
पठानकोट एयरबेस पर शनिवार को तड़के हुए चरमपंथी हमले में अब तक सात भारतीय सुरक्षाकर्मियों की मौत हो चुकी है और 20 घायल हुए हैं. चार चरमपंथियों की भी मौत हुई है.
इलाके में चरमपंथियों की तलाश के लिए सेना का अभियान शुरू हुए लगभग 50 घंटे बीत चुके हैं.
चप्पे-चप्पे में भारतीय फौज के जवान गश्त लगा रहे हैं.
रविवार की रात करीब एक बजे तक सेना के नाइट विजन डिवाइसेज वाले हेलीकॉप्टर तलाशी अभियान में लगे रहे.
सोमवार सुबह 4 बजे के बाद अचानक भारतीय वायुसेना के मालवाहक विमानों की दो से तीन बार उड़नें की आवाजें भी आईं.

अधिकारियों के अनुसार अभी इस इलाके में दो और चरमपंथी छिपे हो सकते हैं.
चिंता की बात ये है कि हमले के पूरे दो बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि वो दो चरमपंथी कहां हैं.
पठानकोट एयरबेस उत्तर भारत के सबसे बड़े एयरबेस में से एक है और भारतीय सेना दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सेना मानी जाती है.
दूसरी ओर यहां सीमा पर कंटीले तारों वाली आठ फुट लंबी दीवारें हैं.

इन सबके बावजूद सफलता के ना मिलने की एक बड़ी वजह तो ये है कि सेना फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. वो चाहती है कि सैन्य अभियान के कारण अपने लोगों के जान-माल का कम से कम नुकसान हो.
दूसरी दिक्कत ये आ रही है कि रात होने के कारण तलाशी अभियान धीमे पड़ गए हैं.
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