
कच्चे तेल की गिरती कीमतों के कारण दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब का बजट घाटा बढ़ कर रिकॉर्ड 98 अरब डॉलर हो गया है.
शाह सलमान के शासन के इस पहले बजट में 608 अरब रियाल (162 अरब डॉलर) का राजस्व मिलने की बात कही गई है, जो अधिकारियों की उम्मीदों से 15 फीसदी कम है.
मौजूदा साल में खर्च 975 अरब रियाल है जो अनुमान से क़रीब 13 फीसदी ज़्यादा है.
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह घाटे को पूरा करने के लिए ईंधन के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती करेगा.
अधिकारियों के मुताबिक कुछ मामलों में पेट्रोल की कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ सकती हैं, हालांकि फिर भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक ये कम ही रहेंगी.
सऊदी अरब में डीजल, बिजली और पानी की कीमतें भी बढ़ेंगी.

शाह सलमान के मुताबिक ये बजट ऐसे समय में आया है जब कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है और आर्थिक, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय चुनौतियां मौजूद हैं जिनके चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने पड़ोसी देशों में भी अस्थिरता का हवाला दिया है.
कच्चे तेल की कीमतें तेज़ी से गिरी हैं. ये मार्च 2012 में 125 डॉलर प्रति बैरल के अपने उच्चतम स्तर से घटकर अब मात्र 37.18 डॉलर तक पहुंच गया है.
सऊदी अरब के मुताबिक तेल से मिलने वाले उसके राजस्व में 23 फीसदी की कमी आई है.
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