एक ओर जहां अभिभावक मानते हैं कि उनका बच्चा उन्हें इंटरनेट पर की जानेवाली सभी गतिविधियों की जानकारी देता है, तो दूसरी ओर अधिकतर किशोर गलत जानकारी दे कर अपने अभिभावकों को गुमराह करते हैं. यह तथ्य सामने आया है मैकेफी द्वारा हाल में किये गये सर्वेक्षण में…
स्मार्टफोन जैसे उपकरण के आने के बाद इंटरनेट का प्रयोग करनेवाले किशोरों की संख्या कई गुना बढ़ गयी है. अभिभावक किशोरों को इंटरनेट का प्रयोग करने से रोक तो नहीं सकते, हां मगर वे यह दावा जरूर करते हैं कि वे अपने बच्चों की इंटरनेट पर की जानेवाली सभी गतिविधियों पर नजर रखते हैं. मगर अभिभावकों का यह दावा पूरी तरह से गलत साबित हो चुका है. हाल में अमेरिका में युवाओं और इंटरनेट पर हुए मैकेफी के एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि अधिकतर किशोर अपने अभिभावकों को इंटरनेट के बारे में लगातार गुमराह करते हैं. वे इंटरनेट पर क्या करते हैं, इसके बारे में अपने माता-पिता से लगातार झूठ बोलते हैं या गलत जानकारी देते हैं.
मैकेफी ने एक बयान में कहा कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 50 फीसदी अमेरिकी अभिभावकों को लगता है कि उनका बच्चा उन्हें इंटरनेट पर सभी तरह की गतिविधियों की जानकारी देता है.
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ऐसे किशोरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो अपने अभिभावकों को इंटरनेट के बारे में गलत जानकारी दे रहे हैं. 70 फीसद से ज्यादा किशोरों ने इंटरनेट पर अभिभावकों के नियंत्रण से बचने का तरीका ढूंढा हुआ है.
इससे पहले 2010 में इसी तरह के सर्वेक्षण में सिर्फ 45 प्रतिशत किशोर ही अभिभावकों को इंटरनेट के बारे गलत जानकारी दे रहे थे. मगर हाल में हुए इस सर्वेक्षण से पता चला है कि जब कोई अभिभावक बच्चों में कमरे में आ जाता है, तो वे या तो इंटरनेट ब्राउजर की हिस्टरी साफ कर देते हैं या फिर ब्राउजर को मिनीमाइज कर देते हैं, जिससे अभिभावक यह नहीं जान पाते कि उनका बच्चा इंटरनेट पर क्या कर रहा है.