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बच्चों के भीतर अभी से इन बीजों को बोएं
दक्षा वैदकर आपका बच्चा बड़ा हो कर एंटरप्रेन्योरशिप में जाना चाहे या न जाना चाहे, लेकिन इससे जुड़े मूल नियमों के बीज उसमें बचपन से ही डाल कर आप उसे एक बेहतर जीवन जीने के लिए जरूर तैयार कर सकते हैं. एंटरप्रेन्योरशिप से जुड़े मूल्य सिखाने का अर्थ उस पर अपनी इच्छाएं थोपना कतई नहीं […]
दक्षा वैदकर
आपका बच्चा बड़ा हो कर एंटरप्रेन्योरशिप में जाना चाहे या न जाना चाहे, लेकिन इससे जुड़े मूल नियमों के बीज उसमें बचपन से ही डाल कर आप उसे एक बेहतर जीवन जीने के लिए जरूर तैयार कर सकते हैं. एंटरप्रेन्योरशिप से जुड़े मूल्य सिखाने का अर्थ उस पर अपनी इच्छाएं थोपना कतई नहीं है. इन मूल्यों से आप उसे जीवन में साहस दिखाना, जोखिम से न डरना, नयी खोजें करना और सबको साथ लेकर चलने के अहम सबक सिखा जाते हैं.
सिखाएं रिस्क उठाना : एंटरप्रेन्योरशिप में उतरने के बावजूद कई लोग रिस्क लेने के नाम से डरने लग जाते हैं. यह अप्रोच बिजनेस की प्रगति को अवरुद्ध कर देती है. अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही नपे-तुले रिस्क लेना सिखाइए. जैसे कि कुत्ताें को देखते ही डर कर भागने वाले अपने बच्चे को आप सिखा सकते हैं कि भागने की बजाय उनके पास से आराम से निकल कर देखो. वे कुछ नहीं करेंगे. इस तरह उसका डर भी जायेगा और उसे रिस्क लेना भी आयेगा. रिस्क लेने वक्त सावधानी बरतनी जरूर सिखाएं.
सिखाएं सुनना : अच्छा बोलना तो हर मां-बाप अपने बच्चे के सिखाते हैं, लेकिन एंटरप्रेन्योरशिप के तहत आपका एक अच्छा श्रोता होना भी जरूरी है. यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि तभी आप सिर्फ अपने आइडिया को सुप्रीम मानने के बजाय टीम मेंबर्स के भी आइडिया सुनेंगे. इसके लिए आप उसे टीम के सदस्यों की मरजी से गेम्स में बदलाव लाना सिखाएं. दूसरों को सुनने से वह धैर्यवान होगा.
आशावान बनाएं : बिजनेस में उतार-चढ़ाव तो लगे रहते हैं और इनसे पार वही लोग पा सकते हैं, जो उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते. ऐसे में अपने बच्चों में उम्मीद कायम रखने का गुण डालिए.
खराब से खराब परिस्थिति में उन्हें अच्छी बातें ढूंढ़ पाने के लिए प्रेरित करें. इस तरह की अप्रोच बच्चों में डाल कर आप उन्हें एंटरप्रेन्योरशिप के लिए तो तैयार करेंगे ही, साथ ही साथ उनमें जीवन के प्रति एक अलग ही उमंग का संचार भी कर देंगे. यह अप्रोच उन्हें मुश्किल हालातों में भी धैर्यवान रखेगी.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– अपने बच्चों को प्रेरित करें कि वे रोजमर्रा के कामों को नये और ज्यादा दक्ष तरीकों से कर के दिखाएं. उनके इनोवेटिव आइडिया को जरूर सराहें.
– बच्चों को खुद की एक शील्ड बनाने दें. यह शील्ड उन्हें सफलता को दिमाग पर चढ़ाने और विफलता को दिल से लगाने से रोकेगी.
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