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तकनीक, नये साल में रहेगी जिन पर नजर

जब आप यह आलेख पढ़ रहे होंगे, दुनिया के सबसे बड़े कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक शाे (सीइएस) का आगाज हो चुका होगा. अमेरिका के लास वेगास में आयोजित होनेवाले इस सालाना शो में हर साल नयी टेक्नोलाॅजी पर आधारित कई ऐसी नयी चीजें पेश की जाती हैं, जो भविष्य में दुनियाभर में लोगों के जीवन का हिस्सा […]

जब आप यह आलेख पढ़ रहे होंगे, दुनिया के सबसे बड़े कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक शाे (सीइएस) का आगाज हो चुका होगा. अमेरिका के लास वेगास में आयोजित होनेवाले इस सालाना शो में हर साल नयी टेक्नोलाॅजी पर आधारित कई ऐसी नयी चीजें पेश की जाती हैं, जो भविष्य में दुनियाभर में लोगों के जीवन का हिस्सा बन जाती हैं. इस प्रदर्शनी से संबंधित जरूरी तथ्यों और इस साल आकर्षण का केंद्र रहनेवाली चीजों के साथ-साथ इस शो से नये साल के लिए निकलते टेक्नोलॉजी ट्रेंड्स के संकेतों पर नजर डाल रहा है आज का नववर्ष विशेष.
दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता इलेक्ट्रानिक शो से निकले ट्रेंड्स के संकेत
इंटरनेशनल कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक्स शाे (इंटरनेशनल सीइएस) एक ऐसा प्लेटफाॅर्म है, जहां उपभोक्ता तकनीक के कारोबार से जुड़े दुनिया के सभी प्रमुख कारोबारी एकत्रित होते हैं. दुनिया की इस सबसे बड़े इलेक्ट्राॅनिक्स शाे का आयोजन हर साल अमेरिका के लास वेगास में किया जाता है.
हालांकि, पहली बार इस प्रदर्शनी का आयोजन जून, 1967 में न्यू याॅर्क में किया गया था. इस प्रदर्शनी में हर वर्ष हजारों नये प्रोडक्ट पेश किये जाते रहे हैं. इनमें से ज्यादातर ऐसे रहे हैं, जिन्होंने हमारी जीवनशैली में बदलाव लाने में व्यापक भूमिका निभायी है.
इस प्रदर्शनी के माध्यम से सभी प्रकार के ग्लोबल इनोवेटर्स को बाजार तक पहुंच कायम होने के लिए एक समुचित मंच मुहैया कराया जाता है. इस प्रदर्शनी का आयोजन कंज्यूमर टेक्नोलाॅजी एसोसिएशन (सीटीए) द्वारा किया जाता है. यह एक तकनीकी कारोबारी संगठन है, जो अमेरिका में उपभोक्ता तकनीक उद्योग जगत में 285 बिलियन डाॅलर का प्रतिनिधित्व करती है.
इस प्रदर्शनी के माध्यम से यह संगठन दुनियाभर के तकनीकी कारोबारियों और विशेषज्ञों को एक मंच पर लाता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा समकालीन तकनीक व आर्थिक मसलों को समझा और सुलझाया जा सके. सीइएस 2016 का आगाज हो चुका है. यह 6 से 9 जनवरी तक चलेगा. इस प्रदर्शनी में 3,600 से ज्यादा एग्जिबिटिंग कंपनियां हिस्सा ले रही हैं, जिनमें कंज्यूमर टेक्नोलाॅजी हार्डवेयर, कंटेंट, टेक्नोलाॅजी डिलीवरी सिस्टम और संबंधित चीजों के मैन्युफैक्चरर्स, डेवलपर्स और सप्लायर्स शामिल हैं.
इसमें करीब 150 देशों के संबंधित प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है. इस दौरान 200 से ज्यादा काॅन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जायेगा. इस वर्ष शाे में इन तकनीकों के सुर्खियों में रहने की उम्मीद
ड्रोन का व्यापक इस्तेमाल
मौजूदा युग में ड्रोन का इस्तेमाल अनेक कार्यों के लिए किया जाने लगा है. सैन्य निगरानी समेत सामान की डिलीवरी तक में इसका इस्तेमाल शुरू किया गया है. व्यस्त समय में महानगरों की यातायात व्यवस्था के संचालन में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है. मानवरहित विमान के विकल्प के तौर पर इसका उपयोग पिछले कई सालों से दुनिया के अनेक हिस्सों में किया जा चुका है.
हाल ही में नासिक महाकुंभ के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए भी इसका इस्तेमाल किया गया था. इसके अलावा अनेक अन्य कार्यों को भविष्य में ड्रोन के माध्यम से निबटाया जा सकता है. इसके इस्तेमाल के संबंध में रोजाना नये-नये तरीके हमारे सामने आ रहे हैं.
गूगल और अमेजन जैसी कंपनियां विभिन्न देशों में ड्रोन उड़ाने के लिए सरकारी मंजूरी का इंतजार कर रही हैं. ड्रोनों की मदद से गूगल अपनी वर्तमान सेवा को विस्तार दे सकती है. प्रोजेक्ट विंग के बारे में गूगल का कहना है कि भेजे जानेवाले सामान के लिए खुद उड़नेवाले ड्रोन एकदम नया दृष्टिकोण सामने लायेंगे. आज मौजूद सेवाओं की तुलना में इसमें ऐसे विकल्प होंगे, जो तेज, सस्ते, कम बरबादी करनेवाले और पर्यावरण के लिए संवेदनशील होंगे. इस शॉ में ड्रोन के नये-नये रूपों के साथ एंटी-ड्रोन तकनीक के भी सुर्खियों में रहने की उम्मीद है.
वायरलेस हो रहे इलेक्ट्रॉनिक गुड्स
मोबाइल फोन के वायरलेस होने से एक नयी क्रांति का सूत्रपात हुआ और शहर से लेकर गांव तक सभी लोगों की जेब में मोबाइल फोन ने अपनी जगह बना ली है. अगली क्रांति तमाम इलेक्ट्राॅनिक चीजों के वायरलेस संचालन से जुड़ी है. ‘पीयरबड्स’ और ‘एयरिन वायरलेस बड्स’ जैसे वायरलेस बड्स आम लोगों की पहुंच में आ सकते हैं. साथ ही ब्लूटूथ हेडसेट भी लोकप्रिय होंगे. दुनियाभर में इंटरनेट से व्यापक बदलाव देखा जा रहा है. ऐसे में जो इलाके इससे वंचित हैं, वहां वायरलेस तरीकों से इंटरनेट पहुंचाने की कवायद हो रही है.
गूगल, फेसबुक और माइक्रोसाॅफ्ट समेत अनेक तकनीकी कंपनियां वायरलेस तरीकों से दूरदराज ग्रामीण इलाकों में वायरलेस इंटरनेट पहुंचाने में जुटी हैं. मोबाइल फोन चार्जिंग में भी वायरलेस तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो गया है. इतना ही नहीं, अनेक वैज्ञानिक वायरलेस तरीके से बिजली भी पहुंचाने में जुटे हैं. स्मार्ट होम्स में इसका प्रयोग शुरू किया जायेगा. इन घरों में बिजली से चलनेवाली सभी गैजेट वायरलेस हो सकते हैं. इस शो में वायरलेस संचालित होने वाले अनेक उपकरण देखने को मिल सकते हैं.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स से बदल रही जीवनशैली
इंटरनेट आॅफ थिंग्स इंटरनेट जगत में एक ऐसा विकास है, जिसके जरिये हमारे जीवन शैली तेजी से बदल रही है और अनेक कार्यों को निबटाने में आसानी हो रही है. इंटरनेट आॅफ थिंग्स को इंटरनेट आॅफ आॅब्जेक्ट्स भी कह सकते हैं. यह आॅब्जेक्ट्स के बीच वायरलेस नेटवर्क क्रिएट करता है, जिससे वह अप्लाइंस खुद ही काम करता है. यह इस मिथ को दूर करेगा कि इंटरनेट सिर्फ लोगों के बीच ही कम्युनिकेशन आसान बनाता है. अब अप्लायंस और अन्य इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी आपस में वायरलेस नेटवर्क के जरिये जुड़ेंगे और काम करेंगे.
इंटरनेट आॅफ थिंग्स सिर्फ आइटी सेक्टर में ही नहीं, बल्कि मेडिकल, होम-मेड अप्लाइंस और शहरी यातायात के क्षेत्र में भी यह मदद करेगा. यूनाइटेड किंगडम की सरकार ने वर्ष 2015 के बजट से तकरीबन 40 मिलियन यूरो इंटरनेट आॅफ थिंग्स पर रिसर्च के लिए दिया. हेल्थकेयर की क्वालिटी में सुधार लाने के लिए इसका प्रयोग मेडिकल सेक्टर में हो रहा है. इस वर्ष इस तकनीक पर इस लिहाज से भी लोगों की नजरें रहेंगी कि इसका विस्तार कहां तक होगा.
थ्रीडी प्रिंटर एक अनोखी मशीन
यह ऐसी अनोखी मशीन है, जो किसी भी चीज को प्रिंट कर सकती है. जनरल इलेक्ट्रिक ने इस क्षेत्र में एक नयी क्रांति का सूत्रपात करते हुए पारंपरिक तौर पर निर्मित की जा रही चीजों को बिलकुल बदल दिया है. आम लोगों के लिए भी यह तकनीक बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है.
इस तकनीक के माध्यम से किसी भी चीज का नमूना बना कर उसका निर्माण करना बेहद आसान हो गया है. इस वर्ष इसके माध्यम से प्रिंट होने वाली चीजों का दायरा ब.ढ सकता है. माना जा रहा है कि बहुपयोगी होने के कारण इस पर दुनियाभर में तकनीकी विशेषज्ञों व अन्य लोगों की नजर बनी रहेगी. साथ ही इस शो में इसके नये संस्करण भी देखने को मिल सकते हैं.
स्मार्ट होम्स के लिए नये आइटम्स
पूरी तरह से एक स्मार्ट होम अभी भविष्य की उम्मीदों पर टिका हुआ है. लेकिन, स्मार्ट होम की चाहत रखनेवालों ने सुविधाओं का दायरा बढ़ाने और बेहतर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के स्मार्ट इलेक्ट्राॅनिक प्रोडक्ट्स को अपने घरों में जगह देना शुरू किया है. दुनियाभर में कई कंपनियां स्मार्ट हाेम्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नये इलेक्ट्राॅनिक आइटम बना रही हैं.
एप्पल जैसी कंपनियां आइफोन व आइपैड उपभोक्ताओं को स्मार्ट होम डिवाइसेस के लिए सेंट्रल प्लेस जैसी सुविधा मुहैया कराने की तैयारी कर रही हैं. इसके अलावा, कई कंपनियां विभिन्न प्रकार के नाइट बल्ब और वायरलेस स्पीकर जैसे उत्पाद उपभोक्ताओं को मुहैया करा रही हैं, ताकि उनके घर स्मार्ट होम की कैटेगरी में शामिल हो सकें. इसमें आइग्रिल, थर्मोस्टेट, स्काइबेल, प्लग मोशन सेंसिंग तकनीक, स्मार्ट सिक्योरिटी सिस्टम्स जैसी डिवाइसेज शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष सीइएस शो में स्मार्ट होम्स को ज्यादा से ज्यादा सुविधासंपन्न बनाने के लिए अनेक कंपनियां नये प्रोडक्ट ला सकती हैं.
सेल्फ ड्राइविंग व इ-कार
सेल्फ ड्राइविंग कार को पिछले वर्ष विकसित कर लिया गया है और गूगल समेत कई अन्य कंपनियां इसका आॅन-रोड परीक्षण भी कर रही हैं. पिछले वर्ष सीइएस में इसी श्रेणी के मर्सिडीज-बेंज एफ 015 लग्जरी कार को प्रदर्शित किया गया था. इस वर्ष ऐसी अन्य कंपनियों के भी यहां आने की उम्मीद है.
सेल्फ ड्राइविंग कार को प्रोमोट करने के मकसद से गूगल और फोर्ड के बीच साझेदारी की घोषणा भी हो सकती है. साथ ही मर्सिडीज और वोल्वो जैसी कंपनियां इस तरह की नयी कार भी ला सकती हैं. इस वर्ष कंपनियां पर्यावरण अनुकूलित कारें भी यहां प्रदर्शित कर सकती हैं. वाॅक्सवेगन समेत अन्य कंपनियों के इलेक्ट्राॅनिक कार यहां देखने को मिल सकते हैं. जर्मन आॅटोमोटिव कंपनी बोस्च ने भी खास तकनीक आधारित वाहन प्रदर्शित करने की घोषणा की है. इसके अलावा, एप्पल की ओर से भी कुछ नया प्रदर्शित किये जाने की उम्मीद जतायी गयी है.
रोबोट को सामाजिक बनाने की कवायद
इंसान की फितरत स्वाभाविक रूप से सामाजिक होती है. इंसान अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरीकों से अपनी प्रतिक्रिया देता है. साथ ही वह संवेदना, भावना आदि को भी समझता है. दुनियाभर में वैज्ञानिक रोबोट को इंसानों द्वारा किये जाने वाले ज्यादातर कार्यों को निबटाने के योग्य बना रहे हैं.
हाल ही में इटली के एक यूनिवर्सिटी में एप्लाइड फिजिक्स के शोधकर्ताओं की एक टीम ने आर्टिफिशियल न्यूरॉन की मदद से ऐसी तकनीक काे विकसित किया है, जो आने वाले समय में इंसानों और रोबोट के बीच वार्तालाप को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है. कुल मिला कर रोबोट को इंसान के नजरिये से ज्यादा से ज्यादा सामाजिक बनाने की कवायद हो रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष इस दिशा में कोई नयी उपलब्धि हासिल हो सकती है.
डाटा प्रोटेक्शन के लिए नयी-नयी तकनीक
डिजिटल वर्ल्ड में ज्यादा से ज्यादा चीजें लोग इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में संजो कर रखने लगे हैं. साथ ही ज्यादातर ऐसी चीजें एक-दूसरे से लिंक हो रही हैं. आये दिन डाटा हैक होने की खबरें आती हैं.
साइबर हैकिंग के दौर में इनकी सुरक्षा का मसला भी अहम होता जा रहा है. इनसे निबटने के इंतजाम भी साथ-साथ चलते रहते हैं, लेकिन हैकर्स के ज्यादा शातिर होने के कारण सदैव डाटा हैक होने की आशंका बनी रहती है. हालांकि, मौजूदा समय में इनसे बचाव के कई उपाय हैं, फिर भी इस वर्ष अनेक तकनीकी कंपनियां नये सिक्योरिटी साॅफ्टवेयर ला सकती हैं, जिनसे डाटा सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था की जा सकती है.
स्थानीय यातायात का विकल्प बनेगा होवरबोर्ड
स्थानीय यातायात के रूप में होवरबोर्ड का बोलबाला कायम हो सकता है. अमेरिका के कैलिफोर्निया की एक तकनीकी कंपनी ‘हेंडो’ ने इसे विकसित किया है. हालांकि, दुनियाभर में अब तक कई फिल्म निर्माताओं ने जमीन की सतह से सट कर तेजी से उड़ने के इस तरह के कई स्टंट सीन फिल्माये हैं, लेकिन अब तक इन्हें महज कोरी कल्पना ही बतायी जाती रही है.
लेकिन, आनेवाले समय में आप भी इसके इस्तेमाल से इस तरह का कारनामा कर सकते हैं. होवरबोर्ड एक प्रकार का स्टेकबोर्ड है, जो सतह पर कुछ ऊपर उठ कर लेविटेट करते हुए तेजी से भागता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय स्तर पर यातायात के साधन के रूप में इसके इस्तेमाल को बढ़ावा मिल सकता है. इस वर्ष लास वेगास सीइएस शो में तकनीकी विशेषज्ञ इसे ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाने के तरीकों पर गौर करेंगे, जिससे यह ज्यादा लोकप्रिय हो सकता है. इससे अनेक स्टार्टअप्स को इसकी शुरूआत करने का मौका मिलेगा. इस शॉ में अन्य कंपनियों द्वारा बनायी गयी इस तरह की तकनीक आधारित प्रोडक्ट देखने को मिल सकते हैं.
वर्चुअल रियलिटी पर खास फोकस
मौजूदा दौर में वर्चुअल रियलिटी पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. आपके सामने वर्चुअल रियलिटी गेमिंग ‘आॅकुलस रिफ्ट’ के प्रारूप में प्रस्तुत हो चुका है. इसे थ्रीडी हेडसेट के तौर पर समझा जा रहा है, जो आपको मानसिक रूप से यह महसूस करायेगा कि आप वाकई में वीडियो गेम के भीतर हैं.
