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इनसान तक कैसे पहुंचते हैं मच्छर

हवा में उड़ रहे मच्छर आखिर क्यों अपना रास्ता बदलते हुए हमारी त्वचा की ओर आकर्षति हो जाते हैं? आखिर ये हमारी त्वचा को कैसे खोज लेते हैं? मानवीय त्वचा से कैसी गंध निकलती है, जिसे वे खोज लेते हैं? क्या हम मच्छरों को अपनी त्वचा की गंध को समझ पाने से रोक सकते हैं […]

हवा में उड़ रहे मच्छर आखिर क्यों अपना रास्ता बदलते हुए हमारी त्वचा की ओर आकर्षति हो जाते हैं? आखिर ये हमारी त्वचा को कैसे खोज लेते हैं? मानवीय त्वचा से कैसी गंध निकलती है, जिसे वे खोज लेते हैं? क्या हम मच्छरों को अपनी त्वचा की गंध को समझ पाने से रोक सकते हैं और अपनी ओर आकर्षित होने में रोक सकते हैं?

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इन सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की है. ‘साइंस डेली’ के मुताबिक, मच्छरों में ऐसे बहुत से ग्राही तत्व होते हैं, जो मानवीय त्वचा की गंध और हमारे सांस छोड़ने से निकलनेवाली कार्बन डाइऑक्साइड को खोज लेते हैं.

इसके अलावा, वे हमारी जुराबों, कपड़ों और बिस्तरों की गंध को भी समझने लगते हैं. बताया गया है कि मलेरिया और डेंगू बुखार जैसी बीमारियों के वाहक मादा मच्छर दूर से ही हमारे सांस द्वारा छोड़े गये कार्बन डाइऑक्साइड की गंध को जान जाते हैं. डिपार्टमेंट ऑफ एंटोमोलॉजी के एसासिएट प्रोफेसर और इस शोधकार्य के मुखिया आनंदशंकर रे के मुताबिक, मच्छरों में कार्बन डाइऑक्साइड की गंध को समझने की ग्राही तंत्रिका अत्यधिक संवेदनशील होती है.

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