
संदिग्ध चरमपंथियों के चंगुल से छूटे गुरदासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सलविंदर ने बीबीसी से कहा है कि चरमपंथियों ने उन्हें जहां छोड़ा था, उन्हें दोबारा मारने के लिए वो वापस वहीं आए थे.
31 दिसंबर की रात सलविंदर सिंह, राजेश वर्मा और मदन गोपाल जब पठानकोट से गुरदासपुर आ रहे थे तब गाड़ी समेत उनका अपहरण कर लिया गया था.
माना जा रहा है कि ये वही चरमपंथी थे जिन्होंने बाद में पठानकोट एयरबेस पर हमला किया. पठानकोट एयरबेस में चरमपंथियों के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई जारी है.
शनिवार की सुबह से जारी अभियान में सात सुरक्षाकर्मी और चार चरमपंथियों की मौत हुई है.
बीबीसी से बातचीत में सलविंदर सिंह ने बताया कि पूरी घटना ने उन्हें हिलाकर रख दिया है और वो "भगवान के शुक्रगुज़ार हैं कि जीवित बच गए."

सलविंदर ने बताया, "मैं मानसिक तौर पर ठीक नहीं हूं. मेरी तबियत ठीक नहीं है. मुझे वो दृश्य याद आ रहे हैं, इसलिए मुझे नींद नहीं आ रही है. मेरे साथ जो कुछ हुआ है, सोच-सोचकर ऐसा लग रहा है कि मेरी नाड़ी न फट जाए."
पुलिस सूत्रों ने बीबीसी को बताया कि सलविंदर सिंह गुरदासपुर में पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे और अगवा होने से दो दिन पहले ही उनका तबादला पंजाब आर्मर्ड पुलिस (पीएपी) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर हुआ था.
फ़ोन पर बातचीत के दौरान उनकी आवाज़ में दहशत साफ़ महसूस हो रही थी.
सलविंदर ने बताया कि चरमपंथी उन्हें छोड़कर आगे निकल गए थे, लेकिन जब उन्हें उनके एसपी होने का पता चला तब वो उन्हें दोबारा मारने आए थे.
सलविंदर सिंह ने बताया, “वो लोग जहां मुझे जंगल में छोड़ गए थे. दोबारा उन्हें पता लगा कि एसपी है, तो मुझे वो फिर मारने आए थे.”
हालांकि ये बात संदिग्ध चरमपंथियों को कैसे पता लगी होगी, ये बात बातचीत के दौरान साफ़ नहीं हो पाई.

सलविंदर सिंह ने कहा कि वो ऊपरवाले का शुक्र अदा करते हैं कि वो ज़िंदा बच गए.
सलविंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने घटना के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को बता दिया था और उन्हें उस जगह या गांव का पता नहीं जहां उन्हें छोड़ा गया था.
मीडिया में कुछ ख़बरें छपीं थीं कि शुरुआत में अधिकारियों ने उनकी बात पर यकीन नहीं किया था.
सलविंदर सिंह ने कहा, “मैंने एफ़आईआर में सबकुछ लिखा दिया है. अभी मेरी तबियत ठीक नहीं है. मेरी आवाज़ निकलनी भी बहुत मुश्किल है.”
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