27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अलग है बनारस का ‘भोजपुरिया’ चर्च

रोशन जायसवाल बनारस से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए बनारस का लाल गिरजाघर दुआ अगर दिल से की जाए तो भक्त और भगवान के बीच भाषा कोई मायने नहीं रखती. लेकिन अपनी ही भाषा में की गई प्रार्थना से भक्त अपने भगवान से ज़्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं. कम से कम बनारस के कई ईसाइयों […]

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 9

बनारस का लाल गिरजाघर

दुआ अगर दिल से की जाए तो भक्त और भगवान के बीच भाषा कोई मायने नहीं रखती.

लेकिन अपनी ही भाषा में की गई प्रार्थना से भक्त अपने भगवान से ज़्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं. कम से कम बनारस के कई ईसाइयों का तो यही अनुभव है.

आजकल बनारस का 136 साल पुराना ‘लाल गिरजाघर’ पूरी तरह पूरबिया रंग में रंगा नज़र आता है और इसकी वजह है, भोजपुरी भाषा.

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 10

यहाँ न केवल भोजपुरी भाषा में ईश वंदना होती है, बल्कि भोजपुरी गीत-संगीत के ज़रिए भी ईसा मसीह को याद किया जाता है.

यह चर्च बनारस कैंट इलाक़े में मौजूद है. क़रीब 35 किलोमिटर दूर ‘पिंडरा’ गांव से हर रविवार को यहाँ अपने परिवार के साथ आने वाले अरविंद ने बीबीसी को बताया कि वो हिंदी पढ़ और लिख लेते हैं, लेकिन अंग्रेजी में होने वाली प्रार्थना उनकी समझ में नहीं आती है.

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 11

भोजपुरी भाषा में प्रार्थना करते लोग

इसलिए ‘लाल गिरजाघर’ में भोजपुरी में प्रार्थना करके उनको काफ़ी अच्छा लगता है, क्योंकि भोजपुरी उनकी मातृभाषा है.

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 12

भोजपुरी कलिसिया के मुख्य सदस्यों में से एक अरविंद ने बताया कि उन्हें भोजपुरी भाषा में ईसा मसीह के बारे में फ़ादर से मिलने वाली जानकारी भी बहुत अच्छी लगती है.

वहीं गांव के माहौल में रहने वाली प्रियंका को तो यहां तक यक़ीन है कि भोजपुरी में ईसु उनकी प्रार्थना सुनते हैं.

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 13

‘लाल गिरजाघर’ के भोजपुरी कलिसिया की प्रमुख नम्रता बताती हैं कि वो भोजपुरी में प्रार्थना करवाती हैं.

यहां गीत-संगीत भी होता है और गांव और समाज की पिछड़ी महिलाओं को भोजपुरी भाषा में ही स्वावलम्बी बनाने की कोशिश की जाती है.

उनके मुताबिक, "भोजपुरी बहुत ही प्यारी भाषा है और इसमें अपनापन झलकता है. भोजपुरी कलिसिया में इस वक्त कुल 500 सदस्य हैं और ये बनारस में पांच अलग-अलग जगहों पर भी चलता है".

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 14

लाल गिरजाघर के ‘फ़ादर’ शैम जोशुआ सिंह

नम्रता चाहती हैं कि गांव की महिलाएं घूंघट के बाहर आएं और अपनी संस्कृति और भोजपुरी भाषा के साथ आगे बढ़कर एक मिसाल कायम करें.

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 15

बनारस के लाल गिरजाघर के इतिहास और महत्व के बारे में ‘फ़ादर’ शैम जोशुआ सिंह ने बताया कि 136 साल पहले रेवरेन्ड एलर्बट फेंटमिन ने इस चर्च की स्थापना दलितों और पिछड़ों को ध्यान में रखकर की थी.

लाल गिरजाघर के बगल में "सेंट मेरिज़ चर्च" है, जहां की भाषा अंग्रेज़ी है. लेकिन ‘लाल गिरजाघर’ को ख़ासकर भारतीयों के लिए तैयार किया गया और यहाँ की भाषा हिंदी रखी गई.

Undefined
अलग है बनारस का 'भोजपुरिया' चर्च 16

आज भी इसकी मुख्य प्रार्थना हिंदी में ही होती है. पिछले पाँच साल से ग़रीबों और दलितों को ध्यान में रखकर भोजपुरी में प्रार्थना शुरू की गई है ताकि वो भोजपुरी में प्रार्थना करके और ख़ुश और संतुष्ट महसूस करें.

अब जो लोग भाषा न समझ पाने के कारण किसी भी कलिसिया में प्रार्थना करने नहीं जाते थे, वो यहां आने लगे हैं और ‘लाल गिरजाघर’ में भोजपुरी भाषियों की तादात लगातार बढ़ रही है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें