21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का अनोखा अख़बार

अनासुया बासु दिल्ली फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की एक टीम राजधानी दिल्ली से आठ पन्नों का एक अख़बार ‘बालकनामा’ निकालती है. यह अख़बार हर तीन महीने पर निकाला जाता है और इसकी विषय-वस्तु मुख्य तौर पर फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की ज़िंदगी और वे किस तरह के काम करते हैं, इस पर केंद्रित […]

Undefined
फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का अनोखा अख़बार 6

फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की एक टीम राजधानी दिल्ली से आठ पन्नों का एक अख़बार ‘बालकनामा’ निकालती है.

यह अख़बार हर तीन महीने पर निकाला जाता है और इसकी विषय-वस्तु मुख्य तौर पर फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की ज़िंदगी और वे किस तरह के काम करते हैं, इस पर केंद्रित होती है.

यह अख़बार गर्व के साथ अपने बारे में दावा करता है, "फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का उनके लिए ही दुनिया का एक अनोखा अख़बार."

18 साल की चांदनी इस अख़बार की संपादक हैं. एक साल पहले चांदनी के संपादक बनने के बाद अख़बार का सर्कुलेशन 4000 से बढ़कर 5500 हो चुका है.

वे अपनी टीम के दूसरे बच्चों के साथ अख़बार के अगले अंक में प्रकाशित होने वाली ख़बरों पर चर्चा करती हैं.

अख़बार के रिपोर्टर वो बच्चे हैं जो कभी फुटपाथ पर रहा करते थे या फिर दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में बाल मज़दूरी किया करते थे.

Undefined
फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का अनोखा अख़बार 7

इन बच्चों को चेतना नाम के एक गैर-सरकारी संगठन ने संरक्षण दे रखा है. यह संगठन फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास पर काम करता है.

एक आकलन के मुताबिक़ भारत में एक करोड़ से ज्यादा बच्चे फुटपाथ पर रहते हैं और बाल मज़दूरी करने के लिए मजबूर हैं.

चांदनी की कहानी ग़रीबी की चक्की में पिस चुकी एक लड़की की कहानी है. वो अपने परिवार की मदद करने के लिए फुटपाथ पर अपने पिता के साथ करतब दिखाने के साथ-साथ कूड़ा बीनने तक का काम कर चुकी हैं.

गैर-सरकारी संगठन ने उन्हें स्कूल जाने में मदद की और वजीफा देना भी शुरू किया ताकि उन्हें दोबारा कूड़ा बीनने का काम नहीं करना पड़े. उन्हें एक रिपोर्टर की भी ट्रेनिंग दी गई.

Undefined
फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का अनोखा अख़बार 8

चांदनी का कहना है, "मैं इस अख़बार का संपादन करने में गर्व महसूस करती हूं क्योंकि यह अख़बार भारत में अपने आप में एक अलग तरह का अख़बार है. ऐसे बच्चे जिनका बचपन लुट चुका है, जो भूखे हैं, जो भीख मांगते हैं, जो प्रताड़ना के शिकार हैं और मज़दूरी करने पर मजबूर हैं, वे अपने जैसे ही दूसरे बच्चों के बारे में इसमें लिखते हैं."

वो कहती हैं, "यह केवल एक मरहम भर नहीं है बल्कि यह हमें एक मकसद का अहसास देता है."

चांदनी 14 रिपोर्टरों का ब्यूरो संभालती हैं. ये रिपोर्टर दिल्ली और पड़ोसी राज्य हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रिपोर्टिंग करते हैं.

अधिकतर रिपोर्टर अपनी रिपोर्ट फोन पर दिल्ली दफ्तर में अपने सहयोगियों को सुनाते हैं क्योंकि अक्सर उनके पास ईमेल या फैक्स की सुविधा नहीं होती है.

चांदनी हर महीने दो संपादकीय बैठक करती हैं ताकि अख़बार के विषय-वस्तु पर पैनी नज़र रखी जा सके.

Undefined
फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का अनोखा अख़बार 9

इस अख़बार की क़ीमत दो रुपए है और इसे चेतना की ओर से आर्थिक मदद भी मिलती है.

सरकार की ओर से अख़बार को कोई मदद नहीं मिलती. विज्ञापनदाता पाने में भी अख़बार को जूझना पड़ता है.

19 साल की शन्नो की पांचवी क्लास में पढ़ाई छूट चुकी थी. उन्हें कई-कई घंटों तक काम करना पड़ता था और शराबी पिता के साथ मजबूरन रहना पड़ता था.

आज वो सोशल वर्क में स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं. उनका सपना एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने का है. वे अख़बार के रिपोर्टरों को प्रशिक्षित करती हैं.

उनका कहना है, "हमने दिल्ली में नवंबर में फुटपाथ पर रहने वाले और मज़दूरी करने वाले बच्चों पर एक सैंपल सर्वे किया. हमने सर्वे के दौरान 1320 ऐसे बच्चों को खोज निकाला."

Undefined
फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों का अनोखा अख़बार 10

वो कहती हैं कि जब हम सीमित संसाधनों की बदौलत ये कर सकते हैं तो पुलिस और सरकार भी फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों की सही संख्या का पता लगा सकती है. उनके पास तो संसाधनों की कोई कमी नहीं है.

वो बताती हैं कि दिल्ली सरकार और पुलिस की ओर से किए गए सर्वे की बहुत चर्चा हुई लेकिन इससे कुछ हासिल नहीं हुआ.

अख़बार में काम करने वाले शंभु का कहना है कि उन्हें सर्वे के दौरान काफी विरोध और धमकियों का सामना करना पड़ा.

अख़बार की अगली संपादक चांदनी (जूनियर) के होने की उम्मीद है.

वो कहती हैं, "मैं अख़बार की सर्कुलेशन बढ़ाना चाहती हूं और इसे एक मुनाफा कमाने वाला उद्यम बनाना चाहती हूं."

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें