1921 में यहीं से फ्रांस में पहला रेडियो प्रसारण हुआ. हालांकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस पर काफी खतरा मंडराता रहा. फ्रांस की सेना को इस बात का डर था कि हिटलर की सेना एफिल टावर को सूचना निकलवाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है. इसे नष्ट करने के आदेश भी दिये गये थे. लेकिन एफिल टावर इस बुरे वक्त से बिना किसी नुकसान के बाहर निकल आया. आज पैरिस आनेवाला हर व्यक्ति अपने साथ खिलौने के रूप में एक नन्हा एफिल टावर जरूर साथ ले कर जाता है. दुनिया भर में लाखों लोगों के घरों में एफिल टावर का नन्हा रूप देखा जा सकता है, जो सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.
विश्व में कुछ इमारत ही होते हैं, जिनकी महत्ता हमेशा के लिए बनी रहती है. इसे ही ऐतिहासिक इमारत की श्रेणी में रखते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे रोमांटिक शहर पैरिस में एफिल टावर की. अगर कोई भी पर्यटक फ्रांस जाता है, तो सबसे पहले उसकी यही तमन्ना रहती है कि सबसे पहले एफिल टॉवर को देखा जाये और उसके सामने फोटो खींचा जाये.
मात्र 20 वर्षो के लिए बना था यह टावर
26 जनवरी, 1887 को पैरिस के एफिल टावर की नींव रखी गयी थी. फ्रांसीसी क्रांति के सौ साल पूरे होने के अवसर पर इसे बनाया गया. उस समय की योजना के अनुसार इसे केवल बीस साल के लिए ही पैरिस में रहने की अनुमति दी गयी थी. 1909 में समय-सीमा पूरी हो जाने के बाद इसे गिरा दिया जाना था. लेकिन बीस सालों में टावर की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि इसे गिराने का विचार रद्द कर दिया गया.
गुस्ताव एफिल ने बनाया था टावर
एफिल टावर को 1887 से 1889 के बीच बनाया गया. पूरा होने पर इसे बनानेवाले गुस्ताव एफिल ने टावर के ऊपर फ्रांस का झंडा लगाया. लोहे से बने इस टावर को आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है. इसके निर्माण के लिये 7,300 टन लोह का इस्तेमाल हुआ. तीन सौ मीटर से अधिक ऊंचाईवाले एफिल टावर को तब सबसे ऊंची इमारत का खिताब मिला.
हर साल लाखों लोग इसे देखने के लिए पैरिस पहुंचते हैं.
सूर्यास्त के बाद हर एक घंटे पर पांच मिनट के लिए टावर जगमगाता है.
इसमें बीस हजार बिजली के बल्ब लगाये गये हैं.
7,300 टन लोहे का इस्तेमाल हुआ.
एफिल टावर को 1887 से 1889 के बीच बनाया गया.
1921 में यहीं से फ्रांस में पहला रेडियो प्रसारण हुआ.
फ्रांसीसी क्रांति के सौ साल पूरे होने के अवसर पर इसे बनाया गया.
इसे केवल बीस साल के लिए ही पैरिस में रहने की अनुमति दी थी.