अधिक और अंश के मिलने से बना अधिकांश पुलिंग संज्ञा है, जिसका अर्थ आधे से अधिक या बड़ा अंश है; जैसे- आजादी के इतने वर्षो के बाद भी भारत में आदिवासियों की अधिकांश आबादी अभाव में जी रही है. इसका प्रयोग विशेषण के रूप में भी होता है; जैसे- भीड़ का अधिकांश छंट गया और अधिकांश भीड़ छंट गयी. इस वाक्य के पहले भाग में अधिकांश संज्ञा है और दूसरे भाग में विशेषण. अधिकांश से गिनी न जा सकनेवाली सीमा या मात्र व्यक्त होती है; जैसे- (क) उक्त समारोह में अधिकांश मैदान खाली था, (ख) गोदाम के अभाव में सरकारी खरीद का अधिकांश गेहूं पूरी तरह से सड़ गया.
अधिक में ‘तर’ प्रत्यय लगने से बना अधिकतर विशेषण है. ‘तर’ प्रत्यय गुणवाचक विशेषणों में लग कर दूसरे की अपेक्षा अधिक का बोध कराता है. इसका पर्याय ज्यादातर है, जो अरबी के ज्यादा और फारसी के तर के मिलने से बना है. अधिकतर का अर्थ संख्या में अपेक्षाकृत अधिक है; जैसे-(क) इस बिल पर बहस के समय अधिकतर विधायक अनुपस्थित थे, (ख) अधिकतर नेता जनता से किये गये वादे पूरे नहीं करते. तुलनात्मक दृष्टि से अधिक होने पर भी इसका प्रयोग होता है; जैसे- उनका क्रोध अधिक से अधिकतर हो गया. क्रिया विशेषण के रूप में इसका प्रयोग ‘बहुत करके’ के अर्थ में होता है; जैसे- ऐसा अधिकतर होता है. ‘प्राय: सभी’ के अर्थ में भी इसका प्रयोग होता है; जैसे- इस बार पानी नहीं होने से अधिकतर नदियां सूख गयी हैं और अधिकतर खेतों में दरार पड़ गयी है.
ये दोनों शब्द दूसरे से अधिक का बोध कराने के कारण एक ही अर्थ के लगते हैं; जिससे कुछ लोग इन दोनों के प्रयोग में अंतर नहीं कर एक के स्थान पर दूसरे का प्रयोग कर देते हैं. लेकिन इन दोनों में फर्क यह है कि अधिकांश में अधिक अंश का बोध होता है, अधिक संख्या का नहीं, जबकि अधिकतर में अधिक अंश का बोध न होकर अधिक संख्या का बोध होता है. एक ही वस्तु या समूह के अधिक अंश (भाग) के अर्थ में प्रयुक्त होने के कारण अधिकांश का प्रयोग एकवचन में होता है, जबकि संख्या में अपेक्षाकृत अधिक के लिए प्रयुक्त होने के कारण अधिकतर बहुवचन है.
इसीलिए अधिकांश ट्रेनें देर से चल रही हैं जैसा प्रयोग गलत है. इसके स्थान पर अधिकतर ट्रेनें देर से चल रही हैं का प्रयोग ठीक होगा, क्योंकि देर से चलनेवाली ट्रेनें संख्या में अधिक हैं. यदि देश के चार भागों (उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम) में से तीन भागों में अकाल पड़ जाये, तो लिखा जायेगा कि देश के तीन भाग अकाल की चपेट में हैं अथवा देश के अधिकतर भाग अकाल की चपेट में हैं. तात्पर्य यह कि तुलनात्मक दृष्टि से गिनती करने योग्य अधिक भागों का भाव प्रकट करना उद्देश्य हो, तो अधिकतर भाग का ही प्रयोग होगा. अधिकांश भाग का प्रयोग इसलिए नहीं हो सकता कि अधिकांश में अंश (भाग) पहले से ही जुड़े रहने से पुनरुक्ति दोष हो जायेगा.