आॅकुलस रिफ्ट के वर्चुअल वर्ल्ड में अल्ट्रा-लो लेटेंसी के साथ आपका सिर मूव करेगा और दुनिया को आप हाइ-रिजोलुशन डिस्प्ले में देख पायेंगे. मार्केट में कुछ प्रीमियम प्रोडक्ट भी हैं, जो बिलकुल इसी तरह से काम करते हैं. माइक्रोसॉफ्ट भी होलो लेंस लेकर आयी है, जिसे इस लिहाज से बेहद सक्षम बनाया गया है.
सैमसंग भी पीछे नहीं रहना चाहती और वह भी अपने उन्नत किस्म के मोबाइल फोन को इस तकनीक से लैस करना चाहती है. फेसबुक तो बाकायदा ऐसे एप्स बना रहा है, जो आपको बिना मूव किये हुए 360 डिग्री मूव होने का अनुभव दे सकता है. इस शो में इस वर्ष वर्चुअल रियलिटी के अन्य नये रूप भी देखने को मिल सकते हैं.
स्मार्ट फोन अब और स्मार्ट बनेगा
आज ज्यादातर स्मार्टफोन 3जी या 4जी नेटवर्क को सपोर्ट करते हैं. पिछले वर्ष भारत में 5जी लॉन्चिंग की तैयारी के संबंध में अनेक कंपनियों ने खाका तैयार किया था. इस वर्ष उसके परीक्षण की उम्मीद जतायी गयी है. विशेषज्ञों का कहना है कि 5जी नेटवर्क 4जी के मुकाबले 40 गुना ज्यादा तेज होगा.
दरअसल, कई कंपनियां भारत में इस तकनीक की शुरुआत करने के लिए बुनियादी ढांचे पर काम शुरू करेंगी. उल्लेखनीय है कि 5जी से लैस मोबाइल फोन 800 एमबी तक की फाइल महज एक सेकेंड में डाउनलोड कर लेगा. मौजूदा लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के तहत 4जी के माध्यम से इतनी ही एमबी की फाइल को डाउनलोड करने में करीब 40 सेकेंड का समय लगता है. सामान्य हिंदी फिल्में करीब 1,500 एमबी की होती हैं.
5जी तकनीक आने से यूजर्स किसी सामान्य फिल्म को महज दो सेकेंड में डाउनलोड कर पायेंगे. हालांकि, भारत में अभी इसे आने में कम से कम दो-तीन साल लग सकते हैं, लेकिन तेज इंटरनेट की चाहत रखने वाले युवाओं की नजरें इस वर्ष 5जी तकनीक पर टिकी रहेंगी और वे यह जानना चाहेंगे कि हमारे देश में इस तकनीक पर कितनी तेजी से काम हो रहा है.
ब्रॉडबैंड बन रही जीवनरेखा
इंटरनेट और टेलीविजन में डाटा टांसमिशन का एक जरिया है ब्रॉडबैंड. इसके माध्यम से डाटा, ध्वनि और चित्र तेजी से स्थानांतरित किये जा सकते हैं. कंप्यूटर में पुरानी डायल तकनीक से हम टेलीफोन लाइन के जरिये डाटा भेजते थे, लेकिन इसकी बैंड विड्थ काफी कम होती थी.
ब्रॉडबैंड में हम बड़ी तेजी से डाटा भेज सकते हैं. यानी टेलीफोन लाइन पतली गली है, तो ब्रॉडबैंड एक हाइवे है. कुल मिला कर ब्रॉडबैंड हमारे लिए एक नयी जीवनरेखा बन रही है.
माइक्रोसॉफ्ट और गूगल समेत अनेक तकनीकी कंपनियों की मदद से केंद्र सरकार देश के पांच लाख गांवों में कम लागत वाली ब्रॉडबैंड प्रौद्योगिकी पहुंचाने में जुटी है. इसका मकसद डिजिटल इंडिया को प्रोमोट करना और सभी लोगों तक ब्रॉडबैंड की पहुंच को आसान बनाना है. इस वर्ष इस पर भी लोगों की नजरें टिकी रहेंगी.
प्रस्तुति – कन्हैया झा

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