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महासागर में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक!

समुद्र में प्लास्टिक जमा होने से वर्ष 2050 तक मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक का कचरा होने क आशंका है. पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होनेवाला 95 फीसदी प्लास्टिक सिर्फ एक बार इस्तेमाल होने के बाद सीधे समुद्र में पहुंच रहा है. प्लास्टिक के निपटारे के लिए यदि तत्काल कदम नहीं उठाये गये, तो महासागरों में मछलियों […]

समुद्र में प्लास्टिक जमा होने से वर्ष 2050 तक मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक का कचरा होने क आशंका है. पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होनेवाला 95 फीसदी प्लास्टिक सिर्फ एक बार इस्तेमाल होने के बाद सीधे समुद्र में पहुंच रहा है.

प्लास्टिक के निपटारे के लिए यदि तत्काल कदम नहीं उठाये गये, तो महासागरों में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा. ‘डॉयचे वेले’ के मुताबिक, हर साल 80 करोड़ टन प्लास्टिक यानी प्रत्येक मिनट करीब एक ट्रक प्लास्टिक महासागरों में समा रहा है. वर्ष 2030 तक प्रत्येक मिनट दो ट्रक प्लास्टिक कचरा समुद्र में जायेगा. पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक सबसे ज्यादा परेशानी खड़ी कर रहा है.

कई संस्थाओं के साथ किये गये शोध में यह भी पता चला है कि प्लास्टिक की बेहतर रिसाइकिलिंग नहीं की जा रही है. इस उद्योग का 95 फीसदी प्लास्टिक पहली बार इस्तेमाल करने के बाद फेंका जा रहा है. फिलहाल महासागरों में करीब 15 करोड़ टन प्लास्टिक है. वर्ष 2025 तक तीन टन मछलियों के बीच एक टन प्लास्टिक होगा और 2050 तक मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक होगा. समुद्र के नमकीन पानी में तैरता प्लास्टिक सूर्य की तेज रोशनी में टूटने लगता है.

विघटन के बाद यह सूक्ष्म प्लास्टिक बड़े समुद्री इलाके में फैल जाता है. वैज्ञानिक चेतावनी दे चुके हैं कि समुद्र में प्लास्टिक के विघटन का असर इनसान समेत कई जीवों के आहार चक्र पर पड़ सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अलग अलग इलाके की मछलियों के पेट में प्लास्टिक की अलग अलग मात्रा हो सकती है.

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