दक्षा वैदकर
बात उस समय की है, जब विनोबा भावे के पवनार आश्रम में एक शराबी आया. वह विनोबा जी से कहने लगा-बाबा, शराब के नशे ने मेरा घर तबाह कर दिया है, क्या करूं? विनोबा जी ने कहा, शराब पीना छोड़ दो. उस व्यक्ति ने कहा, क्या करूं, नहीं छूटती है शराब.
आप ही कोई उपाय बताएं. विनोबा जी कुछ देर शांत रहे और फिर बोले, शाम को चार बजे आना. वह व्यक्ति तय समय पर आश्रम पहुंचा और विनोबा जी को पुकारने लगा. विनोबा जी ने अंदर से ही कहा, क्या करूं मुझे खंभे ने पकड़ रखा है. मैं बाहर नहीं आ सकता. उस व्यक्ति ने घर के अंदर झांका, तो खंभे को स्वयं विनोबा जी पकड़े हुए थे.
वह व्यक्ति बोला, हे आचार्य, खंभा आपको नहीं छोड़ रहा या आप खंभे को नहीं छोड़ रहे? यह सुन कर विनोबा जी हंस पड़े. उन्होंने कहा, तुम भी तो शराब नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन कहते हो शराब छूटती नहीं. वह व्यक्ति विनोबा जी की बात को समझ गया और उसने शराब को हमेशा-हमेशा छोड़ने की शपथ ली.
यह कहानी हमें सीख देती है कि दुनिया में ऐसी कई चीजें हैं, जिन्हें हम ही नहीं छोड़ना चाहते और कहते हैं छूटती नहीं. हम कहते हैं कि हम शराब नहीं छोड़ पाते, सिगरेट नहीं छोड़ पाते, तंबाकू, गुटखे का सेवन नहीं छोड़ पाते. दरअसल सच तो यह है कि हम जब चाहे इन्हें छोड़ सकते हैं.
इन्होंने हमें पकड़ कर नहीं रखा है. हमने ही इन्हें मजबूती से पकड़ रखा है. ये तो केवल वस्तुएं हैं. अगर हम इन्हें खरीद कर जेब में न रखें, तो यह खुद चल कर हमारे पास नहीं आयेंगी. न ही हमारा पीछा करेंगी यह कह कर कि मुझे खाओ, पीओ. ‘ये चीजें मुझे छोड़ नहीं रही’, यह कहना केवल और केवल एक बहाना है. दृढ़ इच्छा शक्ति रखें और अपनी भावनाओं पर काबू रखें, तो ऐसी कोई भी आदत नहीं, जिन्हें हम छोड़ नहीं सकते.
ऐसी चीजों और भावों को गंभीरता से सोचें, चिंतन करें. हर समय कोई महापुरुष आपको शिक्षा देने भले ही मौजूद न हो, लेकिन उनकी बातें हमेशा आपके साथ रहती हैं.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– आपको जिस भी चीज की लत हो, उसे खरीदना बंद करें. उस दुकान के पास से भी न जाएं, जहां वह बिकती है. अपनी जेब में पैसे भी न रखें.
– बुरी आदत को छोड़ने का उपाय यह है कि आप उसकी जगह कोई अच्छी आदत लगा लें. ऐसी चीज तलाशें, जो अच्छी भी हो, नुकसान भी करे.