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इस साल फ़ीका पड़ जाएगा आईफ़ोन का जादू?

डेव ली उत्तरी अमरीका टेक्नोलॉजी रिपोर्टर दुनियाभर के बाज़ार में अपने आईफ़ोन, आईपैड और मैकबुक के चलते धूम मचाने वाली कंपनी एेपल का जादू अब फीका पड़ रहा है. वैसे तो कंपनी के कारोबार पर 2015 में कोई असर नहीं पड़ा पर इस साल इसके कारोबार में कमी होने की आशंका जताई जा रही है. […]

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दुनियाभर के बाज़ार में अपने आईफ़ोन, आईपैड और मैकबुक के चलते धूम मचाने वाली कंपनी एेपल का जादू अब फीका पड़ रहा है.

वैसे तो कंपनी के कारोबार पर 2015 में कोई असर नहीं पड़ा पर इस साल इसके कारोबार में कमी होने की आशंका जताई जा रही है.

पहला संकेत यही है कि कंपनी के शेयरों का मूल्य पहली बार 100 डॉलर से कम हो गया है. अक्टूबर 2014 के बाद पहली बार कंपनी के शेयरों के दाम में गिरावट देखने को मिली है.

बीते साल मई में कंपनी के शेयरों के दाम 132 डॉलर थे.

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कहा जा रहा है कि इन चिंताओं ने एेपल के निवेशकों के रातों की नींद उड़ा दी है. इन्हें डर है कि पहली बार एेपल अपने आईफ़ोन की बिक्री में गिरावट की घोषणा कर सकती है. जी हां, आईफ़ोन की बिक्री में गिरावट देखने को मिल रही है.

एेपल के ताज़ा आंकड़े अक्टूबर बाद के हैं. इसके मुताबिक़ कंपनी की कुल आमदनी में से 63 फ़ीसदी हिस्सा स्मार्टफ़ोन की बिक्री से आ रहा है. इसमें आईफ़ोन से जुड़े ऐप, एेपल म्यूज़िक और फ़ोन से जुड़े अन्य उत्पादों से मिलने वाली आमदनी शामिल है.

बिक्री के मामले में एेपल का कोई दूसरा उत्पाद आईफ़ोन के आसपास नहीं दिख रहा है. मैकबुक रेंज के लैपटॉप की बिक्री में काफ़ी गिरावट पहले ही रिकॉर्ड की जा चुकी है. इसकी हिस्सेदारी एेपल की कुल बिक्री में महज़ 13 फ़ीसदी रह गई है.

कुल बिक्री में आईपैड की हिस्सेदारी आठ फ़ीसदी है. दरअसल पिछले कुछ दिनों में आईपैड प्रो के लॉन्च होने से आईपैड की बिक्री बढ़ी है. आईपैड प्रो थोड़ा स्टाइलिश भी है. इसमें कीबोर्ड लगाने की सुविधा भी है.

नए प्रोडक्ट में एेपल वॉच कितनी कामयाब है, इसे लेकर कोई आंकड़े नहीं हैं. इसकी गिनती आई पॉड, बीट्स हेडफ़ोन और दूसरी चीज़ों के अन्य वर्ग में ही की जाती है.

अन्य वर्ग से होने वाली आमदनी एेपल की कुल आमदनी का छह फ़ीसदी है. क्रिसमस के मौक़े पर स्मार्ट वॉच काफ़ी बिकी. मुमकिन है कि एेपल आने वाले दिनों में इस उत्पाद पर भरोसा करे.

लेकिन निवेशकों की चिंता की सबसे बड़ी वजह उनका आईफ़ोन पर भरोसा है. दरअसल एेपल की अब तक की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह यह रही कि जो ग्राहक एक बार एेपल से जुड़ता है, वह दूसरे ब्रांड के उत्पाद नहीं लेता. लेकिन नए ग्राहकों के साथ ऐसा नहीं हो रहा है.

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यही वजह है कि एेपल के लिए अब चीन बेहद अहम बाज़ार है. आज के समय में एेपल यूरोप के पूरे बाज़ार से जितनी कमाई करता है, उससे ज़्यादा कमाई उसे चीन से हो रही है. चीन में तेज़ी से बढ़ते कारोबार से यह भी उम्मीद थी कि आने वाले दिनों यह अमरीकी बाज़ार को भी पीछे छोड़ देगा.

