलपति ने ख़ुद ही पुलिस को बुलाया था. ऐसे हालत में उनके स्पष्टीकरण की भी ज़रूरत है.
संसद का बजट सत्र भी शुरू होने वाला है. जेएनयू की स्थापना संसद के अधिनियम के तहत हुई है, इसलिए वहां भी सवाल उठाएंगे.
(सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी के ये निजी विचार हैं और ये लेख बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से उनकी बातचीत पर आधारित है)
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