लेकिन चीन की आर्थिक स्थिति इन दिनों ख़राब है. एेपल के निवेशकों में एफ़बीआर कैपिटल मार्केट्स के डेनिएल आइवेस कहते हैं, ”चीन में मंदी है. इसलिए एेपल की बिक्री में मंदी देखने को मिल रही है. एेपल ने चीन में विकास की संभावनाओं पर ज़्यादा भरोसा किया था.”

वैसे यह भी हक़ीकत है कि पिछले साल एेपल की आमदनी की सबसे बड़ी वजह चीन में एेपल के कारोबार का बढ़ना रहा था. नए स्टोर और नए ग्राहकों की जमात ने एेपल का कारोबार बढ़ाया था.

आने वाले समय में अगर चीन में मंदी का दौर लंबा चला तो एेपल के कारोबार पर असर दिखेगा.

इन सबके बावजूद अभी भी ढेरों निवेशकों और विश्लेषकों का भरोसा एेपल में है. उन्हें उम्मीद है कि 2016 में भी एेपल का कारोबार काफ़ी तेज़ी से बढ़ेगा.

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इस भरोसे की वजह भी चीन ही है. चीन में अभी केवल 30 एेपल स्टोर हैं जबकि अकेले कैलिफ़ोर्निया में 53 स्टोर हैं.

आंकड़ों के मुताबिक़ एेपल की नज़रें चीन के मध्य वर्ग पर टिकी हैं, जो अभी भी एेपल के उत्पाद को ख़रीदते वक़्त आनंद से भर उठता है.

वैसे एक धारणा यह भी है कि एेपल के भविष्य के बारे में अनुमान लगाना भी बेहद मुश्किल है.

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जैसे माइक्रोसाफ्ट के पूर्व प्रमुख स्टीव बालमर ने कहा कहा था कि आईफ़ोन ईमेल पर अच्छा उपकरण नहीं है या फिर आप ब्लैकबेरी और नोकिया में किसी से पूछिए कि उनका अनुमान कितना ग़लत साबित हुआ.

2016 में आईफ़ोन 7 आने वाला है. इस बार हेडफ़ोन जैक नहीं होगा. इससे आईफ़ोन की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है और हेडफ़ोन की भी.

बाज़ार में बजट आईफ़ोन भी आएगा-5 एसई. यह विकासशील देशों के लिए होगा. भारत भी इसके लिए बड़ा बाज़ार होगा. भारत में कंपनी ने अपने ब्रांड स्टोर खोलने के लिए आवेदन दिए हैं.

चीन एेपल के लिए अहम बाज़ार बना रहेगा. एेपल दूसरी बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण कर सकता है. एेपल के निवेशक ने डेनिएल इवेस ने बीबीसी को बताया कि नेटफ़्लिक्स जैसे दूसरे उदाहरण देखने को मिलेंगे.

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इसके अलावा एेपल की कार की काफ़ी चर्चा है. माना जा रहा है कि एेपल अपनी कार बना सकती है. वहीं कुछ का कहना है कि कंपनी मौजूदा कार निर्माताओं के साथ ही समझौता कर उन्हें एेपल सॉफ़्टवेयर उपलब्ध कराएगी.

कार प्ले के तौर पर यह शुरू भी हो चुका है. कांटर वर्ल्ड पैनल कॉमटैक की विश्लेषक कैरोलीना मिलानेसी कहती हैं, ”यह भी देखना होगा कि क्या एेपल आईफ़ोन जैसा धमाकेदार कोई दूसरा उत्पाद ला सकती है. मुझे नहीं मालूम कि यह कार भी हो सकती है.”

जहां तक निवेशकों का सवाल है, वे कभी संतुष्ट नहीं हो सकते. मिलानेसी कहती हैं, ”निवेशक तो एेपल से कभी ख़ुश नहीं होंगे. उन्हें 10 मिलेगा तो वे 11 चाहेंगे. 11 मिलेगा तो 12 चाहेंगे.”

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